लाल किताब के अनुसार मंगल के अशुभ होने की कुछ निशानियां होती हैं फिर भले ही मंगल कुंडली में कैसी भी स्थिति में बैठा हो, जबकि वैदिक ज्योतिष में मंगल के शुभ या अशुभ प्रभाव जातक की कुंडली या जन्मपत्री की दशा, अन्तर्दशा या प्रत्यन्तर्दशा दशा के दौरान देखने को मिलते हैं। मान्यता है कि जब मंगल अपना अशुभ प्रभाव देने लगता है तो उसके पूर्व संकेत मिलने लगते हैं। आओ जानते हैं दोनों ही तरीकों से मंगल के अशुभ होने के पूर्व संकेत को और जानते हैं नुकसान से बचने के तरीके को।
लाल किताब के अनुसार मंगल के अशुभ होने के संकेत
* उच्च रक्तचाप।
* वात रोग।
* गठिया रोग।
* फोड़े-फुंसी होते हैं।
* जख्मी या चोट।
* बार-बार बुखार आता रहता है।
* शरीर में कंपन होता रहता है।
* गुर्दे में पथरी हो जाती है।
* आदमी की शारीरिक ताकत कम हो जाती है।
* एक आंख से दिखना बंद हो सकता है।
* शरीर के जोड़ काम नहीं करते हैं।
* मंगल से रक्त संबंधी बीमारी होती है। रक्त की कमी या अशुद्धि हो जाती है।
* बच्चे पैदा करने में तकलीफ। हो भी जाते हैं तो बच्चे जन्म होकर मर जाते हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार चन्द्र के अशुभ होने के पूर्व संकेत
1. भूमि या भवन का कोई भाग टूट-फूट जाता है।
2. घर में कहीं भी आग लग जाती है।
3. मंगल की कारक वस्तु खो जाती है या नष्ट हो जाती है।
4. हवन की अग्नि का अचानक बन्द हो जाती है।
6. अग्नि जलाने के अनेक प्रयास करने पर भी अग्नि का नहीं जलना या अग्नि का बन्द हो जाना।
7. वात-जन्य विकार अकारण ही शरीर में प्रकट होने लगना ।
8. किसी प्रकार से छोटी-मोटी दुर्घटना हो सकती है ।
कैसे होता मंगल खराब?
* घर का पश्चिम कोण यदि दूषित है तो मंगल भी खराब होगा।
* हनुमानजी का मजाक उड़ाने या अपमान करने से।
* धर्म का पालन नहीं करने से।
* भाई या मित्र से दुश्मनी मोल लेने से।
* निरंतर क्रोध करते रहने से।
* मांस खाने से।
* चौथे और आठवें भाव में मंगल अशुभ माना गया है।
* किसी भी भाव में मंगल अकेला हो तो पिंजरे में बंद शेर की तरह है।
* सूर्य और शनि मिलकर मंगल बद बन जाते हैं।
* मंगल के साथ केतु हो तो अशुभ हो जाता है।
* मंगल के साथ बुध के होने से भी अच्छा फल नहीं मिलता।
मंगल को शुभ करने के उपाय
हनुमानजी की भक्ति करें। हनुमान चालीसा, बजरंग बाण आदि पढ़ें।
* मंगल खराब की स्थिति में सफेद रंग का सूरमा आंखों में डालना चाहिए।
* गुड़ खाना चाहिए।
* भाई और मित्रों से संबंध अच्छे रखना चाहिए। क्रोध न करें।
* लाल वस्त्र में सौंफ बांधकर शयन कक्ष में रखें।
* बंधुजनों को मिष्ठान्न का सेवन कराएं।* बंदरों को गुड़ और चने खिलाना चाहिए।
* गाय को चारा व जल पिलाकर सेवा करें।
* गाय पर लाल वस्त्र ओढ़ाएं।
* मंगल से पीड़ित व्यक्ति ज्यादा क्रोध न करें।
* अपने आप पर नियंत्रण रखें, आपा न खोएं।
* किसी भी कार्य में जल्दबाजी नहीं दिखाएं।
* किसी भी प्रकार के व्यसनों में लिप्त नहीं होना चाहिए।* तांबा, गेहूं एवं गुड़, लाल कपड़ा और माचिस का दान करें।
* तंदूर की मीठी रोटी दान करें।
* बहते पानी में रेवड़ी व बताशा बहाएं।
* मसूर की दाल दान में दें।
* हनुमान मंदिर में ध्वजा और चले दान करें।
नोट : इनमें से कुछ उपाय विपरीत फल देने वाले भी हो सकते हैं। कुंडली की पूरी जांच किए बगैर उपाय नहीं करना चाहिए। किसी लाल किताब के विशेषज्ञ को कुंडली दिखाकर ही ये उपाय करें।