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मंगल ग्रह को कैसे बनाएं बलशाली, जानिए लाल किताब से...

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अनिरुद्ध जोशी

- अनिरुद्ध जोशी 'शतायु' 

कुंडली के प्रत्येक भाव या खाने अनुसार मंगल के शुभ-अशुभ प्रभाव को लाल किताब में विस्तृत रूप से समझाकर उसके उपाय बताए गए हैं। यहां प्रस्तुत है प्रत्येक भाव में मंगल की स्थित और सावधानी के बारे में संक्षिप्त और सामान्य जानकारी। 
 
मंगल का काम है मंगल करना। मंगल अशुभ होता है मांस खाने से। भाइयों से झगड़ने से और क्रोध करने से। मंगल का शासन आपके रक्त पर अधिक होता है इसीलिए रक्त की खराबी भी मंगल के अशुभ की निशानी है।
 
विशेषता : ऊंट-ऊंटनी, हिरन और शेर।
 
(1) पहला खाना : मैदान में जंग करने वाला शेर। पहले घर में मंगल होने का मतलब 28 वर्ष की आयु के बाद आर्थिक हालत अच्‍छी रहती है। शारीरिक तौर पर मजबूत ऐसे व्यक्ति को शनि संबंधी कार्य में लाभ मिलता है।
 
 
सावधानी : विवाह 28 के बाद हो तो अच्छा फल। कभी भी मुफ्त की चीजें न लें। बुरी जगहों, समय और बुरी संगत से बचें।
 
(2) दूसरा खाना : जिम्मेदार शेर। बड़े भाई की हैसियत रखने वाले व्यक्ति को धन का अभाव नहीं रहता। परिवार बड़ा होगा। 
 
सावधानी : धर्मदूत जैसा व्यवहार रखना चाहिए। भाइयों और मित्रों से प्रेमपूर्ण संबंध रखें। व्यर्थ के लड़ाई-झगड़े से दूर रहें। नशा न करें।
 
(3) तीसरा खाना : यहां मंगल यदि अशुभ है तो 'पिंजरे का शेर' और यदि शुभ है तो 'शूरवीर'। शूरवीर यदि समझदार है तो जीवन सफल समझो। मेहनत से अर्जित दौलत में बरकत होगी।
 
सावधानी : पड़ोसी और सगे-संबंधियों से झगड़ा न करें। गवाह देने या महत्वपूर्ण कागजों पर हस्ताक्षर करने का कार्य न करें। बुरी स्त्रियों से दूर रहें। धूर्ततापूर्ण स्वाभाव छोड़ दें।
 
(4) चौथा खाना : चौथे घर का मंगल 'दरिया में रखा आग का गोला' ही समझो। दूसरा यह कि 'खुद तो जलेंगे सनम तुमको भी जलाकर मरेंगे।' लेकिन परिवार के प्रति जिम्मेदार।
 
सावधानी : माता और पिता को दुःख देना जीवन में जहर घोलने के समान सिद्ध होगा। बदले की भावना न रखें। कीकर के वृक्ष और हलवाई या भूनने वाले की भट्टी जलती हो वहां न रहें। दक्षिण मुखी मकान में न रहें। काले और काने व्यक्ति की संगत से बर्बादी।
 
(5) पांचवां खाना : सूर्य के घर में मंगल हो तो व्यक्ति फकीर होते हुए भी स्वयं को रईसों का बाप- दादा समझता है। हमेशा ही घर से बाहर रहने वाला। मां-बाप का साथ दे, इसकी कोई ग्यारंटी नहीं। बच्चों से प्रेम करने वाला, लेकिन खुद की औलाद मु‍श्किल में रहती है। 
 
सावधानी : मदिरा और मांस का सेवन न करें। चरित्र ठीक रखें। पिता की सलाह मानें। मित्र और भाई को धोखा न दें।
 
(6) छठा खाना : यहां मंगल है तो समझो माता-पिता ने उसे बड़ी मन्नत से पाया, लेकिन वह साधु-संन्यासी स्वभाव वाला निकला। फिर भी ऐसा व्यक्ति कर्मवीर होता है यदि मंगल अशुभ न हो तो।
 
सावधानी : कन्याओं का अपमान न करें बल्कि कन्याभोज कराते रहें। यदि लड़का पैदा हो तो उसके जन्मदिन की खुशियां न मनाएं। लड़के के शरीर पर सोना धारण न करें।
 
(7) सातवां खाना : यहां यदि मंगल है और वह नेक और धर्मात्मा है तो उसकी पालना करने वाले भगवान विष्णु हैं। बेशुमार दौलत मिलेगी। इंसाफ पसंद है तो मुसीबत के वक्त सहारा मिलेगा। यदि मंगल अशुभ हो रहा है तो सावधानी बरतें और उपाय करें।
 
सावधानी : घर के पास यदि खाली कुआं है तो दुःख का कारण है। बहन या बुआ द्वारा मिली चीज अपने पास न रखें। मांस और मदिरा का सेवन न करें। गाने-बजाने का शौक न पालें। पत्नी से संबंध अच्‍छे रखें।
 
(8) आठवां खाना : मौत का फंदा जानो। बड़े भाई के होने की संभावना कम ही रहती है। हौसला तो बुलंद रहता है, लेकिन यदि नौकरी या व्यापार में ही उसका उपयोग करें तो ही सही है।
 
सावधानी : मित्र और पत्नी से अच्छा व्यवहार करें। शरीर का ध्यान रखें। मांस और मदिरा सेवन से उग्र स्वभाव में आग में घी डालने वाला काम होगा। विधवा स्त्री का अपमान न करें।
 
(9) नवम खाना : कुंडली में यहां मंगल है तो समझो व्यक्ति नास्तिक स्वभाव वाला होगा। हुकूमत करने की इच्छा रखेगा। यदि यहां मंगल शुभ है तो नौकरी या कारोबार में तरक्की करेगा।
 
सावधानी : धर्म का अपमान करेंगे तो शेर को गीदड़ जैसा जीवन बिताना पड़ेगा। भाई और पिता का अपमान जहर समान। भाई के साथ ही रहने से लाभ।
 
(10) दसम खाना : दसवें खाने का मंगल 'चीता' माना गया है। यदि उच्च का है तो खानदान को तार देगा। जायदाद, मकान और वाहन का मालिक रहेगा, लेकिन 'नकद नारायण' की शर्त नहीं। व्यापार में अव्वल रहेगा।
 
सावधानी : घर का सोना न बेचें। काले जादू या बेकार तंत्र-मंत्र के चक्कर में न पड़ें। पिता का सम्मान करें। घर की भी चीज चुराने का न सोचें वरना बुरे दिन देखना पड़ेंगे।
 
(11) ग्यारहवां खाना : जंजीर से बंधा पालतू चीता। मां-बाप के घर दौलत का भंडार भरने वाला। 
 
सावधानी : कम उम्र में ही दौलतमंद होगा। शर्त यह कि पिता से धन न लें। गुरु, साले और भाइयों का अपमान न करें। शनि के मंदे कार्य भी न करें।
 
(12) बारहवां खाना : व्यय भाव में होने से धन के होने की शर्त यह कि हिंसक और कामुक प्रवृत्ति न रखें। 
 
सावधानी : गुरु और धर्म का अपमान न करें। यदि भाई है तो उनसे बनाकर रखें। बुरी संगत से बचें अन्यथा शत्रु बढ़ेंगे और राजदंड के फेर में फंस जाएंगे। समझदारी से चलें। मित्रों और स्वजनों से बैर-भाव न रखें। उधार न दें।

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