लाल किताब की विद्या का ज्ञान परंपरागत और वैदिक ज्योतिष से थोड़ा भिन्न है। इसे बहुत से ज्योतिष विद्वान नहीं मानते हैं और बहुत से इसके प्रभाव को मानते हैं। लाल किताब के अनुसार ग्रहों का व्यक्ति के जीवन पर मुख्यत: दो तरीकों से होता है। पहला उसने जिस समय जन्म लिया था उस समय कौनसा ग्रह सक्रिय या उदित था और दूसरा एक निश्चित उम्र में ग्रह सक्रिय होकर एक निश्चित उम्र के बाद उसका प्रभाव बेअसर हो जाता है। तो आओ जानते हैं कि आप का ग्रह कौनसा है जिसे जानकर आप उसे ही ठीक करके अपने भाग्य को जागृत कर सकते हैं क्योंकि मुख्यरूप से वही ग्रह आपके जीवन का भाग्यविधाता होता है। लाल किताब के अनुसार करें अपनी जिंदगी की प्लानिंग।
ग्रहों की सक्रियता का समय
1. सूर्य : रविवार दिन का दूसरा प्रहर।
2. चंद्र : सोमवार चांदनी रात।
3. मंगल : मंगलवार पूर्ण दोपहर।
4. बुध : बुधवार दिन का तीसरा प्रहार।
5. गुरु : गुरुवार दिन का प्रथम प्रहर।
6. शुक्र : शुक्रवार कालीरात।
7. शनि : शनिवार रात्रि एवं अंधकारमय।
8. राहु : गुरुवार शाम पूर्णशाम राहु।
9. केतु : रविवार प्रातः सूर्योदय से पूर्व।
उपरोक्त वार के अलावा ये ग्रह प्रत्येक दिन उसी समय पर सक्रिय या प्रभावशाली रहते हैं जो समय उपर बताया गया है। इसी प्रकार इसी प्रकार से उम्र के संबंध में नीचे पढ़िये। जन्म से लेकर 48 वर्ष की उम्र तक सभी ग्रहों का उम्र के प्रत्येक वर्ष में अलग-अलग प्रभाव होता है। उनमें से नौ ऐसे विशेष वर्ष होते हैं, जो ग्रह से संबंधित वर्ष माने गए हैं जिन पर उस ग्रह का शुभ या अशुभ प्रभाव विशेष रूप से रहता है।
बृहस्पति :- सर्वप्रथम बृहस्पति ग्रह का असर हमारे जीवन में रहता है। उम्र का 16वां साल बृहस्पति का साल माना गया है। यही उम्र बिगड़ने की और यही उम्र सुधरने की है। बृहस्पति यदि चतुर्थ भाव में स्थित है तो 16वें वर्ष में व्यक्ति शिक्षा के क्षेत्र में लाभ पाता है और यदि छठे भाव में है तो हानि संभव हो सकती है। इसीलिए बृहस्पति किसी भी भाव में हो पढ़ाई पर जरूर ध्यान देंगे तो भाग्य भी साथ होगा।
सूर्य :- सूर्य ग्रह का असर आयु के 22वें वर्ष में नजर आता है। यदि उच्च का है तो सरकार से संबंधित कार्यों में पूर्ण लाभ मिलेगा और यदि अशुभ है तो सरकारी कार्यों में बाधा उत्पन्न हो सकती है। इस उम्र में करियर संबंधी परीक्षा और नौकरी के बारे में ही सोचना चाहिए अन्य किसी भी विषय पर ध्यान नहीं देना चाहिए। नौकरी नहीं करना चाह रहे हैं तो पूरा ध्यान किसी व्यवसाय पर ही लगाएं।
चंद्रमा :- चंद्र ग्रह का असर आयु के 24वें वर्ष में नजर आता है। उच्च या शुभ स्थिति में होने पर माता एवं अन्य सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। अशुभ या नीच का होने पर माता के विषय में विपरीत फल की प्राप्ति एवं मानसिक तनाव मिल सकता है। यह समय मन को शांत करकर अपनी नौकरी और विवाह पर ध्यान दें। खासकर अपनी सेहत को सुधारे और फिट हो जाएं। फिट हैं तो हिट हैं।
शुक्र :- शुक्र का असर आयु के 25वें वर्ष में विशेष रूप से दिखाता है। शुक्र के अच्छा होने पर पत्नी और सांसारिक सुख मिलेगा। यदि शुक्र नीच का है तो सुख में बाधा आएगी। इस उम्र में किसी भी हालत में विवाह कर ही लेना चाहिए क्योंकि इसके बाद आगे समस्याओं का सामना हो सकता है। इसे में एक से पहिये हो जाएं तो बेहतर होगा।
मंगल :- मंगल ग्रह का असर आयु के 28वें वर्ष में दिखता है। मंगल का अच्छा होने पर भाई, मकान, जमीन-जायदाद से संबंधित कार्यों में लाभ मिलने का योग हैं। जबकि खराब होने पर उपरोक्त विषयों में कमी हो सकती है। यह उम्र जीवन में सेटल्ड होने की है। नौकरी, धन, गाड़ी, बंगला और विवाह सभी कुछ से फारिग हो जाएंगे तो आगे की गाड़ी भी अच्छी चलेगी।
बुध :- बुध ग्रह का असर आयु के 34वें वर्ष में दिखता है। यदि अच्छा है तो व्यापार आदि में लाभ और खराब है तो हानि की सम्भावना है। इस उम्र में से पहले ही संतान सुख होना चाहिए और व्यापार या नौकरी को नई गति देना चाहिए। यह आगे की रणनीति के लिए बहुत सही रहेगा।
शनि :- शनि ग्रह का असर आयु के 36वें वर्ष में नजर आता है। यदि अच्छा है तो मकान, व्यवसाय और राजनीति में लाभ लेकिन यदि अशुभ हो तो हानि देता है। यह सबसे खास समय होगा जबकि आपके किए की सजा या फल मिलेगा। अत: इस समय को पहले ही भांप लें और अब तक जीवन में जो भी पाया है उसे बचाने और स्थायी करने का प्रयास करें।
राहु:- राहु ग्रह अपना असर आयु के 42वें वर्ष में प्रदान करता है। यदि शुभ स्थित में हो राजनीति आदि के क्षेत्र में विशेष लाभ, लेकिन यदि अशुभ हो तो व्यक्ति षडयन्त्र का शिकार बनकर मानसिक तनाव झेलता रहता है। यह समय उन्हीं लोगों का सही होता है जिन्होंने उपरोक्त के अनुसार प्लानिंग की है या जो सही समय पर सही कार्य करते हुए आए हैं और हमेशा उन्होंने अपने कर्म को शुद्ध रखा है। अन्यथा यह बर्बादी का समय होगा। जो भी पाया है वह सब खो देंगे।
केतु :- केतु ग्रह अपना असर आयु के 42वें वर्ष में दिखाता है। यदि शुभ हो तो संतान एवं मामा के संबंध में विशेष लाभ और यदि अशुभ हो तो हानि। अब आपका जीवन आगे उसी तरह चलेगा जिस तरह की आप अब तक जीते आए हैं। अच्छे कर्म हैं तो अच्छा होगा और बुरे कर्म हैं तो बुरा ही होगा। परंतु आपने यदि खुद की सेहत, आर्थिक सुरक्षा और रिश्तों को कमाया है तो निश्चिंत हो जाएं।
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