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लाल किताब : तो इस तरह रहेंगे आप राहु-केतु से परेशान, मौत भी इनके अनुसार होगी

हमें फॉलो करें लाल किताब : तो इस तरह रहेंगे आप राहु-केतु से परेशान, मौत भी इनके अनुसार होगी

अनिरुद्ध जोशी

कुंडली में राहु, केतु और शनि ग्रह को बुरा ग्रह माना जाता। लोग इन ग्रहों से फेर में पड़कर परेशान रहते हैं। परंतु यह राहु और केतु क्या है और किस तरह लोग इससे परेशान रहते हैं यदि यह जान लिया तो दोनों के ही चक्कर से बचा जा सकता है।
 
 
राहु और केतु क्या है?
पुराणों के अनुसार राहु सूर्य से 10,000 योजन नीचे रहकर अंतरिक्ष में भ्रमणशील रहता है। कुण्डली में राहु-केतु परस्पर 6 राशि और 180 अंश की दूरी पर दृष्टिगोचर होते हैं जो सामान्यतः आमने-सामने की राशियों में स्थित प्रतीत होते हैं। इनकी दैनिक गति 3 कला और 11 विकला है। ज्योतिष के अनुसार 18 वर्ष 7 माह, 18 दिवस और 15 घटी, ये संपूर्ण राशियों में भ्रमण करने में लेते हैं।
 
मान लो कि धरती स्थिर है तब उसके चारों ओर सूर्य का एक काल्पनिक परिभ्रमण-पथ बनता है। पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा का एक परिभ्रमण पथ है ही। ये दोनों परिभ्रमण-पथ एक-दूसरे को दो बिन्दुओं पर काटते हैं। एक पिंड की छाया दूसरे पिंडों पर पड़ने से ही सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण होते हैं। दोनों ही समय इन्होंने पाया होगा कि सूर्य, चंद्र, पृथ्वी एवं सूर्य, चंद्र के परिभ्रमण-पथ पर कटने वाले दोनों बिन्दु लम्बवत हैं। इन्हीं बिन्दुओं के एक सीध में होने के फलस्वरूप खास अमावस्या के दिन सूर्य तथा खास पूर्णिमा की रात्रि को चंद्र आकाश से लुप्त हो जाता है। प्राचीन ज्योतिषियों ने इन बिन्दुओं को महत्वपूर्ण पाकर इन बिन्दुओं का नामकरण 'राहु' और 'केतु' कर दिया।
 
 
राहु या केतु ग्रह न होकर ग्रह की छाया है, हमारी धरती की छाया या धरती पर पड़ने वाली छाया। छाया का हमारे जीवन में बहुत असर होता है। कहते हैं कि रोज पीपल की छाया में सोने वाले को किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता लेकिन यदि बबूल की छाया में सोते रहें तो दमा या चर्म रोग हो सकता है। इसी तरह ग्रहों की छाया का हमारे जीवन में असर होता है।
 
 
कैसे रहते हैं लोग इनसे परेशान?
बुध ग्रह हमारी बुद्धि का कारण है, लेकिन जो ज्ञान हमारी बुद्धि के बावजूद पैदा होता है उसका कारण राहु है। जैसे मान लो कि अकस्मात हमारे दिमाग में कोई विचार आया या आइडिया आया तो उसका कारण राहु है। राहु हमारी कल्पना शक्ति है तो बुध उसे साकार करने के लिए बुद्धि कौशल पैदा करता है।


राहु ग्रह हमारी बुद्धि का कारण है, लेकिन जो ज्ञान हमारी बुद्धि के बावजूद पैदा होता है उसका कारण राहु है। राहु का असर आप पर शुभ नहीं हो रहा है तो यह आपके दिमाग को खराब कर देगा। अचानक मन में आने वाले विचार भी राहु के कारण ही जन्मते हैं। यदि आप तेज गति से बाइक या कार चला रहे हैं और रास्ते में पड़ा कोई बड़ा पत्थर आपको दिखाई नहीं दिया तो यह आपके दिमाग का कसूर है। मतलब यह कि बीच रास्ते में पड़ा पत्थर राहु है। अचानक होने वाली दुर्घटना राहु के कारण ही होती है। किसी भी प्रकार का धुआं, गंदगी और खराब विचार राहु ही है। बात-बात पर आपा खो देना राहु का ही खेल है। वाहन दुर्घटना, पुलिस केस या पत्नी से झगड़ा राहु का ही खेल है। यदि दिमाग में मक्कारी, नीच, चालबाजी, बेईमानी, धोखेबाजी और जालिमपन है तो राहु के खराब होने की निशानी समझो। व्यर्थ के दुश्मन पैदा होंगे, सिर में चोट लग सकती है। गैरजिम्मेदारी और लापरवाही राहु के खराब होने की निशानी है। ऐसा व्यक्ति मद्यपान या संभोग में ज्यादा रत रह सकता है। राहु खराब है तो सोचने की ताकत कम हो जाएगी। एक बात और यह कि राहु की मौत अचानक होती है।
 
 
यदि व्यक्ति अपने शरीर के अंदर किसी भी प्रकार की गंदगी पाले रखता है तो उसके ऊपर काली छाया मंडराने लगती है अर्थात राहु के फेर में व्यक्ति के साथ अचानक होने वाली घटनाएं बढ़ जाती है। घटना-दुर्घटनाएं, होनी-अनहोनी और कल्पना-विचार की जगह भय और कुविचार जगह बना लेते हैं।
 
राहु के फेर में आया व्यक्ति बेईमान या धोखेबाज होगा। राहु ऐसे व्यक्ति की तरक्की रोक देता है। राहु का खराब होना अर्थात् दिमाग की खराबियां होंगी, व्यर्थ के दुश्मन पैदा होंगे, सिर में चोट लग सकती है। व्यक्ति मद्यपान या संभोग में ज्यादा रत रह सकता है। राहु के खराब होने से गुरु भी साथ छोड़ देता है। राहु के अच्छा होने से व्यक्ति में श्रेष्ठ साहित्यकार, दार्शनिक, वैज्ञानिक या फिर रहस्यमय विद्याओं के गुणों का विकास होता है। इसका दूसरा पक्ष यह कि इसके अच्छे होने से राजयोग भी फलित हो सकता है। आमतौर पर पुलिस या प्रशासन में इसके लोग ज्यादा होते हैं।
 
 
इसी तरह केतु का विचार किया जा सकता है। जो व्यक्ति जुबान और दिल से गंदा है और रात होते ही जो रंग बदल देता है वह केतु का शिकार बन जाता है। यदि व्यक्ति किसी के साथ धोखा, फरेब, अत्याचार करता है तो केतु उसके पैरों से ऊपर चढ़ने लगता है और ऐसे व्यक्ति के जीवन की सारी गतिविधियां रुकने लगती है। नौकरी, धंधा, खाना और पीना सभी बंद होने लगता है। ऐसा व्यक्ति सड़क पर या जेल में सोता है घर पर नहीं। उसकी रात की नींद हराम रहती है, लेकिन दिन में सोकर वह सभी जीवन समर्थक कार्यों से दूर होता जाता है। केतु के खराब होने से व्यक्ति पेशाब की बीमारी, जोड़ों का दर्द, सन्तान उत्पति में रुकावट और गृहकलह से ग्रस्त रहता है। केतु के अच्छा होने से व्यक्ति पद, प्रतिष्ठा और संतानों का सुख उठाता है और रात की नींद चैन से सोता है। केतु की मौत अचानक नहीं होती जातक पलंग पर लंबी बीमारी के बाद मरता है।
 
 
शनि के अनुचर हैं राहु और केतु। शरीर में इनके स्थान नियु‍क्त हैं। सिर राहु है तो केतु धड़। यदि आपके गले सहित ऊपर सिर तक किसी भी प्रकार की गंदगी या खार जमा है तो राहु का प्रकोप आपके ऊपर मंडरा रहा है और यदि फेफड़ें, पेट और पैर में किसी भी प्रकार का विकार है तो आप केतु के शिकार हैं। हड्डी, बाल, दांत या आंत में कोई समस्या है तो आप शनि के शिकार हैं। शनि शरीर के दृष्टि, बाल, भवें, हड्डी और कनपटी वाले हिस्से पर, राहु सिर और ठोड़ी पर और केतु कान, रीढ़, घुटने, लिंग और जोड़ पर प्रभाव डालता है।
 
 
राहु और केतु की भूमिका एक पुलिस अधिकारी की तरह है जो न्यायाधीश शनि के आदेश पर कार्य करते हैं। शनि का रंग नीला, राहु का काला और केतु का सफेद माना जाता है। शनि के देवता भैरवजी हैं, राहु की सरस्वतीजी और केतु के देवता भगवान गणेशजी है। शनि का पशु भैंसा, राहु का हाथी और कांटेदार जंगली चूहा तथा केतु का कुत्ता, गधा, सुअर और छिपकली है। शनि का वृक्ष कीकर, आंक व खजूर का वृक्ष, राहु का नारियल का पेड़ व कुत्ता घास और केतु का इमली का दरख्त, तिल के पौधे व केला है।

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