यह एक विशालकाय तारा है जिसके चारों ओर आठों ग्रह और अनेक उल्काएं चक्कर लगाते रहते हैं। वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा माना गया है। सूर्य के कारण ही जीवन है अन्यथा अंधकार है।
सूर्य के कारण धरती पर हजारों वनस्पतियां, पशु और समुद्र में जीव-जंतुओं का जन्म होता है तो वे सभी सूर्य पुत्र ही हैं। जैसे सोने में सूर्य का बल है उसी तरह चांदी में चंद्र का।
जिस तरह घर के मुखिया के कमजोर होने पर घर की स्थिति भी कमजोर होती है उसी तरह कुंडली में सूर्य के कमजोर होने पर अन्य ग्रह भी अच्छे फल नहीं देते। लाल किताब के अनुसार कुंडली में सूर्य के दोषपूर्ण या खराब होने की स्थिति के बारे में विस्तार से बताया गया है। यहां जानिए संक्षिप्त जानकारी।
कैसे होता सूर्य खराब? :
* घर की पूर्व दिशा दूषित होने से।
* विष्णु का अपमान।
* पिता का सम्मान न करना।
* देर से सोकर उठना।
* रात्रि के कर्मकांड करना।
* राजाज्ञा-न्याय का उल्लंघन करना।
* शुक्र, राहु और शनि के साथ मिलने से मंदा फल।
यदि सूर्य शुभ है तो कांतिमय चेहरे और आंखों वाला व्यक्ति महान राजनीतिज्ञ भी हो सकता है या सरकारी महकमे का कोई बड़ा अधिकारी। सोच-समझकर हित अनुसार गुस्सा करने वाला व्यक्ति न्यायप्रिय होता है। सूर्य नवम और दशम भाव में सर्वश्रेष्ठ हैं।
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