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अर्थव्यवस्था फिर तीव्र वृद्धि की राह पर-प्रणब

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नई दिल्ली , गुरुवार, 6 मई 2010 (14:11 IST)
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सरकार ने शुक्रवार को दावा किया कि भारत की अर्थव्यवस्था पर अब अनिश्चतता के बादल छंट चुके हैं और घरेलू अर्थव्यवस्था फिर तीव्र वृद्धि की राह पर लौट चुकी है।

वित्त मंत्री ने देश के अधिकतर भागों में कम बारिश तथा सूखे जैसी स्थिति के बावजूद अब अनिश्चितता जैसी कोई बात नहीं रह गई है।

वित्त वर्ष 2010-11 के बजट पर लोक सभा में चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हम विनम्रतापूर्वक दावा कर सकते हैं कि अर्थव्यवस्था अब करवट ले चुकी है। 7.2 फीसद की आर्थिक वृद्धि दर कोई मेरा कोई सपना नहीं है बल्कि यह हकीकत है। अनिश्चितता की स्थिति अब नहीं रह गई है।

उन्होंने कहा कि खरीफ उत्पादन में 1.5 करोड़ टन से 1.8 करोड़ टन तक की गिरावट होने की आशंका है लेकिन औद्योगिक वृद्धि पिछले लगातार पाँच महीने से दोहरे अंक में रही है और पिछले दो महीने में तो यह 15 फीसद से भी अधिक रही है।

वित्त मंत्री ने कहा कि बजट प्रस्ताव में उत्पाद शुल्क में दो फीसद की बढ़ोतरी का मुद्रास्फीति पर कुछ प्रभाव जरूर पड़ेगा पर उन्होंने कहा कि उद्योग के लिए प्रोत्साहन उपाय के तहत उत्पाद शुल्क को पिछले वर्ष 14 फीसद से घटाकर विभिन्न चरणों में 8 फीसद के स्तर पर लाया गया था।

प्रणब मुखर्जी ने पेट्रोलियम क्षेत्र पर शुल्कों में वृद्धि के बारे में कहा कि इसी प्रकार, जून 2008 में जब कच्चे तेल की कीमत 127 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुँच गई थी, उद्योग को राहत देने के लिए इस पर लगने वाले 5 फीसद के सीमा शुल्क को घटाकर शून्य के स्तर पर लाया गया।

बजट में आम आदमी की उपेक्षा के आरोप को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि उस समय, मैंने उद्योग को राहत देने के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती की थी। उन्होंने कहा कि मैंने कोई अल्पकालिक नीति नहीं अपनाई। (भाषा)

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