अमेरिकी मुद्रा डॉलर पर आए संकट के बादल छँटने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। डॉलर की कीमत कम होने के कारण कई देशों में दूसरी मुद्रा में व्यापार होना शुरू हो गया है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) समेत कई खाड़ी देश भी डॉलर का चलन खत्म करने का मन बना रहे हैं।
यूएई ने उठाए सवाल : खाड़ी देश मुख्य रूप से कच्चे तेल का निर्यात डॉलर में करते हैं संयुक्त अरब अमीरात सेंट्रल बैंक के गवर्नर ने इस हफ्ते दो बार मौजूदा मुद्रा प्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
भारी गिरावट की आशंका : दूसरी ओर अमेरिका अपनी मुद्रा के बदले दूसरी मुद्रा में व्यापार किए जाने की खाड़ी देशों की कोशिशों को ठंडा करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देगा। विश्लेषक मानते हैं कि यदि खाड़ी देशों ने डॉलर का उपयोग बंद कर दिया तो इसकी कीमत में 20 प्रश गिरावट आ जाएगी।
डॉलर ने दी गरीबी : इस साल सितंबर में बड़ी अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की कीमत घटने के कारण संयुक्त अरब अमीरात को अपनी मुद्रा दिरहम की कीमत घटानी पड़ी। इससे देशवासी और गरीब हो गए और उन्हें पूर्व की तुलना में सामानों की खरीदी के लिए अधिक मुद्रा देनी पड़ रही है।
अर्थशास्त्रियों के अनुसार अमेरिकी अर्थव्यवस्था में कमजोरी और कर्ज संकट के कारण डॉलर और नीचे जा सकता है। इससे दिरहम के भी और घटने की आशंका है। इससे खाड़ी देशों में महँगाई बढ़ेगी।
यूएई मुद्रा विनिमय केंद्र के जनरल मैनेजर सुधीर शेट्टी के मुताबिक भारतीय रुपया वर्ष 2006 में दिरहम के मुकाबले 14 फीसदी मजबूत हुआ है। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर यही स्थित रही तो यूएई में कार्यरत प्रवासियों को भारी नुकसान से गुजरना पड़ेगा।