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निवेशकों का पैसा लेकर कंपनियाँ फरार

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नई दिल्ली (वार्ता) , रविवार, 19 अगस्त 2007 (18:32 IST)
पूँजी बाजार में उतरकर निवेशकों को बड़े-बड़े सपने दिखाने के बाद उनकी मेहनत की कमाई को समेटकर गायब होने वाली 113 कंपनियों का अब भी कोई अता-पता नहीं है।

कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के मुताबिक 1992 से 1998 के बीच मूल रूप से 229 कंपनियों की पहचान लुप्त कंपनियों के रूप में कर ली गई थी। इनमें से 116 कंपनियों को ढूँढ़ निकाला गया फिर भी 113 कंपनियाँ अभी ऐसी हैं, जिनका कोई अता-पता नहीं है।

मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक पिछले तीन सालों के दौरान पब्लिक इश्युओं के जरिये धन जुटाकर कोई भी कंपनी गायब नहीं हुई है। लुप्त होने वाली कंपनियों की पहचान के लिए विशेष मानदंड अपनाए गए हैं।

वर्ष 1992 से लेकर 1998 तक मूल रूप से 229 कंपनियों की धन जुटाकर गायब होने वाली कंपनियों के रूप में पहचान की गई। ये कंपनियाँ प्रारम्भिक पब्लिक इश्यू (आईपीओ) के साथ पूँजी बाजार में उतरी थीं।

कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के सचिव और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की सह अध्यक्षता में गठित केन्द्रीय समन्वय एवं निगरानी समिति के अनवरत प्रयासों से इनमें से 116 कंपनियों को ढूँढ़ लिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप लुप्त कंपनियों की संख्या घटकर 113 रह गई।

उसके बाद समिति ने 1998 से 2001 के बीच आईपीओ को लेकर पूँजी जुटाने और फिर अचानक लुप्त होने वाली 9 और कंपनियों की पहचान कर ली, जिन्हें मिलाकर धन जुटाकर गायब होने वाली 125 कंपनियाँ सामने आ गई, जिनके खिलाफ कंपनी अधिनियम 1956 के प्रावधानों के तहत कारवाई की जा रही है।

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