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पीएसयू का आकलन करेंगी बाहरी एजेंसियाँ

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नई दिल्ली , शनिवार, 29 मई 2010 (09:36 IST)
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (पीएसयू) के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए सरकार ने बाहरी एजेंसियों की मदद लेने का प्रस्ताव किया है। सार्वजनिक क्षेत्र की महारत्न, नवरत्न और मिनी रत्न कंपनियों का प्रदर्शन निजी क्षेत्र की या बहुराष्ट्रीय कंपनियों की तुलना में कैसा है, सरकार बाहरी एजेंसियों की मदद से इसका पता लगाएगी।

सार्वजनिक उपक्रम विभाग (डीपीई) ने पेशेवर एजेंसियों से निविदाएँ माँगी हैं। ये एजेंसियाँ ब्लूचिप पीएसयू के निजी क्षेत्र या विदेशी कंपनियों के प्रदर्शन से तुलना करेंगी। इसका उद्देश्य यह पता लगाना है कि सार्वजनिक उपक्रमों को दी गई परिचालन और वित्तीय आजादी का पूरा इस्तेमाल हो रहा है कि या नहीं।

विभाग के एक दस्तावेज में कहा गया है कि इस तरह का प्रस्ताव है कि पेशेवर एजेंसियों की मदद ली जाए, जो डीपीई को महारत्न, नवरत्न और मिनी रत्न कंपनियों की निगरानी में मदद करे और यह पता लगाए कि उन्हें मिले अधिकारों का कितना इस्तेमाल हुआ है।

डीपीई ने कहा कि सरकार यह भी चाहती है कि निदेशक मंडल स्तर से नीचे के वरिष्ठ पीएसयू प्रबंधन को और पेशेवर किया जाए। ‘‘ऐसा देखने में आया है कि महाप्रबंधक और उपमहाप्रबंधक स्तर के वरिष्ठ अधिकारी निर्णय लेने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसलिए उनके रुख को और पेशेवर बनाए जाने की जरूरत है।

सार्वजनिक उपक्रमों के प्रदर्शन की समीक्षा का काम दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। इसमें कॉर्पोरेट प्रशासन के मामले में भी कंपनियों के प्रदर्शन का आकलन किया जाएगा। महारत्न कंपनियों को 5,000 करोड़ रुपए तक के वित्तीय फैसलों के लिए सरकार की मंजूरी की जरूरत नहीं होती।

नवरत्न कंपनियाँ एक हजार करोड़ रुपए तक के वित्तीय फैसले खुद ले सकती हैं, जबकि मिनी रत्न कंपनी के मामले में यह सीमा 500 करोड़ रुपए की है। (भाषा)

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