सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर बनाए गए राजमार्गो पर शुल्क संग्रह में आय की हेरफेर का संकेत देते हुए देश की शीर्ष अंकेक्षक संस्था नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने कहा है कि उसने वित्त मंत्रालय से अनुरोध किया है कि वह ऐसी परियोजनाओं से ट्रैफिक आँकड़ों को जुटाने के लिए एक एकल स्वतंत्र ऐजेंसी को नियुक्त करे।
नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) विनोद राय ने राजधानी में एक निर्माण सम्मेलन में कहा कि हमारे अध्ययन में पाया गया है कि ट्रैफिक का अनुमान पूरी तरह से मनगढंत साबित हो सकता है और यह काम (ट्रैफिक के निगरानी का काम) कोई एक ही पेशेवर स्तर पर योग्य ऐजेंसी क्यों नहीं कर सकती।
बाद में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि हमने यह मामला वित्त मंत्रालय के सामने रखा है। सीएजी ने कहा कि ऐसे किसी प्राधिकार की जरूरत है क्योंकि एक ही क्षेत्र में एक ही तरह की सड़कों पर ट्रैफिक के आँकड़े अलग-अलग होते हैं। उसने कहा कि उसने सरकार से पीपीपी आधार पर बने सभी परियोजनाओं के खातों को जाँचने की अनुमति माँगी है।
सीएजी की यह पहल इस मायने में महत्वपूर्ण हो गई है कि कुछ निश्चित मामलों को छोड़कर शीर्ष अंकेक्षक संस्था की गैर सरकारी फर्मो तक पहुँच नहीं है।
सीएजी ने पीपीपी परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए अपनाये जाने वाले तरीकों की भी आलोचना की है। सीएजी ने कहा कि उसके द्वारा अध्ययन किए गए 67 परियोजनाओं में से 24 प्रतिशत मामलों में वित्तपोषण सहमति पत्र के जरिए किया गया अथवा बातचीत के आधार पर किया गया जिसमें मूल्य तलाश प्रणाली का विलोप हो गया। वित्तपोषण के लिए बेहतर रास्ता बोली प्रक्रिया अपनाने की होगी जिसे हम पारदर्शी प्रक्रिया कहेंगे। (भाषा)