मनमानी कर रही हैं एयरलाइन कंपनियाँ
संसदीय समिति ने की दंडित करने की सिफारिश
सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया पर सामाजिक दायित्व के असंतुलित बोझ का उल्लेख करते हुए संसद की एक समिति ने सरकार ने उन एयरलाइन कंपनियों को दंडित करने के लिए नियम बनाने को कहा है, जो अपनी कुल उड़ानों का कम से कम 10 फीसद पूर्वोत्तर क्षेत्र के मार्गों पर परिचालन नहीं करतीं।
पूर्वोत्तर क्षेत्र जैसे दूर-दराज के विमान मार्गों को सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण लेकिन वाणिज्यिक रूप से घाटे का मार्ग बताया जाता है।
सार्वजनिक उपक्रमों पर संसद की स्थायी समिति की सिफारिशें ऐसे समय आई हैं, जब एयर इंडिया को नुकसान हो रहा है। क्योंकि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर लाभदायक मार्ग निजी कंपनियों को आवंटित किए गए हैं।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में मार्ग वितरण दिशा-निर्देश में संशोधन की माँग करते हुए सभी मान्यता प्राप्त एयरलाइनों के लिए अपने कुल परिचालन का 10 फीसद श्रेणी 2, 2-ए और तीन कहे जाने वाले मार्गों पर परिचालित किया जाने को अनिवार्य बनाए जाने को कहा है।
रिपोर्ट के अनुसार इन सुदूरवर्ती मार्गों पर अनिवार्य सीमा से अधिक परिचालन करने वाली विमान कंपनियों की क्षतिपूर्ति दिया जाए।
शुक्रवार को संसद में पेश रिपोर्ट में सभी निजी कंपनियों के लिए इस प्रकार के दिशा-निर्देश को अनिवार्य किए जाने के लिए प्रणाली बनाने तथा नियमों का उल्लंघन करने वाले को दंड दिए जाने की व्यवस्था की माँग की गई है। (भाषा)