भारतीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अंतरराष्ट्रीय समुदायों को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर आर्थिक मंदी गहराती है तो दुनिया को मुद्रा युद्ध का सामना करना पड़ सकता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में कहे गए उनके यह शब्द इस बात की और इशारा करते हैं कि वित्तीय प्रवाह में आए भारी उतार-चढ़ाव ने सभी देशों को परेशान कर रखा है। जानते हैं कि इस उठापटक के दौर में कौन-कौन सी मुद्रा किस स्थिति में है।
यूएस डॉलर : अमेरिका की आधिकारिक मुद्रा डॉलर का उतार चढ़ाव पूरी दुनिया के कारोबार को प्रभावित करता है। यह अंतरराष्ट्रीय सौदों की मुद्रा है। डॉलर के माध्यम से ही दुनिया के अधिकांश देश आपस में लेन-देन करते हैं। दुनियाभर में महंगाई के घटने और बढ़ने में इसका बड़ा हाथ होता है।
जैसा कि अकसर देखते हैं कि तेल के भाव डॉलर प्रति बैरल बढ़े। भाव बढ़ने के पीछे वस्तु के दाम के साथ ही वायदा बाजार में डॉलर के मूल्य में हो रही घट बढ़ भी जिम्मेदार है। अमेरिका में आई मंदी के कारण डॉलर की हालत बेहद पतली हो गई है। डॉलर के बढ़ते दाम से दुनिया के कई देश परेशान है और इसका ठोस विकल्प चाहते हैं।
यूरो : यूरो 17 यूरोपीय देशों के समूह यूरो झोन की अधिकारिक मुद्रा है। इसे यूरोपीय यूनियन द्वारा भी इस्तेमाल किया जाता है। दुनिया में डॉलर के बाद सबसे ज्यादा इसी मुद्रा का इस्तेमाल होता है। यूरोपीय कर्ज संकट को देखते हुए इसकी हालत भी पहले से बदतर हुई है पर अभी भी डॉलर को सबसे ज्यादा खतरा यूरो से ही है। लगभग 700 मिलियन लोगों द्वारा रोज इस मुद्रा का उपयोग किया जाता है। यूरोपीय देशों में जारी संकट से दुनिया में डॉलर की मांग बढ़ी है। एक यूरो की कीमत बाजार में 1.35 यूएसडी है।
पाउंड : पाउंड यूके की अधिकारिक मुद्रा है। यूरो के प्रचलन में आने के बाद दुनिया में पाउंड का कद घटा है फिर भी डॉलर, यूरो और येन के बाद फॉरेन एक्सचेंज में इसी मुद्रा का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है। शाही परिवार की मुद्रा होने के कारण अब भी यूरोप में इसकी पूछपरख बरकरार है। यूरोप में कर्ज संकट को देखते हुए यूरोपवासियों को उम्मीद है कि यूके पाउंड उन्हें इस संकट से निकालने में मदद करेगा। एक पाउंड का वर्तमान मूल्य 1.56 यूएसडी है।
युआन : हाल के दिनों में अमेरिका को सबसे ज्यादा परेशान अगर किसी देश ने किया है तो वो चीन है। चीन की अधिकारिक मुद्रा युआन है, जिसकी मजबूती के कारण डॉलर को भी नाकों तले चने चबाना पड़े हैं। 2010 की तुलना में युआन 5 प्रतिशत अधिक मजबूत हुआ है। चीन की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के कारण भी विश्व बाजार में इसकी मांग बढ़ी है। एसएंडपी द्वारा डॉलर की रेटिंग घटाने के और यूरोप के कर्ज संकट को देखते हुए चीन के बाहर भी युआन की मांग बढ़ी है। युआन का मूल्य कम बना रहे इसके लिए चीन सरकार भी समय समय पर प्रयास करती रहती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में 1 युआन का मूल्य 0.156 यूएसडी है।
येन : विश्व मुद्रा बाजार में जापानी मुद्रा येन का प्रभाव लंबे समय से बना हु्आ है। डॉलर और यूरो के बाद फॉरेन एक्सचेंज में येन का ही नंबर आता है। निर्यात आधारित जापानी अर्थव्यवस्था की मजबूती का सबसे बड़ा कारण मजबूत येन है। पिछले साल अगस्त में जब येन के भाव तेजी से बढ़ रहे थे तो इसकी बढ़ती कीमत थामने के लिए बैंक ऑफ जापान ने व्यापारिक बैंकों को उधार देना शुरू कर दिया था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक येन का मूल्य 0.013 यूएसडी है।
रुपया : दुनिया की तेजी से उभरती भारतीय अर्थव्यवस्था की बागडोर रुपए के हाथ में है। साथ ही पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, मॉरीशस आदि भारत के आसपास की मुद्रा भी रुपए के नाम से जानी जाती है। अमेरिकी की लगातार बिगड़ती हालत और कर्ज में डूबी यूरोपीय अर्थव्यवस्था को देखते हुए दुनिया के सभी देशों की नजर युआन और रुपए पर लगी हुई हैं। अभी मंदी का माहौल है और कहा जा रहा है कि जब तेजी आएगी तो उन्हीं देशों में लोग धन लगाना पसंद करेंगे जहां की स्थिति मजबूत है। इस दृष्टि से रुपए का भविष्य बहुत उज्जवल नजर आ रहा है। एक रुपए का वर्तमान मूल्य 0.020 यूएसडी है।