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सत्यम ने पहुँचाई निवेशकों को ठेस

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वेबदुनिया डेस्

सत्यम कंप्यूटर के निदेशक रामलिंगा राजू ने कंपनी बोर्ड की बैठक से पहले ही इस्तीफा दे दिया, ‍जिससे पूरे व्यापार जगत में हड़कंप मच गया। अपने त्यागपत्र में उन्होंने पिछले लंबे समय से कंपनी में चली आ रही वित्तीय अनियमितताओं का विस्तार से उल्लेख किया है। वास्तव में सत्यम ने निवेशकों के साथ छल किया है, जिसकी कीमत भारतीय शेयर बाजार को चुकानी पड़ सकती है। सत्यम की बेईमानी की आँच कई और कंपनियाँ भी महसूस करेंगी।

राजू के त्यागपत्र में उन्होंने स्वीकार किया कि सत्यम की बैलेंस शीट में बहुत हेराफेरी की गई। सितंबर माह जारी की गई तिमाही में फर्जी आँकड़े दिखाए गए। कंपनी की बैलेंस शीट में 5040 करोड़ रुपए की फर्जी इंट्री की गई। कंपनी का कुल मुनाफा गलत बताया गया। 61 करोड़ के मुनाफे को 588 करोड़ रुपए बताया गया।

राजू के इस्तीफे के साथ ही देश की चौथी सबसे बड़ी आईटी कंपनी के शेयरों के भाव जल्द ही जमीन पर आ गए। रामलिंगा राजल, जो कुछ दिन पहले पत्र लिखकर अपने कर्मचारियों से समर्थन की गुहार लगा रहे थे आज खुद ही मान रहे हैं कि वे सत्यम के झूठे आँकड़े पेश करके निवेशकों को धोखा दे रहे थे।

क्या होगा प्रभाव- सत्यम में धोखाधड़ी की बात उजागर होने के बाद भारतीय बाजारों में तेजी से गिरावट आई। नए साल में बाजार की बहार देखने की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा। सत्यम का धोखाधड़ी प्रकरण पहले ही मंदी की मार झेल रहे बाजार के लिए अभिशाप साबित हो सकता है। विदेशी निवेशक जो भारतीय बाजारों को अपने निवेश से नई ऊँचाई देते आए हैं, वे इस घटना के बाद बाजार पर अपना विश्वास कायम रख पाएँगे? यह एक अहम सवाल है।

सत्यम की इतनी बड़ी हेराफेरी की कीमत अन्य भारतीय कंपनियों को भी चुकानी पड़ सकती है। सत्यम कोई मिडकैप यास्माल कैप कंपनी नहीं है, बल्कि यह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड देश की अग्रणीय आईटी कपंनी है। जब इतने बड़े स्तर पर कंपनी के चेयरमैन बैलेंसशीट में हेराफेरी कर सकते हैं तो छोटे स्तर पर तो कई गड़बड़ियाँ हो सकती हैं।

सवाल यह है कि सत्यम की गड़बड़ी के बाद आम निवेशकों के साथ विदेशी निवेशक कैसे अन्य कंपनियों पर यकीन करें। निवेशक जब अपनी गाड़ी कमाई शेयर बाजार में लगा रहे हैं तो उनका चिंतित होना स्वाभाविक है। सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) के नियमों को एक बार फिर धता बाताया गया है। सेबी को इस संदर्भ में कड़े नियम बनाने ही होंगे, साथ ही सत्यम मामले में वित्तमंत्रालय का हस्तक्षेप जरूरी है। सत्यम की धोखाधड़ी वैश्विक स्तर पर भारतीय कंपनियों की छवि खराब कर सकती है। सेबी ने खुद सत्यम के खुलासे पर हैरानी जताई है। ऐसे में क्या आम निवेशक उस सिक्योरिटी सिस्टम (सेबी) के नियम-कायदों पर यकीन कर पाएगा, जो निवेशकों का धन सुरक्षित कंपनी में लगा होने का आश्वासन देता है।

इसके अलावा कई अहम सवाल हैं, जिनका जवाब शेयर बाजार में अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा लगाने वाला हर निवेशक जानना चाहता है।

1. सत्यम की बैलेंसशीट में गड़बड़ी के बाद ऑडिटर के खिलाफ क्या कदम उठाए जाएँगे?
2. क्या सत्यम निवेशकों को हुए नुकसान की भरपाई कर पाएगी?
3. इतनी बड़ी कंपनी में वित्तीय अनियमितताएँ चलती रहीं और सेबी ने कोई सुध नहीं ली?
4. क्या अन्य कंपनियाँ भी सत्यम की तरह हेराफेरी कर रही हैं?
5. क्या सत्यम की धोखाधड़ी की कीमत शेयर बाजार को चुकानी पड़ेगी?

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