हिमाचल प्रदेश में राज्य प्रशासित मंदिरों को श्रद्धालुओं से दान में मिले सोना-चाँदी का कुछ हिस्सा बेचने की पहली बार अनुमति दी गई है, ताकि इन मंदिरों की देखरेख बेहतर ढंग से की जा सके।
‘हिमाचल प्रदेश हिंदू लोक धार्मिक संस्थान एवं धर्मार्थ चंदा कानून, 1984’ में संशोधन के जरिए मंदिरों को सोना-चाँदी का कुछ हिस्सा बेचने की अनुमति दी गई। इस संशोधन विधेयक को 9 अप्रैल को पेश किया गया जिसे बहुमत से पारित कर दिया गया।
कानून में संशोधन से अब मंदिर प्रबंधन मंदिर न्यासियों के पास जमा सोने एवं चाँदी को गलाकर उसे पारदर्शी ढंग से बेच सकेंगे।
विधेयक में प्रावधान है कि 10 प्रतिशत सोना मंदिर से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, जबकि 20 प्रतिशत हिस्सा स्टेट बैंक की गोल्ड बांड स्कीम में निवेश किया जाएगा। वहीं 70 प्रतिशत हिस्सा मंदिर में रखा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में शिमला में जाखू, तारादेवी और संकट मोचन मंदिर, बिलासपुर में नैनादेवी, कांगड़ा में चामुंडा देवी, बृजेश्वरी देवी एवं ज्वालाजी, उना में चिंतापूर्णी और हमीरपुर में बाबा बालकनाथ जैसे करीब तीन दर्ज से अधिक बड़े मंदिर राज्य प्रशासन के नियंत्रण में हैं। (भाषा)