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8.5 फीसद की वृद्धि दर आसान नहीं

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नई दिल्ली , बुधवार, 2 जून 2010 (23:47 IST)
मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन का मानना है कि कई अनिश्चितताओं की वजह से चालू वित्त वर्ष में 8.5 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करना आसान नहीं होगा।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चालू वित्त वर्ष में 8. 5 फीसद वृद्धि का अनुमान लगाया है। यह पूछे जाने पर कि क्या 8. 5 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल हो पाएगी, सेन ने कहा, ‘निवेश तेजी से बढ़ा है, पर इसके स्थायित्व पर सवालिया निशान है। रिण बढ़ रहा है पर यह उतनी तेजी से नहीं है कि 8. 5 फीसद की जीडीपी दर हासिल हो सके।’

उन्होंने कहा कि कई तरह की अनिश्चितताएँ और सवालिया निशान हैं। सेन ने कहा कि विकास को गति देने वाले कारक कमजोर हैं, क्योंकि उपभोक्ता माँग उतनी तेज नहीं है।

बीते वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर 7. 4 प्रतिशत रही है। 2008-09 में वृद्धि दर घटकर 6. 7 फीसद रह गई थी। इससे पिछले तीन वित्त वर्षों में आर्थिक वृद्धि दर नौ प्रतिशत से उँची रही थी।

चालू वित्त वर्ष में दो अंक की औद्योगिक वृद्धि हासिल करने की संभावना के बारे में सेन ने कहा कि यह संभव नहीं लगता।‘पिछले वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 16 प्रतिशत रही थी। लेकिन यह पिछले वर्ष के कमजोर आधार की वजह से था।’

महँगाई के बारे में पूछे गए सवाल पर सेन ने कहा कि मुद्रास्फीति और नहीं बढ़ेगी। आपूर्ति कम होने की वजह से जब माँग बढ़ती है, तो महँगाई भी बढ़ती है। ‘पर अब माँग को लेकर कोई दबाव नहीं है। हमने पिछले पाँच माह में भारी निवेश किया है। इससे आपूर्ति बढ़ेगी।’ (भाषा)

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