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8 प्रतिशत की वृद्धि दर पर लौट आएगा भारत- पी. चिदंबरम

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, गुरुवार, 18 अप्रैल 2013 (17:08 IST)
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न्यूयॉर्क। भारतीय अर्थव्यवस्था में नरमी को अस्थाई बताते हुए वित्तमंत्री पी.चिदंबरम ने गुरुवार को कहा कि यह 2 साल में 8 प्रतिशत की वृद्धि दर पर लौट आएगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत सालाना 50 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश खपा सकता है।

चिदंबरम ने चालू खाते के घाटे का अधिक होने की वास्तविकता को स्वीकारते हुए कहा है कि सरकार ने इसके घटाने के लिए कोई समयसीमा या लक्ष्य नहीं रखा है। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि तेल की कीमतों में नरमी से यह घाटा घटाने में मदद मिलेगी हो 2012-13 में बढ़कर जीडीपी का लगभग 5 प्रतिशत हो गया।

यहां अंतरराष्ट्रीय मीडिया को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने कहा कि सरकार क्षेत्रवार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सीमा की समीक्षा कर रही है।

उन्होंने कहा कि भारत 8 प्रतिशत की संभावित वृद्धि दर हासिल करने को तैयार खड़ा है और देश ने विदेशी निवेश की कोई सीमा तय नहीं की है। उन्होंने कहा कि देश के रूप में हम 50 अरब डॉलर का निवेश 1 साल या अधिक अवधि में खपा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा प्रवाह के लिहाज से पहली वरीयता एफडीआई की है, उसके बाद एफआईआई व विदेशी वाणिज्यिक उधारी है। एफडीआई किसी भी अन्य देश की तरह भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है।

चिदंबरम ने इसी सप्ताह कनाडा व अमेरिका में निवेशकों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि भारतीय नरमी फौरी है। मैं इस सवाल की वैधता से सहमत हूं लेकिन हमारे पास जवाब है। 2004 से 2012 के दौरान 6 साल के लिए हमारी वृद्धि दर 8 प्रतिशत रही जबकि 4 साल से यह दर 9 प्रतिशत थी।

उन्होंने कहा कि हम इसी साल 6 प्रतिशत की दर पर लौटेंगे। 2012-13 में दिखी नरमी स्थाई नहीं है तथा अनुमान बेहतरी का संकेत देते हैं। चालू खाते के घाटे को कम करने के लिए कोई लक्ष्य तय नहीं किया गया है और उम्मीद जताई गई है कि 2012-13 में यह जीडीपी का लगभग 5 प्रतिशत होगा।

उन्होंने कहा कि चालू खाते के घाटे के बड़े आकार को मैं जानता हूं और इसे 2.5 प्रतिशत पर लाने के लिए हमें कुछ समय चाहिए। यह साल-दो साल में हो सकता है। इसका कोई आंकड़ा नहीं है। सावधानी इसको 2.5 प्रतिशत या इसके आसपास रखने में है। कोई लक्ष्य तारीख नहीं है।

उन्होंने कहा कि 2012-13 की तीसरी तिमाही में यह घाटा काफी ऊंचा रहा था, लेकिन चौथी तिमाही इस लिहाज से बेहतर रहने की उम्मीद है। यह घाटा आयात की लागत तथा निर्यात में वृद्धि सहित कई कारकों पर निर्भर करता है।

भारत तथा वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतों के सवाल पर वित्तमंत्री ने कहा कि इनमें गिरावट है लेकिन आशंका भी है कि लोग और अधिक सोना आयात कर सकते हैं।

चिदंबरम ने 2012-13 के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान 6.1 प्रतिशत से 6.7 प्रतिशत के बीच रखे। चिदंबरम ने भारतीय व अमेरिकी मीडिया द्वारा पूछे गए अनेक सवालों का जवाब इस दौरान दिया। पिछले कुछ साल में भारत में निवेश के कमी के सवाल पर चिदंबरम ने कहा कि यह तो उनके खुद के मुद्दों या घरेलू समस्याओं के कारण हुआ है।

उन्होंने कहा कि वे (निवेशक) और सचेत हो गए हैं और उन्हें अपने संसाधनों के लिए धन चाहिए। उनकी अर्थव्यवस्थाओं को अधिक धन की जरूरत है। भारत में भ्रष्टाचार के बढ़ते मामलों तथा बुनियादी ढांचे में कमी को लेकर जताई जा रही चिंताओं पर चिदंबरम ने कहा कि निश्चित रूप से भ्रष्टाचार है।

उन्होंने कहा कि निवेशकों के साथ बैठकों में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा, लेकिन यह मुख्य मुद्दा नहीं था। बीते दो दिन में अगर भ्रष्टाचार पर 2 सवाल पूछे गए तो 20 सवाल ढांचागत विकास पर थे।

उन्होंने कहा कि भारत को अगले 5 साल में केवल ढांचागत परियोजनाओं में ही 1000 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी। इसमें से 47 प्रतिशत निजी क्षेत्र से जबकि बाकी सार्वजनिक क्षेत्र से आएगा।

उन्होंने कहा कि एक समिति विभिन्न क्षेत्रों में एफडीआई की अधिकतम सीमा की समीक्षा कर रही है। समिति की रिपोर्ट के बाद अनेक क्षेत्रों की एफडीआई सीमा में बदलाव हो सकता है।

लंबित बीमा तथा पेंशन विधेयक के सवाल पर उन्होंने कहा कि विधेयक पहले ही संसद में है और उन्होंने इस बारे में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज तथा अरुण जेटली से विचार-विमर्श किया था। इन नेताओं ने अपनी पार्टी में आंतरिक विचार-विमर्श के बाद राय देने का वादा किया है।

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