नई दिल्ली। वाहन कलपुर्जा कंपनियों के संगठन एक्मा के अनुसार, इलेक्ट्रिक वाहनों पर सरकार के जोर और ऑटोमेशन बढ़ने के कारण इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर में 50 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।
एक्मा के अध्यक्ष रत्तन कपूर ने गुरुवार को यहां उद्योग के प्रदर्शन के आंकड़े जारी करने के बाद यूनीवार्ता से बातचीत में कहा कि इस समय वाहन कलपुर्जा उद्योग में करीब 15 लाख लोग सीधे रोजगार कर रहे हैं। इसके अलावा 15 लाख से ज्यादा को परोक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त हैं।
पहले उद्योग ने अनुमान लगाया था कि वर्ष 2026 तक इस उद्योग में 60 लाख लोगों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रोजगार मिलेगा। लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों पर सरकार के जोर से लगता है कि यह लक्ष्य हासिल नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि रोजगार के नए अवसर लगभग थम से जाएंगे और वर्ष 2030 के बाद इसमें कमी आनी शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि हालांकि रोजगार के अवसर कम होंगे, लेकिन गुणवत्ता बढ़ जाएगी। कर्मचारियों का वेतन बढ़ेगा और कौशल के स्तर पर उनसे अपेक्षा भी बढ़ जाएगी।
कपूर ने कहा कि वाहन कलपुर्जा उद्योग के सामने सरकार की नीतियों में अस्थिरता, निवेश और कुशल मानव संसाधन की कमी जैसी चुनौतियां हैं। अभी इस उद्योग का राजस्व 43.5 अरब डॉलर है जिसे 200 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लिए 30 से 40 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत है।
एक तरफ कंपनियों ने भारत स्टेज-6 के मानकों के अनुसार कलपुर्जों के निर्माण पर निवेश शुरू कर दिया है तो दूसरी तरफ उन्हें पारंपरिक वाहनों के कलपुर्जों के जगह इलेक्ट्रिक वाहनों के कलपुर्जों की तरफ कदम बढ़ाना होगा अन्यथा उनका अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। मसलन एग्जॉस्ट बनाने वाली कंपनियों की जरूरत धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि एक्मा के 8 सितंबर को होने वाले वार्षिक सम्मेलन में सभी सदस्य कंपनियों को वैकल्पिक कलपुर्जों के बारे में जानकारी दी जाएगी जिसके विनिर्माण में वे उतर सकती हैं। (वार्ता)