28वीं जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में जीएसटी के लिए कुछ अच्छे निर्णय लिए हैं। इनमें कुछ नोटिफिकेशन से लागू होंगे और कुछ संसद में पास होने पर लागू होंगे जैसे-
ज्यादातर व्यापारी कम्पोजिशन लेते हैं उनकी वर्तमान लिमिट 1 करोड़ से बढ़ाकर 1.50 करोड़ कर दी जाएगी। इनको बुक्स रखने की आवश्यकता भी खत्म करना चाहिए।
अब जो लोग ट्रेडिंग के साथ दलाली भी करते हैं उन्हें टर्नओवर का 10% या 5 लाख वार्षिक दलाली होने पर या सर्विस सेक्टर की आय होने पर भी कम्पोजिशन लेने की पात्रता रहेगी। यह बहुत ही प्रैक्टिकल और अनिवार्य संसोधन है।
सबसे बड़ी रिवर्स चार्ज की परेशानी थी जिसमें कहा गया है कि अब नाम के साथ गुड्स को बताएंगे कि इस पर रिवर्स चार्ज लगेगा। बाकी जो नोटिफाइड नहीं रहेंगे उसमें किसी अनरजिस्टर्ड से खरीदी पर रिवर्स चार्ज नहीं लगेगा। यह बहुत अच्छा परिवर्तन रहेगा।
अब एक ही प्रदेश में आप अलग-अलग बिजनेस के लिए अलग-अलग रजिस्ट्रेशन ले सकते हैं जिससे रिटर्न भरने में डाटा में हाच-पाच नहीं होगा
ई-कॉमर्स में नए बच्चे बहुत आ रहे हैं। उन्हें अब जीएसटी रजिस्ट्रेशन 20 लाख के टर्नओवर के नीचे नहीं कराना पड़ेगा। हां, यदि TCS की लायबिलिटी आती है तो कराना है।
अब जिसने रजिस्ट्रेशन कैंसल कराने का आवेदन लगाया है और प्रक्रिया प्रोसेस में है तो उसे इसके बाद के रिटर्न वगैरह भरने नहीं पड़ेंगे। कई लोगों ने माइग्रेशन के दौरान जरूरत नहीं होने पर भी रजिस्ट्रेशन लिया था उन्हें राहत रहेगी।
अब स्पष्ट कर दिया है कि भारत की सीमा के बाहर ही खरीदी-बिक्री की है जिसे हाई सीज क्रय-विक्रय कहते हैं, तो उसे खरीदी या बिक्री नहीं मानेंगे। मतलब यह जीएसटी टर्नओवर में शामिल नहीं होगा और जीएसटी नहीं लगेगा। भारत की सीमा पर माल आने पर ही जीएसटी टैक्स लगेगा।
जीएसटी लॉ का शेड्यूल 3 में दी गई एक्टिविटी को जीएसटी में क्रय-विक्रय नहीं माना गया है, जैसे कम्पलीशन सर्टिफिकेट मिलने के बाद जमीन या बिल्डिंग बेचने पर।
अब जीएसटी में इन एक्टिविटी को पूरा करने के लिए की गई खरीदी पर इनपुट टैक्स क्रेडिट दिया जाएगा। अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि इस ITC का रिफंड मिलेगा या नहीं, क्योंकि सप्लाई तो यह रहेगी ही नहीं।
अब 13 व्यक्ति से ज्यादा कैपेसिटी वाली गाड़ी खरीदने पर ITC मिलेगा, भले ही यह पैसेंजर के उपयोग की नहीं हो। अब स्पष्ट हो गया है कि मोटर व्हीकल को मेंटेन करने के जो खर्चे लगते है उस पर ITC की पात्रता रहेगी, जैसे इंश्यूरेंस, रिपेयर वगैरह।
अब सबसे बड़ा कंफ्यूजन है कि यदि मालिक एम्प्लॉयी को सर्विस की कंडिशन के अंतर्गत कोई गुड्स देता है तो उस पर ITC मिलेगा। मतलब यदि मोटर व्हीकल एम्प्लॉयी को प्रोवाइड किया तो क्या होगा। इसका स्पष्टीकरण बाद में आएगा।
अब उधारी का पैसा 180 दिन में नहीं चुकाने पर सिर्फ टैक्स राशि को रिवर्स करना होगा। पहले ब्याज भी देना होता था। अब इस राशि पर ब्याज नहीं देना होगा। यह एक लॉजिकल सही संसोधन है।
अब अलग-अलग बिलों के लिए अलग-अलग डेबिट/ क्रेडिट नोट नहीं देना होंगे। सभी इनवॉइस का इकट्ठा एक ही नोट बनाया जा सकेगा। एक बहुत ही अच्छा अमेंडमेंट आया है, क्योंकि लोगों को टारगेट सेल पर, जो इंसेंटिव सालभर बाद तय होता था और मिलता था, वे लोग रिवर्स में सप्लायर की सर्विस का बिल दे देते थे। अब इससे कागजी कार्रवाई से निजात मिल गई है।
कमिश्नर को पॉवर दिया है, जॉब वर्क पर माल दिया और यदि वह समयसीमा में वापस नहीं आया तो उसको विक्रय मानकर टैक्स देना होता है। उसकी समयसीमा एक वर्ष के लिए और कमिश्नर साहब की स्वीकृति से बढ़ाई जा सकेगी।
अब सर्विस का एक्सपोर्ट किया है लेकिन पैसा भारतीय रुपए में आया है तो भी उसे एक्सपोर्ट की श्रेणी में माना जाएगा।
अब भारत में कोई सामान रिपेयर के लिए विदेश से आता है और उसे रिपेयर करके वापस भेजा जाता है तो इसकी प्लेस ऑफ सप्लाई भारत के बहार मानी जाएगी, मतलब इससे जो पैसा मिलेगा उसको एक्सपोर्ट माना जाएगा।
जो लोग प्रॉविजनल रूप से जीएसटी में आ गए थे लेकिन उन्होंने परमानेंट जीएसटी नंबर नहीं कराया है, वे लोग अब 31 अगस्त तक अधिकारी से मिलकर इसे परमानेंट करा सकते हैं। उन्हें रिटर्न फॉर्म नहीं भरने की लेट फीस से छूट के रूप में वापस मिल जाएगी। एक बार तो भरना पड़ेगी।
ऐसे कई मुद्दे हैं जिस पर जीएसटी कौंसिल ने संज्ञान नहीं लिया है, जैसे एग्रीगेट टर्नओवर की परिभाषा में संशोधन की बहुत ज्यादा जरूरत है, क्योंकि कई लोग जीएसटी टैक्स फ्री की आइटम्स और जीएसटी लगने वाली दोनों आइटम्स में काम करते हैं और वे कम्पोजिशन की लिमिट से बाहर हो जाते हैं, जैसे किराने वाले, दूध वाले वगैरह।
टैक्स रेट में रिडक्शन : सबसे बड़ा चेंज आया कि होटल रूम किराए से देने वालों को अब टैरिफ लिस्ट पर जीएसटी नहीं लेना है। अब जो एक्चुअल पेमेंट लिया है उसी आधार पर टैक्स की दर तय होगी, क्योंकि यह इंडस्ट्री सीजन पर बहुत आधारित होती है।
घरेलू खर्चो में कमी लाने के उद्देश्य से अब घरेलू उपयोग की इलेक्ट्रॉनिक चीजों पर 28% से घटाकर 18% जीएसटी किया है जिसमें फ्रिज, गीजर, मिक्सर, 68 सेमी से. तक के टेलीविजन, पेंट, वॉर्निश, वॉटर कूलर, वॉशिंग मशीन, क्रैन लॉरी, ट्रेलर, कांक्रीट मिक्सर लॉरी और कई कॉस्मेटिक और टॉयलेट उपयोग की वस्तुए शामिल हैं।
1,000 तक की रिटेल सेल प्राइस के जूते-चप्पल पर 5% जीएसटी लगेगा। इसके ऊपर प्राइस पर 18% जीएसटी लगेगा। एक जूते पर नहीं, दोनों जूतों की प्राइस लेना है।
कई आइटम्स पर जीएसटी की दर घटाकर 5%, 12%, 18% नील रेट की गई है जिसमें स्टोन की मूर्तियां शामिल हैं। घरेलू आइटम्स को अत्यधिक प्राथमिकता दी गई है।
रिटर्न का सरलीकरण किया : 5 करोड़ तक टर्नओवर वालों को अब तिमाही सिम्पल रिटर्न की सुविधा, टैक्स माहवारी भरने की सुविधा, 24 घंटे ऑनलाइन बिल अपलोड की सुविधा, अपलोडेड बिल को खरीददार लॉक करके ITC ले सकता है।
यदि क्रय-विक्रय नहीं है, तो SMS करके रिटर्न फाइल कर सकते हैं। अब गलती को सुधारने के लिए एक नया रिटर्न जिसे अमेंडमेंट रिटर्न कहेंगे, उसके माध्यम से गलती को सुधारा जा सकता है और टैक्स का पेमेंट कर सकते हैं ताकि ब्याज न लगे। नया सहज एव सुगम फॉर्म लाया गया है जिससे सिम्पल व्यापारी को बहुत कम चीजें फिल करना होंगी।