गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) एक अप्रत्यक्ष कर यानी इंडायरेक्ट टैक्स है। जीएसटी के तहत वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान टैक्स लगाया जाता है। यह केंद्र और राज्यों द्वारा लगाए गए 20 से अधिक अप्रत्यक्ष करों के एवज में लगाया जा रहा है। जीएसटी 1 जुलाई से पूरे देश में लागू हो जाएगा। जीएसटी लगने के बाद कई सेवाओं और वस्तुओं पर लगने वाले टैक्स समाप्त हो जाएंगे।
150 से ज्यादा देशों में लागू है जीएसटी : विश्व के लगभग 160 देशों में जीएसटी की कराधान व्यवस्था लागू है। भारत में इसका विचार अटलबिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा साल 2000 में लाया गया था। यूरोपियन यूनियन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और चीन जैसे देशों में भी यह लागू है, लेकिन भारत में अब भी बंगाल और बिहार ने प्रस्तावित जीएसटी कानून को लेकर आपत्ति जताई है। जम्मू-कश्मीर सरकार ने भी अभी जीएसटी को हरी झंडी नहीं दी है। देश में 8 साल से इस बात को लेकर बहस चल रही है कि टैक्स की दर को कौन निर्धारित करेगा और यह कितनी होगी?
कनाडा के मॉडल की बात की जाए तो वहां टैक्स की दरों का निर्धारण केंद्र सरकार करती है, लेकिन राज्य की सरकारों को इसे लागू करने या न करने की छूट रहती है, वहीं ऑस्ट्रेलिया में केंद्र की सरकार ही जीएसटी का निर्धारण करती है और खुद ही वसूलती है। इसके बाद टैक्स में राज्यों की हिस्सेदारी के अनुसार उन्हें उनका हिस्सा दिया जाता है।
क्या होंगे इसके फायदे : जीएसटी लागू होने से उत्पादों की कीमत कम होगी। इससे पहले केंद्र और राज्य सरकारें अपने हिसाब से वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स लगा सकती थीं। अगर कोई कंपनी या कारखाना एक राज्य में अपने उत्पाद बनाकर दूसरे राज्य में बेचता है तो उसे कई तरह के टैक्स दोनों राज्यों को चुकाने होते थे, जिससे उत्पाद की कीमत भी बढ़ जाती थी। नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक जीएसटी लागू होने से देश की जीडीपी में एक से पौने दो फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
किन उत्पादों पर लागू होगा जीएसटी : 2014 में पास संविधान के 122वें संशोधन के मुताबिक जीएसटी सभी तरह की सेवाओं और वस्तुओं/ उत्पादों पर लागू होगा। सिर्फ अल्कोहल यानी शराब इस टैक्स से बाहर होगी।
कैसे काम करेगा जीएसटी : जीएसटी में तीन अंग होंगे – केंद्रीय जीएसटी, राज्य जीएसटी और इंटीग्रेटेड जीएसटी। केंद्रीय और इंटीग्रेटेड जीएसटी केंद्र लागू करेगा जबकि राज्य जीएसटी राज्य सरकारें लागू करेंगी।
जीएसटी की जरूरत क्यों : हालांकि जीएसटी भी वैट जैसा ही टैक्स है, लेकिन इसके लागू होने से कई और तरह के टैक्स नहीं लगेंगे। इतना ही नहीं जीएसटी लागू होने से अभी लगने वाले वैट और सेनवेट दोनों खत्म हो जाएंगे। जीएसटी लागू होने से सबसे बड़ा फायदा आम आदमी को होगा पूरे देश में किसी भी सामान को खरीदने के लिए एक ही टैक्स चुकाना होगा। यानी पूरे देश में किसी भी सामान की कीमत एक ही रहेगी। जैसे कोई कार अगर आप दिल्ली में खरीदते हैं तो उसकी कीमत अलग होती है, वहीं किसी और राज्य में उसी कार को खरीदने के लिए अलग कीमत चुकानी पड़ती है। इसके लागू होने से कोई भी सामान किसी भी राज्य में एक ही रेट पर मिलेगा।
कर विवाद में कमी : जीएसटी से कई बार टैक्स देने से छुटकारा मिल जाएगा। इससे कर की वसूली करते समय कर विभाग के अधिकारियों द्वारा कर में हेराफेरी की संभावना भी कम हो जाएगी। एक ही व्यक्ति या संस्था पर कई बार टैक्स लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सिर्फ इसी टैक्स से सारे टैक्स वसूल कर लिए जाएंगे। इसके अलावा जहां कई राज्यों में राजस्व बढ़ेगा तो कई जगह कीमतों में कमी भी होगी।
कम होगी सामान की कीमत : इसके लागू होने से टैक्स का ढांचा पारदर्शी होगा जिससे काफी हद तक टैक्स विवाद कम होंगे। इसके लागू होने के बाद राज्यों को मिलने वाला वैट, मनोरंजन कर, लग्जरी टैक्स, लॉटरी टैक्स, एंट्री टैक्स आदि भी खत्म हो जाएंगे। फिलहाल जो सामान खरीदते समय लोगों को उस पर 30-35 प्रतिशत टैक्स के रूप में चुकाना पड़ता है वह भी घटकर 20-25 प्रतिशत पर आ जाने की संभावना है। जीएसटी लागू होने पर कंपनियों और व्यापारियों को भी फायदा होगा। सामान एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। जब सामान बनाने की लागत घटेगी तो इससे सामान सस्ता भी होगा।
किसको होगा नुकसान :
* जीएसटी लागू होने से केंद्र को तो फायदा होगा लेकिन राज्यों को इस बात का डर था कि इससे उन्हें नुकसान होगा क्योंकि इसके बाद वे कई तरह के टैक्स नहीं वसूल पाएंगे जिससे उनकी कमाई कम हो जाएगी।
* पेट्रोल व डीजल से तो कई राज्यों का आधा बजट चलता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र ने राज्यों को राहत देते हुए मंजूरी दे दी है कि वे इन वस्तुओं पर शुरुआती सालों में टैक्स लेते रहें। राज्यों का जो भी नुकसान होगा, केंद्र उसकी भरपाई पांच साल तक करेगा।
एक नजर में जीएसटी के बारे में
* जीएसटी लागू होने के बाद सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी (सीवीडी), स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम (एसएडी), वैट/सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, मनोरंजन टैक्स, ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लक्ज़री टैक्स खत्म हो जाएंगे।
* जीएसटी लागू होने के बाद वस्तुओं एवं सेवाओं पर केवल तीन तरह के टैक्स वसूले जाएंगे। पहला सीजीएसटी, यानी सेंट्रल जीएसटी, जो केंद्र सरकार वसूलेगी। दूसरा एसजीएसटी, यानी स्टेट जीएसटी, जो राज्य सरकार अपने यहां होने वाले कारोबार पर वसूलेगी।
* जो कोई कारोबार अगर दो राज्यों के बीच होगा तो उस पर आईजीएसटी, यानी इंटीग्रेटेड जीएसटी वसूला जाएगा। इसे केंद्र सरकार वसूल करेगी और उसे दोनों राज्यों में समान अनुपात में बांट दिया जाएगा।
* जीएसटी लागू होने से हर प्रकार की खरीद-फरोख्त इस कर व्यवस्था के तहत आ जाएगी, जिससे लोगों के लिए करों की चोरी कर पाना आसान नहीं होगा। जीएसटी काले धन से निपटने के लिए एक मजबूत हथियार साबित होगा।
* जीएसटी आजादी के बाद टैक्स सुधार का सबसे बड़ा कदम है। इससे जीडीपी में वृद्धि और रोजगारों का सृजन होगा। 13वें केंद्रीय वित्त आयोग की रिपोर्ट के अनुसार जीएसटी से कर संकलन में हो रहे कई तरह के व्यर्थ के खर्चों को रोकने में भी इससे सहायता मिलेगी और इससे राज्यों की आर्थिक हालात में सुधार होगा।
* जानकारों की राय में शुरुआती तीन सालों में जीएसटी महंगाई बढ़ाने वाला टैक्स साबित होगा। जैसा मलेशिया और अन्य देशों के उदाहरणों से स्पष्ट है। अभी हम सारी सेवाओं पर लगभग 14.5 फीसदी सर्विस टैक्स दे रहे हैं, जो जीएसटी लागू होने पर 18% से 22% के बीच हो जाएगा।
* खाने के कई सामानों पर टैक्स नहीं लगाया जाता है और जीएसटी लागू होने के बाद भी कोई बदलाव की उम्मीद नहीं है, इसलिए अनाज की कीमतों में कोई बदलाव नहीं आएगा।
* जीएसटी का सबसे बड़ा फायदा जो दिख रहा है वह है कई करों के बजाय एक कर लगेगा। लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है कि आर्टिकल 246 ए संसद और सभी राज्यों के विधानसभाओं को यह अधिकार देता है कि वे सामान और सेवाओं पर कर लगा सकते हैं। ऐसे में कर को लेकर एक संसदीय कानून और 28 राज्य कानून हैं जो जीएसटी वसूल करेंगे। ऐसे में सबमें तालमेल नहीं बैठा तो नतीजे बुरे हो सकते हैं।
जीएसटी के साइड इफेक्ट :
* जीएसटी लागू होने के बाद सिनेमा हॉलों के टिकट, होटल का बिल, बैंकिंग सेवा, यात्रा टिकट आदि महंगी हो जाएंगी।
* अप्रत्यक्ष कर से सरकार की कमाई प्रत्यक्ष कर के मुकाबले कहीं ज्यादा है और इसका एक हिस्सा राज्यों को भी मिलता है, लेकिन इस कर प्रणाली में एक दिक्कत है। कई सामानों पर अप्रत्यक्ष टैक्स की दरों में एक राज्य से दूसरे राज्य में ही फर्क है। एक चीज़ के अलग अलग प्रोडक्ट पर कर की दर भी अलग-अलग है। अब राज्यों के बीच इस टैक्स की दरों में फर्क खत्म होने से कुछ सामानों की कीमतों में थोड़ा फेरबदल हो सकता है।
* जब भी किसी खाने की वस्तु को ब्रांड के रूप में बनाया जाएगा तो उस पर टैक्स जरूर लगेगा। तो गेहूं पर टैक्स नहीं लगेगा लेकिन अगर आटे का इस्तेमाल बिस्कुट के लिए किया जाएगा तो उस पर पहले की तरह ही जीएसटी लगेगा।
* छोटी गाड़ियों पर फिलहाल एक्साइज ड्यूटी 8 फीसदी लगती है जबकि एसयूवी जैसी बड़ी गाड़ियों पर ये दर 30 फीसदी है। साफ है कि अगर सभी राज्यों ने मिलकर जीएसटी की दर को 18 फीसदी तय किया तो छोटी गाड़ियां महंगी हो जाएंगी और बड़ी गाड़ियां सस्ती। राज्यों के बीच टैक्स दरों में फर्क खत्म होने के कारण अलग राज्य में गाडी रजिस्टर करके कम टैक्स देने की प्रथा भी खत्म हो जाएगी।
* सभी सर्विसेज यानी सेवाएं अब महंगी हो जाएंगी। टेलीकॉम, रेस्टोरेंट में खाना, हवाई टिकट, अस्पताल, स्टॉक ब्रोकर, ब्यूटी पार्लर, बीमा, ड्राई क्लीनिंग जैसी सेवाओं पर केंद्र सरकार सर्विस टैक्स लगाती है। स्वच्छ भारत टैक्स और किसान कल्याण सेस (उपकर) मिलाकर ऐसी 100 से भी ज्यादा सेवाएं हैं जिन पर टैक्स देना पड़ता है।
* तमिलनाडु जैसे राज्य को करीब 3500 करोड़ रुपए का सालाना घाटा सहन करना होगा। जीएसटी आने के बाद 1 फीसदी सेंट्रल सेल्स टैक्स को बंद करना पड़ेगा।
* महाराष्ट्र को सालाना 14000 करोड़ की कमाई आक्ट्राई यानी चुंगी (शहर में बाहर से आने वाले माल पर लगने वाला कर) से होती है। चुंगी यदि हट जाती है तो छोटे कारोबारियों का धंधा बिगड़ सकता है।
* लेकिन इन सब के जाने से राज्यों को एक नया हथियार मिलेगा। सर्विस टैक्स वसूलने का क़ानून के अनुसार सर्विस पर टैक्स लगाने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार हाथों से निकलकर जीएसटी आने के बाद यह अधिकार राज्यों को भी मिल सकता है।