नई दिल्ली। तेल-तिलहन की बढ़ती कीमतों को काबू में करने के प्रयास के तहत बीते सप्ताह कुछ खाद्य तेलों के आयात शुल्क में कमी की गई जिससे दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बिनौला तेल, सोयाबीन डीगम, पामोलिन और कच्चे पाम तेल (सीपीओ) सहित अधिकांश तेल-तिलहनों के भाव कमजोरी दर्शाते बंद हुए।
सरकार ने खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए देश में पाम तेल का उत्पादन बढ़ाने की दिशा में पहल की है। इसके अलावा पहले भी आयात शुल्क को कम करने के साथ पामोलिन के प्रतिबंधित आयात को फिर से शुरू किया है। लेकिन खाद्य तेलों का भाव ऊंचा बने रहने के कारण सरकार ने एक बार फिर आयात शुल्क में कमी की है ताकि भाव नरम हों और उपभोक्ताओं को राहत मिले।
सरकार की ओर से इस संबंध में जारी ताजा अधिसूचना के अनुसार सीपीओ, पामोलिन, सूरजमुखी, सोयाबीन डीगम और सोयाबीन रिफाइंड खाद्य तेलों के आयात शुल्क में 5.5 प्रतिशत तक की कमी की गई है। इस कमी की वजह से बीते सप्ताह सोयाबीन एवं मूंगफली तेल-तिलहन, बिनौला, पामोलिन और सीपीओ तेल कीमतों में गिरावट आई।
बाजार के जानकार सूत्रों का मानना है कि पिछले दिनों भी आयात शुल्क में कमी की गई थी लेकिन फिर भी बढ़ती कीमतें काबू में नहीं आईं। उनकी राय में आयात शुल्क में यह कमी सितंबर महीने के अंत तक के लिए ही की गई है जिसे कम से कम दिसंबर महीने तक के लिए किया जाना चाहिए था ताकि आयातकों को तेल के लिए ऑर्डर देने और आने में लगने वाले समय के साथ-साथ आयात शुल्क को लेकर एक निश्चिंतता होती। यदि आयातकों को लगेगा कि सितंबर के बाद आयात शुल्क घट-बढ़ सकता है तो आयात की खेप में आने वाले समय को ध्यान में रखकर वे आयात का ऑर्डर देने में हिचकिचाहट दिखा सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि सरकार ने पामोलिन आयात के लिए 31 दिसंबर तक की छूट दी है, जो कहीं बेहतर कदम है। उन्होंने कहा कि मलेशिया या इंडोनेशिया से सीपीओ पामोलिन के आने में तो लगभग 7-10 दिन लग जाते हैं, पर ब्राजील या अर्जेंटीना से सोयाबीन के आने में लदान और आने का समय मिलाकर लगभग 40-45 का समय लगता है। पामोलिन की छोटी खेपों का भी आयात संभव है, पर ब्राजील या अर्जेंटीना से बड़ी खेपों को ही मंगाया जा सकता है जिसके कारण भी समय ज्यादा लगता है। इसलिए इसके लिए भी दिसंबर महीने के अंत तक की छूट होनी चाहिए थी। इससे आयातक निश्चिंतता के साथ आयात कर पाते और तेलों के भाव काबू में आ सकते थे।
बाजार के आम रुख के विपरीत मांग बढ़ने और आपूर्ति घटने से बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 200 रुपए का लाभ दर्शाता 8,600-8,650 रुपए प्रति क्विंटल हो गया, जो पिछले सप्ताहांत 8,400-8,450 रुपए प्रति क्विंटल था। सरसों दादरी तेल का भाव 600 रुपए की मजबूती के साथ 17,600 रुपए क्विंटल हो गया। सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी के भाव क्रमश: 45-45 रुपए के सुधार के साथ समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 2,650-2,700 रुपए और 2,735-2,845 रुपए प्रति टिन (15 लीटर) पर बंद हुए। दूसरी ओर समीक्षाधीन सप्ताहांत के दौरान सोयाबीन दाना और लूज के भाव क्रमश: 600 रुपए और 400 रुपए की हानि दर्शाते क्रमश: 8,600-8,900 रुपए और 8,300-8,600 रुपए प्रति क्विंटल पर बंद हुए। आयात शुल्क में कमी होने के बाद सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 500 रुपए, 600 रुपए और 540 रुपए की हानि दर्शाते क्रमश: 14,500 रुपए, 14,300 रुपए और 13,000 रुपए प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली (तिलहन) के भाव 85 रुपए की हानि के साथ 6,735-6,880 रुपए पर पर बंद हुए। जबकि मूंगफली गुजरात 100 रुपए घटकर 15,470 रुपए प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड का भाव भी 25 रुपए घटकर 2,370-2,500 रुपए प्रति टिन पर बंद हुआ। समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 500 रुपए घटकर 11,400 रुपए क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलिन दिल्ली और पामोलिन कांडला तेल के भाव क्रमश: 430 रुपए और 420 रुपए की हानि दर्शाते क्रमश: 13,000 रुपए और 11,900 रुपए प्रति क्विंटल पर बंद हुए। पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बिनौला तेल की कीमत 650 रुपए घटकर 13,700 रुपए क्विंटल रह गई।(भाषा)