नई दिल्ली। वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन सियाम का कहना है कि पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन वाले वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने से रोजगार के अवसरों में कमी नहीं आएगी।
सियाम के अध्यक्ष और फोर्स मोटर्स के अध्यक्ष अभय फिरोदिया ने बताया कि सियाम इलेक्ट्रिक वाहनों के खिलाफ नहीं है। वह इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ बढ़ने की सरकार की राय से इत्तेफाक रखता है, लेकिन यह आज-कल में नहीं होने वाला है। इसमें समय लगेगा। उन्होंने कहा कि इससे रोजगार का नुकसान नहीं होगा।
फिरोदिया ने इस संबंध में पूछे जाने पर कहा, इलेक्ट्रिक वाहनों के आने से रोजगार में कमी नहीं आएगी। इससे सिर्फ कर्मचारियों के काम में बदलाव होगा। नए तरीके के रोजगार का सृजन होगा। उन्होंने कहा कि 90 के दशक में बैंकों का जब कंप्यूटरीकरण हो रहा था तो उस समय भी ऐसी आशंका जताई जा रही थी कि लोगों की नौकरियां चली जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आंतरिक दहन इंजन वाले वाहनों की तकनीक अलग है और इलेक्ट्रिक वाहनों की तकनीक अलग है, इसलिए लोगों को नए तरीके के रोजगार मिलेंगे।
आंतरिक दहन इंजन से सीधे पूर्ण इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ बढ़ने के सरकार के निर्णय के बारे में पूछे जाने पर सियाम अध्यक्ष ने कहा कि सरकार की नीतियां स्पष्ट हैं। अब भी हाइब्रिड (आंतरिक दहन इंजन और इलेक्ट्रिक इंजन का मिश्रण) वाहनों पर वह कम सब्सिडी दे रही है जबकि इलेक्ट्रिक वाहनों पर ज्यादा सब्सिडी मिल रही है। इससे स्पष्ट है कि सरकार की सोच क्या है।
उन्होंने कहा कि पूर्ण इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण के लिए पहले हाइब्रिड वाहनों की तकनीक विकसित करना जरूरी नहीं है। हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक बिलकुल अलग-अलग चीजें हैं और इन्हें जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।
फिरोदिया ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की दिशा में सरकारी नीति या प्रदूषण कम करने जैसे कारकों की तुलना में वैज्ञानिक प्रगति और प्रौद्योगिकी विकास कहीं बड़ा कारक साबित होंगे। उन्होंने कहा इलेक्ट्रिक वाहनों का परिचालन आज भी पारंपरिक वाहनों की तुलना में सस्ता है। दिक्कत सिर्फ बैटरी के वजन और कीमत को लेकर है। समय के साथ ये दोनों कम हो रहे हैं और इसलिए आने वाले समय में वाहन उद्योग अपने-आप इलेक्ट्रिक की ओर बढ़ेगा। (वार्ता)