नई दिल्ली। सरकार चालू वित्त वर्ष में 3.2 प्रतिशत के वित्तीय घाटे का लक्ष्य आसानी से हासिल कर सकती है। वह बजट में तय 72,500 करोड़ रुपए के विनिवेश की दिशा में सही राह पर है।
भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट इकोरैप में यह उम्मीद व्यक्त की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ पूर्वानुमान के अनुसार 2017-18 में सरकार के राजस्व में बड़ी गिरावट आने वाली है जिससे वित्तीय घाटा प्रभावित हो सकता है। ऐसे पूर्वानुमान अर्थ का अनर्थ कर देते हैं और ये तार्किक आधार पर खारिज हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि वित्त वर्ष 2017-18 में 3.2 प्रतिशत का वित्तीय घाटा लक्ष्य मुश्किल नहीं दिखता। राजस्व भले ही बजट के अनुमान से कम रह सकता है लेकिन विनिवेश और खर्च में कटौती से उसकी लगभग भरपाई हो जाएगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार 72,500 करोड़ रुपए के विनिवेश के लक्ष्य को प्राप्त कर सकती है, क्योंकि अभी ही 60,000 करोड़ रुपए का विनिवेश हो चुका है। इसी कारण कम विनिवेश प्राप्ति का डर पूरी तरह बेबुनियाद है।
इसमें कहा गया है कि 2009-10 के बाद यह संभवत: पहला मौका होगा, जब सरकार वित्तीय घाटे के बजट लक्ष्य को हासिल करेगी। चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों में न्यूनतम हिस्सेदारी बेचकर एवं रणनीतिक विनिवेश के जरिए करीब 19,759 करोड़ रुपए जुटा चुकी है।
इसके अलावा एचपीसीएल का ओएनजीसी द्वारा अधिग्रहण किए जाने से करीब 30,000 करोड़ रुपए और जनरल इंश्योरेंस में विनिवेश से 10,662 करोड़ रुपए हासिल होंगे। सरकार के पास हॉस्पिटल सर्विस कंसल्टेंसी कॉर्पोरेशन, इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड और नेशनल प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन में अपनी पूरी हिस्सेदारी भी किसी समतुल्य सार्वजनिक कंपनी को बेचने की योजना है।
हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय घाटे को प्रबंधित करने के लिए सरकार को खर्च में उल्लेखनीय कटौती करने की जरूरत है। उसमें कहा गया कि हमारा अुनमान है कि सरकार पूंजीगत खर्च में करीब 70,000 करोड़ रुपए और राजस्व खर्च में 38,000 करोड़ रुपए की कटौती कर सकती है। ऐसा करने से वित्तीय घाटा समान स्तर पर बरकरार रहेगा। (भाषा)