नई दिल्ली। साख तय करने वाली एजेंसी फिच रेटिंग्स ने बुधवार को 31 मार्च, 2022 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 8.4 प्रतिशत कर दिया। उसने कहा कि कोविड महामारी की दूसरी लहर के बाद पुनरुद्धार उम्मीद से कमतर रहने की वजह से ऐसा किया गया है।
हालांकि रेटिंग एजेंसी ने अगले वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाकर 10.3 प्रतिशत कर दिया है। फिच ने इससे पहले अक्टूबर में वित्त वर्ष 2021-22 (अप्रैल 2021 से मार्च 2022) में जीडीपी वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2022-23 में 10 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
कोरोनावायरस संबंधित प्रतिबंधों के चलते कारोबारी गतिविधियों पर असर पड़ने से वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत का संकुचन आया था। फिच ने अपनी वैश्विक आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था ने (कोरोनावायरस के) डेल्टा स्वरूप के चलते आए तेज संकुचन से वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2021) में मजबूत वापसी की।
अप्रैल-जून 2021 तिमाही की तुलना में तीसरी तिमाही में जीडीपी में 11.4 प्रतिशत की तेज वृद्धि हुई। दूसरी तिमाही में जीडीपी में 12.4 प्रतिशत की कमी आई थी। रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि पुनरुद्धार हमारे सितंबर के अनुमान से ज्यादा कमतर था। सेवा क्षेत्र में पुनरुद्धार हमारी उम्मीद से कमजोर था। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि उसे उम्मीद है कि ज्यादातर प्रतिबंधों के हटने के साथ सेवा क्षेत्र बेहतर प्रदर्शन करेगा। फिच ने कहा कि हमने अपने वित्त वर्ष 2021-22 (मार्च 2022 में समाप्त होने वाले वित्त वर्ष) के जीडीपी वृद्धि के पूर्वानुमान को घटाकर 8.4 प्रतिशत कर दिया है।