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महंगा होता सोना क्यों है निवेशकों की पहली पसंद, खरीदते समय क्या सावधानियां बरतें?

हमें फॉलो करें महंगा होता सोना क्यों है निवेशकों की पहली पसंद, खरीदते समय क्या सावधानियां बरतें?

नृपेंद्र गुप्ता

, शनिवार, 5 अक्टूबर 2024 (15:31 IST)
Gold rates in india : पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव को देखते हुए सोने (Gold) की कीमतों में मानों पर लग गए। MCX सोना पहली बार 76,000 के पार पहुंच गया जबकि चांदी 94,000 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई। अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में इस समय सोना 2662 डॉलर प्रति आउंस पर पहुंच गया। वैसे तो भारत को प्राचीन काल से ही सोने की चिड़िया माना जाता है। आज भी आम भारतीय के घर में महिलाओं के पास सोने का एक ना एक आभूषण तो मिल ही जाएगा। कमोडिटी मार्केट और सराफा बाजार में सोने दाम अलग अलग हैं। 
 
2024 में सोना 20 प्रतिशत महंगा हो चुका है। 1 जनवरी 2024 को देश के सराफा बाजार में 24 कैरेट सोना 63870 रुपए प्रति 10 ग्राम था। 5 अप्रैल 2024 को यह 69980 रुपए पहुंच गया। 20 मई तक यह बढ़कर 75160 रुपए पर पहुंच गया। मोदी सरकार 3.0 के बजट के बाद 26 जुलाई को इसकी कीमत घटकर 68730 रुपए हो गई जबकि 19 सितंबर को पीली धातू के दाम 74450 रुपए हो गए। 5 अक्टूबर को 10 ग्राम 24 कैरेट सोना 77670 रुपए हो गया। 
 
युद्ध काल में निवेशकों की पहली पसंद : युद्ध काल में क्रूड में तेजी और डॉलर की कमजोरी से जहां शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड्स आदि में निवेशकों की रूचि कम हो जाती है। एफडी में कम रिर्टन की वजह से लोग शेयर बाजार से पैसा निकालकर सोने में करने लगते हैं। वित्त बाजार में इसे डेड एसेट माना जाता है। क्योंकि इसमें निवेश पर ना तो कोई ब्याज मिलता है और ना ही डिविडेंड। इसके बावजूद भी कई विशेषज्ञ इसे निवेशकों के पोर्टफलियो का अनिवार्य अंग मानते हैं। 
 
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सोने की मांग में इजाफा : आम बजट सोने के आयात शुल्क में 9 प्रतिशत की कमी होने से देश में सोने की मांग में इजाफा हुआ है। आयात शुल्क घटने के बाद 1 माह में ही सोने का मासिक आयात 3 गुना हो गया। देश में इन दिनों त्योहारी सीजन है। नवरात्रि चल रही है और दीपावली आने वाली है। इसके बाद शादियों का सीजन शुरू हो जाएगा। ऐसे में निवेशकों के साथ ही आम लोगों का रुझान पीली धातु में बढ़ गया है। 
 
कमोडिटी मार्केट पर करीब से नजर रखने वाले सागर अग्रवाल ने बताया कि MCX पर सोना 76,000 रुपए प्रति 10 ग्राम है। दिसंबर तक यह 80,000 से 85,000 तक पहुंचने की संभावना है। इसकी कीमत लगातार बढ़ रही है। इसके इंपोर्ट और मांग में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। पश्चिम एशिया में युद्ध के हालात और भारत में त्योहारी मांग को देखते हुए फिलहाल यह निवेशकों की पहली पसंद बन गया है।   
 
क्यों आसान नहीं सोना खरीदना : साल 1947 में प्रति व्यक्ति की सालाना आय 274 रुपए थी। इस तरह औसतन उसे हर माह उसे 22.83 रुपए मिलते थे। वहीं 1 तोला सोने की कीमत 88.62 रुपए थी, जिसके लिए उसे करीब 4 माह की तनख्वाह खर्च करना पड़ती। फिलहाल देश में सोने की कीमत 76,000 रुपए प्रति 10 ग्राम से अधिक है और यहां प्रति व्यक्ति औसत आय 2.2 लाख रुपए के करीब है। इस तरह अभी भी 10 ग्राम सोना खरीदने के लिए औसतन व्यक्ति को 4 माह की कमाई से ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।
 
सोना कितना सोणा : 1923 में 10 ग्राम सोने की कीमत मात्र 18.35 रुपए प्रति 10 ग्राम था। 1933 में पहली बार यह 24 रुपए के पार पहुंचा। 1942 में इसकी कीमत 44 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गई। 1947 में यह 88 रुपए पर पहुंच गया और 1960 में पहली बार गोल्ड 100 रुपए प्रति 10 ग्राम के पार  पहुंचा। 1974 में सोना ने 500 रुपए स्तर को पार किया तो 1980 में यह 1000 के पार पहुंच गया। इसी वर्ष यह कुलांचें भरता हुआ 1330 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। 1996 में सोने की कीमत 5160 रुपए प्रति 10 ग्राम थी। 2007 में सोना पहली बार 10 हजारी हुआ 2011 में सोना 26 हजारी हुआ। जुलाई 2020 में सोना पहली बार 50,000 पर पहुंचा था। मार्च 2023 में सोना 60 हजार के पार पहुंच गया। सितंबर 2024 में इसके दाम 76,000 के पार पहुंच गए। 
 
युद्ध में देश के काम आया सोना : आजादी के बाद भारत ने कुल 5 लड़ाइयां लड़ीं। इनमें से 4 पाकिस्तान और 1 चीन के खिलाफ थीं। इन युद्धों के दौरान जान-माल के नुकसान के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को भी तगड़ा झटका लगा। यु्द्ध के मुश्किल दौर में तत्कालीन प्रधानमंत्रियों की अपील पर देश को लोगों ने मुक्त हस्त से देश को दान‍ दिया। राजा-रजवाड़ों, कारोबारियों, मंदिरों के साथ ही आम लोगों ने भी खुले हाथों से सोने चांदी के आभूषण दान किए। कहा जाता है कि 1965 के युद्ध में तिरुपति मंदिर ने 125 किलो सोना दिया था। इस समय हैदराबाद के निजाम ने 425 किलो सोना नेशनल डिफेंस गोल्ड स्कीम में निवेश किया था।

साल 1991 में चंद्रशेखर सरकार ने भुगतान संतुलन संकट से निपटने के लिए सोने को गिरवी रख दिया था। 4 से 18 जुलाई 1991 के बीच आरबीआई ने 400 मिलियन डॉलर जुटाने के लिए बैंक ऑफ इंग्‍लैंड और बैंक ऑफ जापान के पास 46.91 टन सोना गिरवी रखा था। हालांकि बाद में भारत ने इस सोने को छुड़वा लिया। 
 
अर्थव्यवस्था की मजबूती का पैमाना : किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती का आंकलन इस बात से भी किया जाता है कि उसके पास कितना गोल्ड रिजर्व है। यदि किसी देश को करेंसी छापना है तो उतना गोल्ड वर्ल्ड बैंक के पास गिरवी रखना पड़ता है। इसी वजह से दुनिया भर के देश अपने गोल्ड रिजर्व को मजबूत रखने का प्रयास करते हैं। 31 मार्च 2024 तक केंद्र सरकार के पास अपने विदेशी मुद्रा भंडार के हिस्से के रूप में 822.10 टन सोना था।    
 
सोना खरीदते समय रखें इन बातों का ध्यान : भारतीय मानक ब्यूरो यानी BIS का हॉलमार्क सोने की शुद्धता सुनिश्चित करता है। वर्तमान में देश में 18, 22  और 24 कैरेट का सोना मिल रहा है। सबसे ज्यादा शुद्ध सोना 24 कैरेट का ही माना जाता है। सोने की ज्वेलरी खरीदते वक्त मेकिंग चार्जेस जानना बेहद जरूरी है। ये शुल्क गहनों की लागत का 30 प्रतिशत तक हो सकते हैं। सोना खरीदते समय उसका वजन जरूर चेक करें और इसका बिल भी जरूर लें।
 
कितना सोना रख सकते हैं अपने पास : आयकर जांच के दौरान विवाहित महिला के पास 500 ग्राम, अविवाहित महिला के पास 250 ग्राम तथा पुरुषों के पास उपलब्ध 100 ग्राम तक के स्वर्ण आभूषणों को जब्त नहीं किया जाएगा। सोना खरीदते और बेचते समय 3 प्रतिशत जीएसटी लगता है। इसमें 1.5 प्रतिशत CGST और 1.5 प्रतिशत SGST लगता है। अगर स्वर्णाभूषण बनवाना है तो मेकिंग चार्ज पर भी 5 प्रतिशत जीएसटी देना होगा। 

डिस्क्लेमर : यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है। यह कोई निवेश सलाह नहीं है। किसी भी निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श जरूर लें।

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