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GST से संबंधित पूर्ण जानकारी, जो आप जानना चाहते हैं

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नई दिल्ली। वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा जीएसटी बिल पेश करने के सात घंटे तक चली बहस के बाद इसे राज्यसभा में पास कर दिया गया। इसे पेश करते समय वित्तमंत्री ने कहा कि संसद में जीएसटी को 2006 में पहली बार रखा गया था और बाद में राज्‍यों की वित्‍त मंत्रियों की कमेटी ने अपने सुझाव दिए। संसद की सिलेक्‍ट कमेटी के कुछ सुझावों को भी शामिल किया गया है।

इस कराधान के प्रभावी होने के बाद पूरे देश में एक टैक्‍स सिस्‍टम होगा और सारा भारत एक समान मार्केट में बदल जाएगा। इसे संसद में पारित कराने से पहले सभी दलों की सहमति बनाने की पूरी कोशिश की गई। उम्मीद की जाती है कि जीएसटी के लागू होने से पूरे देश में बड़ा बदलाव आएगा।
 
कांग्रेस ने जीएसटी का कभी विरोध नहीं किया : चिदंबरम
पूर्व वित्‍तमंत्री पी. चिदंबरम ने बहस में हिस्‍सा लेते हुए कहा कि मुझे खुशी है कि वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने माना कि यूपीए के समय पहली बार बिल आया था। उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस ने जीएसटी के विचार का कभी विरोध नहीं किया। 2014 में भी बिल का विरोध किया गया था। हमने विपक्ष का साथ लेकर पास कराने की पूरी कोशिश की। यहां तक पहुंचने में 11 साल लगे। कांग्रेस का कहना था कि सरकार विपक्ष की मदद के बिना पास कराने की कोशिश में थी।
अगले पन्ने पर, टैक्स की दर को लेकर विवाद...
 
 

टैक्स की दर को लेकर विवाद : जीएसटी बिल का सबसे अहम मुद्दा यही है कि उसमें टैक्स की दर क्या रहेगी? उन्‍होंने कहा कि हर वित्‍त मंत्री राजस्‍व को बढ़ाने के दबाव में रहता है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अप्रत्‍यक्ष कर अमीर और गरीब, दोनों को प्रभावित करते हैं। 
 
ऊंची आय वाले देशों में अदा किए जाने वाले अप्रत्‍यक्ष टैक्‍स का औसत 16.4 फीसदी है, जबकि भारत जैसे विकासशील देशों में यह 14.1 फीसदी है। प्रत्‍यक्ष कर का कलेक्‍शन हमेशा अप्रत्‍यक्ष कर के कलेक्‍शन से अधिक होना चाहिए।
 
टैक्स चोरी के रोके जाने का प्रयास : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि भारत के विकास में राज्यों को मिलकर काम करना होगा और जीएसटी के माध्यम से हम भारत को 'एक समान बाजार' के रूप में पेश कर पाएंगे। 
 
इसके बाद देश 29 अलग-अलग बाजारों से केवल एक बाजार में बदल जाएगा, जो हमारी ताकत होगा। हमारे बिल में आम आदमी द्वारा दिए जाने वाले टैक्स को सरल कर दिया गया है। सांसदों का मानना है कि भारत में टैक्स चोरी इसीलिए होती है, क्योंकि हमारी टैक्स व्यवस्था काफी जटिल है। उन्होंने बताया कि राज्यों द्वारा लगाए जाने वाले एक फीसदी अतिरिक्त कर को बिल में खत्म कर दिए जाने का मुआवज़ा केंद्र सरकार देगी।
 
सपा, माकपा ने किया जीएसटी का समर्थन : समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि उनकी पार्टी नहीं चाहते हुए भी जीसटी बिल का समर्थन कर रही है, क्योंकि वे नहीं चाहते कि लोग उन्हें भारत के आर्थिक विकास की राह का रोड़ा समझें। उन्होंने कहा कि सरकार टैक्स की अधिकतम सीमा को निश्चित कर दिया जाए लेकिन सरकार इस बात को स्वीकार नहीं कर रही है क्योंकि उसका इरादा टैक्स की दर को बढ़ाने का है।
 
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी ने कहा कि 'क्या हम चाहते हैं कि केंद्र के पास राज्य भीख का कटोरा लेकर जाएं। देश का संघीय ढांचा खत्म नहीं होना चाहिए। हमारे संविधान की संप्रभुता लोग हैं और अगर लोकसभा से पारित बिल अगर राज्यसभा में लोगों के पक्ष में नहीं पाया गया, तो हम इसके खिलाफ हैं, वहीं जीएसटी पर गठित राज्यसभा की प्रवर समिति में बीएसपी के प्रतिनिधि रहे सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा, 'राज्यों को वस्तु एवं सेवा कर जैसी दो बड़ी शक्तियां दी गई हैं।
 
इसके कानून में बदलाव करने की राज्य की शक्तियां छीन ली गई हैं, जिससे लोग प्रभावित होंगे।' बीएसपी ने जीएसटी विधेयक को धन विधेयक की जगह वित्त विधेयक के तौर पर लाने के कांग्रेस की मांग का समर्थन किया ताकि संसद के दोनों सदनों में इस पर चर्चा की जा सके। विदित हो कि धन विधेयक पर राज्य सभा में विचार नहीं किया जाता है। 
 
लेकिन मिश्रा ने कहा, हम उन 90 प्रतिशत लोगों का साथ देने के लिए इस विधेयक का समर्थन कर रहे हैं, जिन्हें उम्मीद है कि इस विधेयक से अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। 
 
लोगों की जिंदगी आसान बनाएगा जीएसटी : बीजेपी सांसद महेश पोद्दार ने जीएसटी विधेयक को 'एक विधान, एक कराधान' करार दिया। उन्होंने कहा कि जीएसटी बिल अप्रत्यक्ष करों को आसान बनाएगा। 5-7 टैक्स कानूनों की जगह 2 कानून लोगों की जिंदगी को आसान बनाएंगे। 
 
जीएसटी लागू होने के तुरंत बाद सेवा दरों में वृद्धि होगी लेकिन बाद में इनमें कमी की जाएगी। राजस्थान से कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य नरेंद्र बुढानिया ने कहा, 'मुझे इस बात की शिकायत है कि यह सरकार अब इस विधेयक पर समर्थन मांग रही है, जबकि कांग्रेस ने 4 साल पहले जब इसे पेश किया था तो वे विरोध कर रहे थे। सरकार कहती है कि जीएसटी बिल भारत की जीडीपी 1-2% बढ़ा देगी तो फिर बीजेपी ने विपक्ष में रहते हुए इस बिल का समर्थन क्यों नहीं किया? '
 
दोनों बड़े दलों- कांग्रेस, बीजेपी- पर डेरेक ओ ब्रायन का सवाल : तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने विधेयक का समर्थन करते हुए इस विधेयक के संबंध में कांग्रेस और बीजेपी दोनों के रुख पर चुटकी ली। उन्होंने कहा कि दोनों दलों ने जिस तरह से पिछले 10 वर्षों से जीएसटी को लेकर खेल किए हैं, उसके लिए उन्हें ओलिंपिक मेडल मिल सकता था। 
 
दोनों दलों के नेताओं की जीएसटी के संबंध में की गई टिप्पणियों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि लोगों का बयान इस बात पर निर्भर करता है कि वे सत्ता पक्ष में बैठे हैं अथवा विपक्ष में, देश के हित से किसी भी दल का कोई लेना देना नहीं था।
 
संविधान संशोधन बिल : बिल को सरल और सीधी भाषा में जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स) बिल कहा जा रहा है। वास्तव में यह जीसएसटी बिल नहीं है बल्कि एक संविधान संशोधन बिल है, जो असल में जीएसटी बिल का रास्ता साफ करेगा।
 
चूंकि यह संविधान संशोधन कानून है इसलिए संसद से पास होने के बाद इस कानून को कम से कम 15 राज्यों की विधानसभाओं से पास होना ज़रूरी है। इसके बाद ही केंद्र सरकार असल जीएसटी कानून को लागू करा पाएगा। इसका सीधा सा अर्थ है कि इसके प्रभावी होने में और समय लगेगा।
अगले  पन्ने पर, GST बिल लागू करने के लिए संविधान संशोधन की जरूरत
 
 

GST बिल लागू करने के लिए संविधान संशोधन की जरूरत ?  : बुधवार को इस संविधान संशोधन बिल की मदद से केंद्र सरकार टैक्स से जुड़े कानूनों को बनाने के अधिकार को समवर्ती अधिकारों की सूची में ला रही है यानी केंद्र एक ऐसा कानून बना सकता है जिसे बनाने का अधिकार अब तक उसके पास नहीं था और राज्यों और केंद्र के बीच अधिकारों का बंटवारा था। उदाहरण के लिए पर सेल्स टैक्स की दर – जिसे तय करना राज्य सरकार का अधिकार है - अब केंद्र सरकार उसे तय करेगी।  
 
क्योंकि यह एक संविधान संशोधन विधेयक है इसलिए सरकार को सदन में कम से कम दो तिहाई बहुमत चाहिए। बहुमत का यह आंकड़ा सदन में सांसदों की कुल संख्या के आधे से कम नहीं होना चाहिए। इसका एक अर्थ यह भी है कि बिल के पास होते वक्त सदन में कोई हंगामा या शोर-शराबा की स्थिति न हो।
 
जीएसटी कानून लागू होने से राज्यों और केंद्र की ओर से लगाए जाने वाले कई अप्रत्यक्ष टैक्स खत्म हो जाएंगे और करों में एक समानता रहेगी। अभी तमाम टैक्सों की वजह से किसी भी उत्पाद पर कुल 25 प्रतिशत तक टैक्स देना पड़ता है, लेकिन अब जीएसटी आने के बाद प्रभावी टैक्स को 18-22% तक सीमित करने की बात है। कांग्रेस की प्रमुख मांग है कि जीएसटी की दर को 18% पर सीमित किया जाए। औद्योगिक रूप से विकसित तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों को जीएसटी बिल के पास होने के बाद घाटा उठाना पड़ेगा जिसकी भरपाई के लिए फिलहाल केंद्र ने भरोसा दिया है। 
 
जीएसटी बिल के पास होने से हाइवे पर दिखने वाली तमाम चुंगियां खत्म हो जाएंगी, लेकिन इससे महंगाई भी बढ़ेगी। इसलिए टैक्स के ढांचे में यह क्रांतिकारी बदलाव राजनीतिक रूप से मोदी सरकार के लिए परीक्षा भी है। खासकर अगले साल होने वाले पंजाब, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे महत्वपूर्ण चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार के लिए महंगाई एक बड़ा सिरदर्द रहेगा। इसी मुश्किल को काबू में करने के लिए केंद्र सरकार ने अभी पेट्रोलियम पदार्थों को इस बिल से बाहर किया है ताकि महंगाई पर काबू रखा जा सके। 
 
इस कानून में सबसे बड़ी अड़चन उत्पादन करने वाले राज्यों को होने वाला नुकसान रहा है। राज्यों को मनाने के लिए ही सरकार ने पेट्रोल-डीजल के साथ शराब – जिससे काफी राजस्व इकट्ठा होता है- को इस बिल की परिधि से फिलहाल बाहर रखा है। राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए भी बिल में प्रावधान लाया गया है।   
 
जीएसटी कानून बनने की प्रक्रिया को इस स्थिति तक पहुंचने में करीब 10 साल लगे हैं। वित्तमंत्री का मानना है कि इस बिल के लागू होने से जीडीपी में एक से दो प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। अर्थव्यवस्था के जानकार कहते हैं कि पहले कुछ वक्त में महंगाई भले ही दिखे लेकिन लंबी दौड़ में जीएसटी एक बड़ा कर सुधार कानून साबित होगा जो काले धन को काबू करने में मदद करेगा।
 
जीएसटी क्या है?
वस्तु और सेवाओं से जुड़ा टैक्स
पूरे देश भर में एक ही दर लागू
अलग-अलग करों से छुटकारा
राज्यों को मिलेगा टैक्स में हिस्सा
शुरुआती सालों में राज्यों को छूट
करों के वसूली में आसानी
जीडीपी बढ़ने की संभावना
कारोबार में होगी सुविधा
आर्थिक सुधारों के लिए बहुत जरूरी            
आज़ादी के बाद सबसे बड़ा टैक्स सुधार
यूपीए सरकार का बड़ा एजेंडा
 
GST कहां से कहां तक?
2000 : वाजपेयी सरकार ने कमेटी बनाई
2004 : केलकर टास्क फोर्स ने GST का सुझाव दिया
2006 : चिदंबरम ने अप्रैल, 2010 से लागू करने का प्रस्ताव रखा और कहा कि इसके क्रियान्वयन में केंद्र और राज्य के बीच टैक्स की साझेदारी रहेगी
2010 : प्रणब दा ने अप्रैल 2011 से लागू करने का ऐलान किया
      यूपीए सरकार टैक्स सुधार लागू करने में नाकाम
2011 : 115वां संविधान संशोधन विधेयक पेश
      विधेयक स्टैंडिंग कमेटी को भेजा गया
2013 : संसद में स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट पेश
      यूपीए सरकार पास कराने में नाकाम रही
      गुजरात समेत बीजेपी राज्यों का विरोध
2014 : सत्ता में आई बीजेपी ने जोर लगाया
      122वां संविधान संशोधन बिल पेश हुआ
       कांग्रेस की स्टैंडिंग कमेटी को भेजने की मांग
2015 : जेटली का अप्रैल,2016 से लागू करने का ऐलान
अगले  पन्ने पर, भारत बन जाएगा एकीकृत साझा बाजार... 
 
 
 

जीएसटी पूरे देश के लिए एक अप्रत्यक्ष कर है जो भारत को एकीकृत साझा बाजार बना देगा। जीएसटी विनिर्माता से लेकर उपभोक्ता तक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर एक एकल कर है। प्रत्येक चरण पर भुगतान किए गए इनपुट करों का लाभ मूल्य संवर्धन के बाद के चरण में उपलब्ध होगा जो प्रत्येक चरण में मूल्य संवर्धन पर जीएसटी को आवश्यक रूप से एक कर बना देता है। अंतिम उपभोक्ताओं को इस प्रकार आपूर्ति श्रृंखला में अंतिम डीलर द्वारा लगाया गया जीएसटी ही वहन करना होगा और इससे पिछले चरणों के सभी मुनाफे समाप्त हो जाएंगे।
 
कर दरों और संरचनाओं की एकरूपता  : जीएसटी यह सुनिश्चित करेगा कि अप्रत्यक्ष कर दरें और ढांचे पूरे देश में एकसमान हैं. इससे निश्चिंतता में तो बढ़ोतरी होगी ही व्यापार करना भी आसान हो जाएगा। दूसरे शब्दों में जीएसटी देश में व्यापार के कामकाज को कर तटस्थ बना देगा फिर चाहे व्यापार करने की जगह का चुनाव कहीं भी जाए।
 
करों पर कराधान (कैसकेडिंग) की समाप्ति :  मूल्य श्रृंखला और समस्त राज्यों की सीमाओं से बाहर टैक्स क्रेडिट की सुचारु प्रणाली से यह सुनिश्चित होगा कि करों पर कम से कम कराधान हों। इससे व्यापार करने में आने वाली छुपी हुई लागत कम होगी।
 
प्रतिस्पर्धा में सुधार : व्यापार करने में लेन-देन लागत घटने से व्यापार और उद्योग के लिए प्रतिस्पर्धा में सुधार को बढ़ावा मिलेगा।
 
विनिर्माताओं और निर्यातकों को लाभ : जीएसटी में केंद्र और राज्यों के करों के शामिल होने और इनपुट वस्तुएं और सेवाएं पूर्ण और व्यापक रूप से समाहित होने और केंद्रीय बिक्री कर चरणबद्ध रूप से बाहर हो जाने से स्थानीय रूप से निर्मित वस्तुओं और सेवाओं की लागत कम हो जाएगी। इससे भारतीय वस्तुओं और सेवाओं की अंतरराष्ट्रीय बाजार में होने वाली प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी होगी और भारतीय निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा। पूरे देश में कर दरों और प्रक्रियाओं की एकरूपता से अनुपालन लागत घटाने में लंबा रास्ता तय करना होगा।
 
वस्तुओं, सेवाओं के मूल्य का अनुपाती एकल एवं पारदर्शी कर : केंद्र और राज्यों द्वारा लगाए गए बहुल अप्रत्यक्ष करों या मूल्य संवर्धन के प्रगामी चरणों में उपलब्ध गैर-इनपुट कर क्रेडिट के कारण आज देश में अनेक छिपे करों से अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं की लागत पर प्रभाव पड़ता है। जीएसटी के अधीन विनिर्माता से लेकर उपभोक्ताओं तक केवल एक ही कर लगेगा, जिससे अंतिम उपभोक्ता पर लगने वाले करों में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
 
समग्र कर भार में राहत :  निपुणता बढ़ने और भ्रष्‍टाचार पर रोक लगने के कारण अधिकांश उपभोक्ता वस्तुओं पर समग्र कर भार कम होगा, जिससे उपभोक्तओं को लाभ मिलेगा।
 
केंद्र और राज्य स्तर पर जीएसटी में जिन करों को शामिल किया जा रहा है वे हैं - केंद्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सेवा कर, अतिरिक्त सीमा शुल्क आमतौर पर जिसे काउंटरवेलिंग ड्यूटी के रूप में जाना जाता है, और सीमा शुल्क का विशेष अतिरिक्त शुल्क। 
 
राज्य स्तर पर, निम्न करों को शामिल किया जा रहा है - राज्य मूल्य संवर्धन कर/बिक्री कर, मनोरंजन कर (स्थानीय निकायों द्वारा लागू करों को छोड़कर), केंद्रीय बिक्री कर (केंद्र द्वारा लागू और राज्य द्वारा वसूल किए जाने वाला), चुंगी और प्रवेश कर, खरीद कर, विलासिता कर और लॉटरी, सट्टा और जुआ पर कर।
 
जीएसटी के अंतर्गत प्रस्तावित पंजीकरण प्रक्रियाओं की महत्वपूर्ण विशेषताएं इस प्रकार है :
 
1. वर्तमान डीलर - वर्तमान वैट/ केंद्रीय उत्पाद तथा सेवा कर देने वालों को जीएसटी के अंतर्गत पंजीकरण के लिए नया आवेदन नहीं कर पड़ेगा।
2. नए डीलर - जीएसटी के अंतर्गत पंजीकरण के लिए केवल एक आवेदन ऑनलाइन भरा जाएगा।
3. पंजीकरण संख्या पीएएन (पैन) आधारित होगी और केंद्र और राज्य दोनों के काम आएगी।
4. दोनों टैक्स अधिकारियों को एकीकृत आवेदन।
5. प्रत्येक डीलर को यूनिक आईडी जीएसटीआईएन दिया जाएगा।
6. तीन दिनों के अंदर मान्य स्वीकृति।
7. केवल जोखिम वाले मामलों में पंजीकरण के बाद जांच होगी।
अगले पन्ने पर, क्या होगा महंगा-सस्ता..
 
 

रोजमर्रा की कौन सी चीजें होंगी सस्ती, कौन-सी महंगी : जीएसटी लागू होने के बाद इससे अर्थव्यवस्था पर बहुत ज्यादा असर पड़ेगा। रोजमर्रा की कुछ चीजें सस्ती होंगी, तो कुछ महंगी। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन जैसे सामान सस्ते हो सकते हैं, वहीं रेडीमेड गारमेंट और सर्विस टैक्स के दायरे में आने वाली सेवाएं महंगी हो जाएंगी।
 
कंज्यूमर गुड्स पर जीएसटी का असर? :  कंज्यूमर गुड्स पर जीएसटी का लाभ यह होगा कि टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन और एसी जैसे प्रोडक्ट्स पर केंद्र और राज्य सरकारें काफी टैक्स वसूलती हैं। उदाहरण के लिए 30,000 की कीमत पर बिकने वाली एसी की असल कीमत 23,000 से 24,000 के आसपास होती है। इसमें बाकी का 6,000 से 7,000 रुपए टैक्स का हिस्सा होता है।
 
फ्रिज, वाशिंग मशीन, एसी जैसे सामानों पर लगने वाला टैक्स औसतन 25% से 28% तक होता है। जीएसटी लागू होने के बाद इनकी कीमतें घट सकती हैं। अनुमान है कि 'जीएसटी रेट 17% से 20% के बीच रहने की उम्मीद है। ऐसे में जाहिर है, इन पर लगने वाला टैक्स कम होगा और ये वस्तुएं सस्ती होंगी।'
 
गारमेंट सेक्टर पर असर?  :  लेकिन रेडिमेड गारमेंट सेक्टर पर जीएसटी का असर बिल्कुल अलग होगा। अभी देश में गारमेंट पर एक्साइज ड्यूटी नहीं लगाई जाती है। इसकी वजह से कंज्यूमर ड्यूरेबल्स की तरह गारमेंट्स पर टैक्स का बोझ कम होता है। गारमेंट्स पर स्थानीय स्तर पर जो टैक्स लगाया जाता है वो 10% से 12% होता है। ऐसे में जीएसटी लागू होने के बाद गारमेंट पर टैक्स बढ़ेगा और वे महंगे हो सकते हैं।
 
जीएसटी का असर सर्विस टैक्स के दायरे पर  :  जीएसटी का असर सर्विस टैक्स के दायरे में आने वाले सेवाओं पर भी पड़ सकता है। अभी AC रेस्टारेंट से लेकर दूसरी कई सेवाओं पर 15% सर्विस टैक्स लगता है। GST रेट थोड़ा भी ज्यादा तय हुआ तो ये सभी सेवाएं महंगी होंगी।
 
पांच पेट्रोलियम पदार्थ और शराब जीएसटी दायरे से बाहर  : दरअसल जीएसटी रेट हर उस प्रोडक्ट जिस पर टैक्स लगता है, उसके रेट को प्रभावित कर सकता है। प्रस्तावित कानून में जीएसटी रेट तय करने का अधिकार जीएसटी काउंसिल को दिया गया है, जिसमें केंद्र और राज्यों की सहमति से इसे तय करने की बात कही गई है। फिलहाल पांच पेट्रोलियम पदार्थों और शराब को इसके दायरे से बाहर रखा गया है, क्योंकि इन दोनों से राज्यों को सबसे ज्यादा कमाई होती है और वे इस अधिकार को फिलहाल छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
 
जीएसटी बिल पर ब्रोकरेज हाउसेज की राय
 
आखिरकार 16 साल का इंतजार खत्म हुआ और राज्यसभा में जीएसटी संविधान संशोधन बिल पूरी सहमति के साथ पास हुआ। जीएसटी बिल 203 के मुकाबले शून्य मतों से पास हो गया। अब इसका किसे होगा फायदा और किसे होगा नुकसान आइए जानते हैं, इस जानकारी को दिग्गज ब्रोकरेज हाउसेज की नजर से देखते हैं। 
 
कोटक इंस्टिट्यूशनल के मुताबिक ऑटो, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, मीडिया, एंटरटेनमेंट सेक्टर के लिए जीएसटी पॉजिटिव होगा। लेकिन टेलीकॉम सेक्टर के लिए जीएसटी थोड़ा निगेटिव होगा।   
 
सिटी के मुताबिक 18 फीसदी जीएसटी दर से सीपीआई महंगाई दर पर कम असर होगा। वहीं 22 फीसदी जीएसटी दर से सीपीआई महंगाई दर में 0.3-0.7 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।   
 
जेपी मॉर्गन के मुताबिक रेवेन्यू घाटे को कम करने के लिए जीएसटी दर बहुत ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
 
बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के मुताबिक जीएसटी से अगले कुछ साल में जीडीपी में 0.9-1.7 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।
 
गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक जीएसटी से छोटी अवधि में बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं है। जीएसटी काउंसिल का गठन और दर ज्यादा अहम होगा।
 
मॉर्गन स्टैनली के मुताबिक जीएसटी से छोटी अवधि में ग्रोथ पर निगेटिव असर होगा, लेकिन मध्यम अवधि में बढ़ोतरी की उम्मीद है। जीएसटी आने से सर्विसेज के लिए दरें बढ़ेगी और गुड्स के लिए घटेंगी।
 
नोमुरा के मुताबिक जीएसटी लागू होने के बाद पहले साल में महंगाई में 0.2-0.7 फीसदी की बढ़ोतरी होगी और इससे मांग पर असर पड़ेगा।
 
लेकिन फिलहाल अभी भी कुछेक मसले ऐसे हैं जिनको सुलझाने में समय लगता है और इसके क्रियान्वयन में एक साल या इससे अधिक समय भी लग सकता। 

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