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GST : बड़े काम का है कंपोजीशन...

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सीए भरत नीमा

जीएसटी में कंपोजीशन सुविधा देने का बेसिक कंसेप्ट यह है कि आप टैक्स पेड माल खरीदो और आपका मुनाफा कुछ भी हो हमें उस पेटे 1, 2 या 5 फीसदी टैक्स अदा करो साथ रिटर्न क्वार्टरली भरो और विक्रय की राशि भी बिल के हिसाब से मत बताओ क्योंकि खरीदने वाले को आईटीसी तो मिलेगा नहीं। कंपोजीशन उन व्यवसायियों को तुरंत लेना चाहिए, जिनके माल में लेबर की लागत 40 से 50 प्रतिशत हो या प्रॉफिट मार्जिन ज्यादा हो। कंपोजीशन उन्हें भी तुरंत लेना चाहिए जिनकी खरीदी आइटम्स टैक्स फ्री हैं और बिक्री टैक्सेबल है, जैसे होटल व्यवसायी।
 
कंपोजीशन उसे ही मिलेगा जिसका पिछले वर्ष टर्नओवर 75 लाख से कम रहा हो, ऐसे व्यापारी इंटरस्टेट सेल नहीं कर पाएंगे। बिल में टैक्स अलग से नहीं लगा पाएंगे। एक से ज्यादा व्यापार है तो दोनों व्यापार का टर्नओवर जोड़कर 75 लाख की गणना होगी। बिल के टॉप पर छपवाना पड़ेगा 'कंपोजीशन टैक्सेबल पर्सन नॉट एलिजिबल तो कलेक्ट टैक्स ऑन सप्लाई'। दुकान के बाहर बोर्ड पर भी 'कंपोजीशन टैक्सेबल पर्सन' लिखवाना पड़ेगा। व्यवसायी प्रदेश के बाहर से खरीदी कर सकता है, लेकिन प्रदेश के बाहर बिक्री नहीं कर सकता है। कंपोजीशन की सुविधा, ई-कॉमर्स ऑपरेटर के द्वारा माल बेचने पर जिसमें टीडीएस कटता हो या वह किसी भी छूट प्राप्त सामान का व्यापार करता है, नहीं मिलेगी।
    
जिन लोगों को कंपोजीशन लेना है, उन्हें GST लगने की तारीख से 30 दिन में इस बारे में निर्णय लेना है और फॉर्म CMP-01 पोर्टल पर अपलोड करना है। अब 60 दिन में CMP-03 भरना है, जिसमे स्टॉक के बारे में डिटेल देना बड़ी दिक्कत का काम है क्योंकि कंपोजीशन की कंडीशन है कि आप जो भी माल खरीदोगे वह टैक्स पेड ही होना चाहिए।
 
अब आप कंपोजीशन लेने जा रहे हैं और आपके पास पुराना स्टॉक है जिसमे थोड़ा माल टैक्स पेड है और थोड़ा माल अनरजिस्टर्ड से खरीदा हुआ है। दिक्कत अनरजिस्टर्ड माल के केस में दिख रही है क्योंकि फॉर्म में आपको किस अनरजिस्टर्ड डीलर से माल लिया है, उसका नाम, पता, बिल की तारीख भी भरना है, जबकि ये डिटेल किसी व्यापारी के पास होना संभव नहीं है और इस पर लागू टैक्स जो कि अभी अनपेड है CMP-03 के साथ चालान PMT-06 में भरना है। यदि आपके माल में इंटरस्टेट या इम्पोर्ट या इंटरस्टेट स्टॉक ट्रांसफर, खरीद किया हुआ माल है तो आपको कंपोजीशन नहीं मिलेगा। यह ध्यान रहे कि कंपोजीशन लेने में कोई भी टैक्स एडवांस नहीं भरना है। एक बार कंपोजीशन का ऑप्शन लेने के बाद आपको टैक्स की राशि रिटर्न के साथ क्वार्टर वाइज एक्चुअल विक्रय पर ही भरना है। पहले से आपको ये भी बताने की जरूरत नहीं है कि मेरा विक्रय कितना होगा।
 
हां, यदि आप कोई माल अनरजिस्टर्ड व्यक्ति से खरीदते हो तो आपको रिवर्स चार्ज के अंतर्गत टेक्स भरना ही है। यह टैक्स 1, 2, 5 फीसदी, जो भी लागू हो उसके अलावा रहेगा। कंपोजीशन ट्रेडर और उत्पादक को मिलेगा सर्विस सेक्टर को नहीं मिलेगा। अर्थात कांट्रेक्टर को अब कंपोजीशन की सुविधा नहीं है, लेकिन सर्विस सेक्टर में रेस्टोरेंट को कंपोजीशन की सुविधा 5 प्रतिशत टैक्स भरने पर दी है, जो कि एक वरदान है, कैसे जानें।
 
यदि कंपोजीशन रेस्टोरेंट वाला नहीं लेता है तो उसे टेक्स 12% (यदि नॉन एसी) नहीं तो 18% टेक्स भरना है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि रेस्टोरेंट की खरीदी में ज्यादतर आइटम्स टैक्स फ्री हैं तो उसे आईटीसी तो कुछ ही आइटम्स पर लेना है, लेकिन टेक्स ज्यादा भरना है। मतलब मार्जिन भी ज्यादा है और इस प्रकार उसे 12 से 18 प्रतिशत पूरा टैक्स भरना पड़ेगा क्योंकि उसकी कास्टिंग बहुत कम रहती है। इसलिए रेस्टोरेंट वाले यदि कंपोजीशन लेता है तो मेरी राय में करीब उसे 13 प्रतिशत कम टैक्स लगेगा, जिससे वह छोटे ग्राहकों को दूसरे की तुलना में कम भाव में माल बेच सकेगा। अत: तुरंत कंपोजीशन लेना चाहिए। 
    
आइसक्रीम, बर्फ, तम्बाखू, पान मसाला बनाने वालों को कंपोजीशन का लाभ नहीं मिलेगा, लेकिन इनके ट्रेडर्स को मिलेगा। वर्ष के बीच में भी कम्पोजीशन नहीं मिलेगा। हां, यदि वर्ष के बीच में नया रजिस्ट्रेशन कराया है तो कंपोजीशन वर्ष के बिच में भी मिलेगा। पिछले साल टर्नओवर 75 से कम होना चाहिए। वर्ष के बीच में टर्नओवर 75 लाख से ज्यादा हो जाता है तो 7 दिन cmp-04 में सूचना देना है और बाद के रिटर्न सामान्य तरीके से भरे जाएंगे और उसे उस दिन के स्टॉक पर ITC मिल जाएगा। ध्यान रहे आपसे खरीदने वाले को ITC नहीं मिलेगा। इसलिए आपसे कोई भी रिसेलर माल नहीं लेगा। सिर्फ उपभोक्ता को ही बेचने वाले के लिए यह लाभदायक है।

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