भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को जारी मौद्रिक समीक्षा नीति का ऐलान करते हुए रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती का ऐलान कर दिया। RBI पहले ही साफ कर चुका है कि बैंकों को हर हाल में रेपो रेट कम होने का फायदा कस्टमर को देना ही होगा। अगर बैंक ब्याज दरों में कटौती करते हैं तो फिर होम लोन, कार लोन समेत सभी तरह के लोन पर आम लोगों को फायदा मिलेगा। जानिए EMI पर रेपो रेट का क्या असर होता है? आप कैसे अपनी EMI कम कर सकते हैं? जानिए इसका पूरा गणित...
कैसे की जाती है EMI की गणना : ईएमआई की गणना तीन चीजों पर आधारित होती है। लोन की राशि, उस पर लगने वाला ब्याज और लोन चुकाने की अवधि। लोन की राशि जितनी ज्यादा होती है, ईएमआई भी उतनी ही ज्यादा होती है। लोन जितने ज्यादा समय में आप चुकाते हैं, ईएमआई उतनी ही कम होती है। आप ऑनलाइन कैल्कूलेंटर की मदद से खुद भी इसकी गणना कर सकते हैं।
रेपो रेट का EMI पर क्या होता है असर : जब भी आरबीआई रेपो रेट कम करती है तो नया लोन लेने वाले लोगों को इसका फायदा अगले ही माह से मिलने लगता है। हालांकि पुराने लोनों की EMI कम होने में 3 माह का समय लगता है। यह अवधि RBI ने ही तय की है। फिलहाल 30 लाख रुपए के होमलोन पर 8.20 फीसदी की ब्याज दर है। रेपो रेट कम होने के बाद अगर SBI अपनी ब्याज 0.25 फीसदी घटा देता है तो लोन की रकम पर 7.95 फीसदी ब्याज लगेगा। अगर आपने इस बैंक से 20 साल के लिए यह लोन लिया है तो आपको 25656 रुपए EMI के रूप में हर साल चुकाने होंगे। फिलहाल आपकी EMI 26130 रुपए है। इस तरह हर माह आपको 474 रुपए का फायदा होगा।
कैसे कम करें होम लोन की ईएमआई : अगर आप अपने लोन की ईएमआई कम रखना चाहते हैं तो आपको इन 3 बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। आपको लंबी अवधि का लोन लेना चाहिए, ज्यादा से ज्यादा डाउनपेमेंट करना चाहिए और लोन लेने से पहले ऑनलाइन इंटरेस्ट रेट की तुलना करनी चाहिए।
इस तरह के लोन में कम नहीं होती EMI : अगर आपने फिक्स्ड ब्याज दर लोन लिया है तो ईएमआई की राशि बदलती नहीं है। हालांकि फ्लोटिंग रेट वाले लोन में ईएमआई रेपो दर के हिसाब से बदलती रहती है। अगर होम लोन की बात की जाए तो आप EMI कम नहीं कराते तो लोन पीरियड कम करा सकते हैं।