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टैरिफ वार से भारत को $7 अरब का झटका? जानें अर्थव्यवस्था और आपकी जेब पर क्या होगा असर!

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , गुरुवार, 31 जुलाई 2025 (13:26 IST)
Indian economy and Trump Tariff : वैश्विक व्यापार परिदृश्य में अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले संभावित टैरिफ़ ने भारत की चिंताएं बढ़ा दी हैं। सिटी रिसर्च के एक ताजा अनुमान के मुताबिक, अगर ये टैरिफ लागू होते हैं तो भारत को सालाना लगभग 700 करोड़ डॉलर (7 अरब डॉलर) का बड़ा नुकसान हो सकता है। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था के कई महत्वपूर्ण स्तंभों को हिलाने की क्षमता रखता है। ALSO READ: राहुल गांधी बोले, भारत एक बर्बाद अर्थव्यवस्था, मोदी वहीं करेंगे जो ट्रंप कहेंगे
 
कितना गहरा है टैरिफ का घाव? अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस टैरिफ को केवल 25% की दर तक सीमित देखना गलत होगा। इसमें 10% की संभावित अतिरिक्त पेनल्टी भी शामिल है, जिससे कुल टैरिफ दर 35% तक पहुंच जाती है। यह 25% बेस रेट और 10% पेनल्टी तब तक लागू रहेगी, जब तक भारत रूस से तेल आयात करता रहेगा। यानी, यह सिर्फ एक व्यापारिक बाधा नहीं, बल्कि एक भू-राजनीतिक दबाव का परिणाम भी है।
 
अर्थव्यवस्था पर सीधा और अप्रत्यक्ष वार : 7 अरब डॉलर का यह नुकसान केवल एक प्रारंभिक अनुमान है। इसका सबसे पहला और सीधा प्रभाव तो निर्यातकों और व्यापारियों के मुनाफे पर पड़ेगा। लेकिन इसका अप्रत्यक्ष असर कहीं ज्यादा व्यापक और चिंताजनक हो सकता है।
 
रोजगार पर खतरा: जब निर्यात में कमी आती है, तो उत्पादन कम होता है, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होने बंद हो जाते हैं और मौजूदा नौकरियों पर भी संकट आ सकता है। इसका परिणाम यह हो सकता है कि हाल ही में गरीबी रेखा से ऊपर आए लोग फिर से उसी ओर धकेले जा सकते हैं।
 
उपभोग में कमी: रोजगार कम होने से लोगों की क्रय शक्ति घटती है, जिससे बाजार में उपभोग कम होता है। यह एक दुष्चक्र की तरह काम करता है, जो समग्र आर्थिक वृद्धि को धीमा कर सकता है। ALSO READ: Trump tariff on India : डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर लगाया 25 प्रतिशत टैरिफ, क्या बोली मोदी सरकार
 
छोटे कारोबारियों की कमर टूटेगी: भारत के निर्यात क्षेत्र में छोटे कारीगरों और कारोबारियों की अहम भूमिका है। टैरिफ का सबसे गहरा प्रभाव इन्हीं पर पड़ेगा, क्योंकि उनके पास बड़े उद्योगों जैसी प्रतिरोधक क्षमता नहीं होती।
 
कौन से सेक्टर होंगे सबसे ज़्यादा प्रभावित? कुछ प्रमुख सेक्टर इस टैरिफ के दायरे में सीधे तौर पर आएंगे: 
जेम्स एंड जूलरी सेक्टर: भारत अमेरिका को सालाना 11.88 अरब डॉलर का सोना, चांदी और हीरा निर्यात करता है। गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्य, जो इस सेक्टर के हब हैं, बुरी तरह प्रभावित होंगे। छोटे कारीगर और जौहरी इसकी चपेट में सबसे ज्यादा आएंगे।
 
टेक्सटाइल उद्योग: भारत अमेरिका को लगभग 4.93 अरब डॉलर का कपड़ा निर्यात करता है। बांग्लादेश और वियतनाम जैसे पड़ोसी देशों के साथ अमेरिका की व्यापारिक डील के चलते भारत और बांग्लादेश का टेक्सटाइल व्यापार वियतनाम की ओर शिफ्ट हो सकता है। इस सेक्टर में बड़ी संख्या में कार्यरत महिलाओं के रोजगार पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा।
 
टेलीकॉम और इलेक्ट्रॉनिक्स: भारत अमेरिका को 14.39 अरब डॉलर के मोबाइल, टेलीकॉम उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस निर्यात करता है। आशंका है कि एपल जैसी कंपनियां, जो भारत में निवेश कर रही थीं, अब टैरिफ़ के चलते अपने विस्तार की योजनाओं पर पुनर्विचार कर सकती हैं।
 
ऑटोमोबाइल और कैमिकल: इन क्षेत्रों पर भी टैरिफ़ का असर अपरिहार्य है। स्टील और एल्यूमीनियम जैसे सहायक उद्योगों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा, जिससे उत्पादन और रोजगार दोनों प्रभावित होंगे।
 
क्या है उम्मीद की किरण? अच्छी बात यह है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संधि को लेकर द्विपक्षीय बातचीत जारी है। भारत का अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष (ट्रेड सरप्लस) में है, यानी हम जितना निर्यात करते हैं, उससे कम आयात करते हैं। यदि 25% टैरिफ लागू भी होता है, तो भी 45 अरब डॉलर के सरप्लस में कुछ कमी आएगी।
 
आगे की राह : टैरिफ का भारत की अर्थव्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है। यह न केवल निर्यात को प्रभावित करेगा, बल्कि रोजगार, उपभोग और समग्र आर्थिक स्थिरता पर भी असर डालेगा। खास तौर पर छोटे कारोबारी, कारीगर और महिलाएं इसकी चपेट में आ सकते हैं। ऐसे में सरकार और नीति-निर्माताओं को त्वरित और प्रभावी कदम उठाने होंगे ताकि इस नुकसान को कम किया जा सके और अर्थव्यवस्था को स्थिर रखा जा सके। व्यापारिक बातचीत के नतीजे पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी।

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