नई दिल्ली। देश से यात्री वाहनों के निर्यात में 2017-18 में 1.51 प्रतिशत की गिरावट आई। 7 साल में पहली बार निर्यात में यह गिरावट दर्ज की गई है।
विश्लेषकों का कहना है कि प्रमुख वाहन कंपनियों द्वारा घरेलू बाजार पर ध्यान केंद्रित किए जाने के कारण आलोच्य वित्त वर्ष में निर्यात में यह कमी आई। इसके साथ ही जीएसटी रिफंड मामले का असर भी निर्यात पर रहा।
भारतीय वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम के आंकड़ों के अनुसार यात्री वाहनों का निर्यात 2017-18 में 7,47,287 इकाई रहा, जो पूर्व साल में 7,58,727 इकाई रहा था। सियाम के उपमहानिदेशक सुगातो सेन ने कहा कि यात्री वाहन के निर्यात में 2010-11 के बाद यह पहली गिरावट है, तब इसमें 0.41 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
इस गिरावट के कारणों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यात्री वाहनों के कुछ प्रमुख निर्यातकों ने इस दौरान निर्यात के बजाय घरेलू बाजार पर ध्यान दिया। इसके साथ ही वाहन उद्योग जीएसटी रिफंड मुद्दे से भी जूझ रहा है और इस मद में उद्योग का लगभग 1,000 करोड़ रुपए बकाया है।
वित्त वर्ष 2017-18 में हुंदै मोटर इंडिया का यात्री वाहन निर्यात 7.39 प्रतिशत घटकर 1,53,942 इकाई रहा। यात्री वाहन के निर्यात में यह प्रमुख कंपनी रही है। इसी तरह निसान मोटर्स इंडिया का निर्यात 38.03 प्रतिशत घटकर 67,829 इकाई, होंडा कार्स का निर्यात 3.21 प्रतिशत घटकर 5,611 इकाई व टाटा मोटर्स का यात्री वाहन निर्यात 40.94 प्रतिशत घटकर 2,587 इकाई रहा।
हालांकि समीक्षाधीन अवधि में मारुति सुजुकी का निर्यात मामूली 1.53 प्रतिशत बढ़कर 1,23,903 इकाई रहा, वहीं फोर्ड इंडिया का यात्री वाहन निर्यात 14.31 प्रतिशत बढ़कर 1,81,148 इकाई रहा। (भाषा)