मुंबई। रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपनी 'डिजिटल मुद्रा' लाने पर विचार कर रहा है और बिटक्वाइन तथा अन्य आभासी मुद्राओं में कारोबार करने वाले बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों आदि को तत्काल प्रभाव से आभासी मुद्राओं में कारोबार नहीं करने की हिदायत दी है।
केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की दो दिवसीय बैठक के बाद विकास एवं नियामक नीतियों पर जारी बयान में कहा गया है कि तत्काल प्रभाव से यह फैसला लिया गया है कि आरबीआई द्वारा नियमित कोई भी संस्थान (बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां, भुगतान बैंक आदि) आभासी मुद्राओं में कारोबार नहीं करेगा। साथ ही आभासी मुद्रा में कारोबार करने वाले किसी भी व्यक्ति या कारोबारी को वह सेवाएं भी नहीं देगा।
जो संस्थान अभी आभासी मुद्रा में कारोबार कर रहे हैं उन्हें निश्चित समय सीमा के भीतर इससे निकलना होगा। इसके लिए अलग से सर्कुलर जारी किया जाएगा। इसमें कहा गया है कि आभासी मुद्रा तथा अन्य तकनीकी नवाचार में वित्तीय तंत्र की दक्षता बढ़ाने की क्षमता है, लेकिन इनसे उपभोक्ता संरक्षण, बाजार की समग्रता और कालाधन सफेद करने जैसे मुद्दों को लेकर चिंता भी उत्पन्न हुई है।
रिजर्व बैंक ने आभासी मुद्राओं के उपभोक्ताओं, धारकों और कारोबारियों को निरंतर इस संबंध में आगाह किया है। बैठक के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर बीपी कानूनगो ने बताया कि केंद्रीय बैंक अपनी डिजिटल मुद्रा लाने पर विचार कर रहा है।
उन्होंने कहा कि भुगतान उद्योग के तेजी से बदलते परिदृश्य, निजी डिजिटल टोकनों के आने और कागज के नोट या सिक्कों के प्रबंधन से जुड़े खर्च बढ़ने के मद्देनजर दुनिया भर में कई केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा लाने पर विचार कर रहे हैं।
'केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा' की संभावनाओं के अध्ययन और इनके लिए दिशा-निर्देश तय करने के लिए आरबीआई ने एक अंतर-विभागीय समिति बनाई है। समिति जून के अंत तक अपनी रिपोर्ट देगी। (वार्ता)