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दिवाली के बावजूद रियल इस्टेट में रौनक नहीं

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नई दिल्ली , रविवार, 9 अक्टूबर 2016 (13:29 IST)
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में चौथाई फीसदी की कटौती के बावजूद कर्ज के दबाव तथा समय पर परियोजनाएं पूरी कर पाने में बिल्डरों की असमर्थता के कारण इस साल रियल इस्टेट क्षेत्र की दिवाली फीकी गुजर रही है।
 
उद्योग संगठन एसोचैम ने रविवार को यहां जारी एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह बात कही है। उसने दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता, अहमदाबाद, हैदराबाद, पुणे, चंडीगढ़ तथा देहरादून के 250 बिल्डरों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर बताया कि नई परियोजनाओं के लिए मांग आने की उम्मीद बेहद कम है जबकि नए लांचों में ग्राहकों के विश्वास तथा बिल्डरों के पास नकदी की कमी देखी जा रही है।
 
इन परिस्थितियों में नए लांचों की मांग दिल्ली और मुंबई में 50 से 60 प्रतिशत तक कम हो गई है। हैदराबाद तथा चेन्नई में भी इनमें 40 से 45 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है, वहीं बेंगलुरु में पहले निर्माण ढहाने के अभियान तथा बाद में कावेरी जल बंटवारे को लेकर हुई हिंसा के कारण रियल इस्टेट की गतिविधियां थम-सी गई हैं।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि जो थोड़ा-बहुत बाजार है वह अंतिम उपभोक्ता के लिए है, निवेशकों के लिए नहीं। 2 बीएचके तथा 3 बीएचके जैसे छोटे मकानों की बिक्री बढ़ी है। ग्राहक निर्माणाधीन परियोजनाओं में मकान खरीदने की बजाय तैयार प्रॉपर्टी खरीदना पसंद कर रहे हैं, लेकिन ज्यादातर प्रॉपर्टी इस श्रेणी से बाहर हैं।
 
एसोचैम ने बताया कि इस त्योहारी मौसम में सेकंडरी मार्केट या रीसेल का बाजार भी सुस्त पड़ा है। पिछले साल इसी मौसम की तुलना में इस साल कीमतों में कम से 20 से 25 प्रतिशत की गिरावट देखी जा रही है। एनसीआर तथा आसपास के इलाकों में काफी कम रीसेल हो रही है। असंगठित क्षेत्र के छोटे बिल्डरों द्वारा किए गए अंधाधुंध निर्माण के कारण बाजार पर अतिआपूर्ति का दबाव है। 
 
अनबिकी इन्वेंटरी का सबसे ज्यादा दबाव एनसीआर क्षेत्र पर देखा जा रहा है। इसमें निर्माणाधीन आवासीय प्रॉपर्टी का 30 प्रतिशत यानी लगभग 1 लाख 70 हजार इकाइयां खरीददारों की बाट जोह रही हैं। 
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि रियल इस्टेट क्षेत्र जल्द गति नहीं पकड़ता है तो इसमें काम करने वाले 80 लाख से 1 करोड़ मजदूरों की रोजी-रोटी खतरे में पड़ जाएगी। 3 बेडरूम वाले, 2 बीएचके तथा 1 कमरे के मकानों की कीमत नोएडा में 30 प्रतिशत, गुडगांव में 25 प्रतिशत तथा दिल्ली के कुछ महत्वपूर्ण इलाकों में 15 प्रतिशत घटने के बावजूद इनके लिए ग्राहक नहीं मिल रहे हैं।
 
एसोचैम ने रियल इस्टेट के लिए समयबद्ध मंजूरी प्रणाली स्थापित करने तथा इस प्रक्रिया को जवाबदेह तथा सरल बनाने की मांग की है। उसने इसमें पारदर्शिता लाने के लिए मंजूरी प्रक्रिया ऑनलाइन करने की भी मांग की है। 
 
उसने विश्लेषकों के हवाले से कहा है कि अगले साल मार्च तक प्लॉटों, मकानों तथा फ्लैटों की मांग में 15 से 20 प्रतिशत तक की और गिरावट आ सकती है। एनसीआर में अनबिके मकानों की संख्या बहुत ज्यादा है तथा आसपास के इलाकों में बड़ी संख्या में परियोजनाएं शुरू हो रही हैं। (वार्ता) 

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