नई दिल्ली। रिलायंस कैपिटल को अपनी वाणिज्यिक वित्तीय कारोबार को अलग इकाई को हस्तांतरित करने के लिए शेयरधारकों की मंजूरी मिल गई है। कंपनी का ऋण पोर्टफोलियो करीब 16,500 करोड़ रुपए का है। इससे उसे वाणिज्यिक वित्त इकाई में हिस्सेदारी बेचने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
हस्तांतरण के बाद रिलायंस कैपिटल आरबीआई के पास अपने-आपको मूल निवेश कंपनी (सीआईसी) के तौर पर पंजीकृत कराने के लिए आवेदन करेगी और इससे बैंकिंग लाइसेंस के आवेदन की भी सुविधा मिलेगी। जब भी केंद्रीय बैंक की नीति इसकी अनुमति देगी, कंपनी इसके लिए आवेदन करेगी।
रिलायंस कैपिटल ने सोमवार को एक बयान में कहा कि अदालत के आदेश पर 10 सितंबर को बुलाई गई आम बैठक में हस्तांतरण को लेकर शेयरधारकों ने 99.99 प्रतिशत मत के आधार पर मंजूरी दी।
रिलायंस कैपिटल की दोनों अनुषंगियों (रिलायंस निप्पन लाइफ इंश्योरेंस और रिलायंस निप्पन लाइफ एसेट मैनेजमेंट) का पहले ही एक रणनीतिक भागीदार है निप्पन लाइफ इंश्योरेंस जिसमें उसकी 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
योजना के मुताबिक रिलायंस कैपिटल की वाणिज्यिक वित्तीय शाखा का रिलायंस गिल्ट्स में विलय किया जाना है, जो रिलायंस कैपिटल की पूर्ण स्वामित्व की अनुषंगी है। विलय के बाद बनी इकाई का नाम रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस (आरसीएफ) रखा जाना है।
रिलायंस गिल्ट्स का नाम अब रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस कर दिया गया है, जो भारत के गैरबैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में प्रमुख एसएमई ऋणदाता है, जो परिसंपत्ति आधारित ऋण और उत्पादक परिसंपत्ति निर्माण पर केंद्रित है। कंपनी का ऋण पोर्टफोलियो 30 जून की स्थिति के मुताबिक 16,451 करोड़ रुपए है। (भाषा)