नई दिल्ली। टाटा समूह की सबसे बड़ी कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज अपने पांच हजार कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के लिए 'एग्जिट प्लान' (निकालने की योजना) बना रही है।
इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के अनुसार मुनाफा कमा रही टाटा की सॉफ्टवेयर कंपनी टीसीएस को छोड़कर बाकी कंपनियों पर करीब 25.5 अरब डॉलर का कर्ज है। टाटा टेलीसर्विसेज पर काफी कर्ज है और कंपनी जल्द बंद होने वाली है। इन कंपनियों की संख्या 110 के लगभग है। कंपनी ने अपने सभी सर्किल हेड को 31 मार्च 2018 तक नौकरी छोड़ने के लिए कहा है।
नौकरी छोड़ने की इस योजना में तीन महीने से छह महीने तक नोटिस पीरियड का प्रावधान रखा जा सकता है। जो लोग इस नोटिस पीरियड से पहले छोड़न चाहेंगे उन्हें अलग से भत्ता दिया जाएगा। वरिष्ठ कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति योजना (वीआरएस) लाई जाएगी और कुछ कर्मचारियों को समूह की दूसरी कंपनियों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
रिपोर्ट के अनुसार टाटा समूह की दूसरी कंपनियों के ऊपर भी बंदी की तलवार लटक रही है। टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखर ने इकोनॉमिक्स टाइम्स से रविवार (नौ अक्टूबर) कहा, 'सबसे पहले मैं ये स्वीकार करूंगा कि हालात काफी जटिल हैं। हमें इसे सरल करना होगा। मैं चाहूंगा कि हम 5-6 या 7 समूह रहें न कि 110 कंपनियां। जब तक हम ऐसे (ढेर सारी कंपनियां) तब तक कुछ नहीं होगा।'
चंद्रशेखरन ने टाटा टेलीसर्विसेज में निवेश करने की संभावना को भी पूरी तरह खारिज कर दिया। चंद्रशेखरन ने इकोनॉमिक्स टाइम्स से कहा कि ऐसा करना 'पैसा पानी में फेंकने जैसा होगा।' चंद्रशेखरन ने ईटी से कहा, 'इसे सुधारने के लिए 50-60 हजार करोड़ रुपए चाहिए…हमारे पास ये विकल्प नहीं है।'
53 वर्षीय चंद्रशेखरन ने ईटी से कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता अपना “बहीखाता दुरुस्त करना है।” टाटा समूह अपने स्टील कंपनियों और ऑटो कंपनियों में बड़े रद्दोबदल कर सकती है ताकि उन्हें पहले से ज्यादा लाभदायक बनाया जा सके। इसकी शुरुआत करते हुए टाटा ने टाटा स्टील के यूरोपीय कारोबार और भारतीय कारोबार को अलग कर लिया है। (एजेंसी)