नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने समायोजित सकल राजस्व (एडजस्टेड ग्रॉस रिवेन्यू अर्थात एजीआर के मामले में भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया, रिलायंस कम्युनिकेशन, टाटा टेलीसर्विसेज और अन्य दूरसंचार कंपनियों के प्रबंध निदेशकों (एमडी) को 17 मार्च को व्यक्तिगत तौर पर तलब किया है।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इन कंपनियों के प्रबंध निदेशकों को शुक्रवार को अवमानना का नोटिस जारी करते हुए सभी प्रबंध निदेशकों को व्यक्तिगत तौर पर 17 मार्च को पेश होने को कहा है। शीर्ष अदालत ने न्यायालय में पेश होकर ये बताने को कहा कि उनकी कंपनियों ने अब तक रुपए क्यों नहीं जमा कराए हैं।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने सरकार से भी पूछा कि दूरसंचार विभाग ने यह अधिसूचना कैसे जारी की कि अभी भुगतान न करने पर कंपनियों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश को कैसे रोका गया। उन्होंने कहा, किस अधिकारी ने इतनी जुर्रत की कि हमारे आदेश पर रोक लगा दी गई। यदि एक घंटे के भीतर आदेश वापस नहीं लिया गया, तो उस अधिकारी को आज ही जेल भेज दिया जाएगा।
न्यायालय ने कहा, हमारे आदेश के बावजूद ये रकम जमा नहीं हुई, हम अचंभित हैं कि एक पैसा भी जमा नहीं कराया गया। देश में क्या हो रहा है, ये बिलकुल बकवास है, हमें जो कहना था हम कह चुके हैं। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि ये याचिकाएं दाखिल नहीं करनी चाहिए थीं, ये सब बकवास है, क्या सरकारी डेस्क अफसर शीर्ष अदालत से बढ़कर है, जिसने हमारे आदेश पर रोक लगा दी।
गौरतलब है कि एजीआर के तहत क्या-क्या शामिल होगा, इसकी परिभाषा को लेकर टेलीकॉम कंपनी और सरकार के बीच विवाद चल रहा था। टेलीकॉम कंपनियां सरकार के साथ लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज शेयरिंग करती हैं।
सुप्रीम कोर्ट की परिभाषा के अनुसार, किराया, संपत्ति की बिक्री पर मुनाफा, ट्रेजरी इनकम, डिविडेंड सभी एजीआर में शामिल होंगे। वहीं डूबे हुए कर्ज, करंसी में फ्लकचुएशन, कैपिटल रिसिप्ट डिस्ट्रीब्यूशन मार्जन एजीआर में शामिल नहीं करने का आदेश दिया गया है।