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आईपीएल के मैच को बाधित करेंगे किंगफिशर के कर्मचारी

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, गुरुवार, 21 मार्च 2013 (16:09 IST)
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नई दिल्ली। किंगफिशर एयरलाइन के कर्मचारियों को पिछले दस माह से वेतन नहीं दिया गया है। इसी से नाराज होकर कर्मचारियों ने कंपनी प्रमुख विजय माल्या पर कार्रवाई की मांग की है। साथ ही उन्होंने अगले महीने से शुरू हो रहे आइपीएल मैचों को बाधित करने की धमकी भी दी है।

कर्मचारियों ने सरकार से श्रम कानूनों में ऐसा संशोधन करने की मांग की है जिसमें वेतन भुगतान न करने को अपराध माना जाए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से भी उम्मीद जताई है कि वह उनके मामले के साथ इस तरह के अन्य मामलों को स्वत: संज्ञान में लेगा और कोई कदम उठाएगा।

कर्मचारियों ने इस बाबत राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, नागरिक विमानन मंत्री अजित सिंह व विमानन महानिदेशक अरुण मिश्रा को चिट्ठी लिखी है।

किंगफिशर एयरलाइंस मेंटीनेंस एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष गौतम ने कहा कि माल्या को यह बताना होगा कि वह एयरलाइन चलाना चाहते हैं या बंद करना। यदि बंद करना है तो हमारा वेतन दे दें। कर्मचारियों का धैर्य अब जवाब दे रहा है। अब हम किसी भी हद तक जा सकते हैं।

एसोसिएशन ने विजय माल्या के स्वामित्व वाली आइपीएल की टीम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूर के मैचों में व्यवधान पैदा करने की भी धमकी भी दी है। गौतम के मुताबिक पिछली बार जब ग्रेटर नोएडा में फार्मूला वन रेस का आयोजन हुआ था तो कर्मचारियों के डर से विजय माल्या ने एक महीने का वेतन दे दिया था। उस समय भी व्यवधान पैदा करने की धमकी दी गई थी। तब बाकी का भुगतान किस्तों में देने का उन्होंने वादा किया था। मगर वादा नहीं निभाया।

इस बार कर्मचारी आइपीएल के उन मैचों में स्टेडियमों के बाहर प्रदर्शन करेंगे जहां रॉयल चैलेंजर्स की टीम खेल रही होगी। एसोसिएशन ने रॉयल चैलेंजर्स के खिलाड़ियों से माल्या की टीम छोड़ने और बीसीसीआइ से इस टीम को अगले आइपीएल में न लेने की भी अपील की है।

गौरतलब है कि वेतन न दे पाने और उड़ानों को वादे के मुताबिक न चला पाने के कारण डीजीसीए ने पिछले साल अक्टूबर में किंगफिशर का लाइसेंस निलंबित कर दिया था। फिर 31 दिसंबर को लाइसेंस की अवधि भी समाप्त हो गई जिसका डीजीसीए ने अब तक नवीनीकरण नहीं किया है।

नवीनीकरण के लिए डीजीसीए ने कर्मचारियों के वेतन सहित पूरा बकाया भुगतान करने की शर्त रखी है। कंपनी पर 17 बैंकों व वित्तीय संस्थाओं का 7000 करोड़ से अधिक का कर्ज है। इसके अलावा विभिन्न हवाई अड्डा संचालकों और तेल कंपनियों का भी बकाया है। (एजेंसी)

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