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इफको सेनेगल में करेगी 400 करोड़ रु. निवेश

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, रविवार, 13 जनवरी 2008 (18:59 IST)
रासायनिक खाद के निर्माण के लिए जरूरी फास्फोरिक एसिड की आपूर्ति बढ़ाने के लिए इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) दस करोड़ डॉलर (करीब 400 करोड़ रु.) का निवेश कर सेनेगल के एक संयंत्र का पुनरुद्धार करेगी।

सेनेगल और भारतीय प्रतिनिधिमंडल के बीच गत सप्ताह पेरिस में हुई लंबी बातचीत के बाद आईसीएस सेनेगल कंपनी के संयंत्र के पुनरुद्धार करने का काम इफको को सौंपने का फैसला किया गया। इसके लिए हुए करार पर इफको के प्रबंध निदेशक यूएस अवस्थी तथा सेनेगल के खान और उद्योग मंत्री मदिके नियांग ने हस्ताक्षर किए। बातचीत में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व रसायन और उर्वरक सचिव यूएस शर्मा ने किया।

इफको ने फ्रांस की एक कंपनी से कड़े मुकाबले में इस संयंत्र के उत्पादन सुधारने का अधिकार हासिल किया है। आईसीएस सेनेगल कंपनी की वार्षिक क्षमता 6.6 लाख टन फास्फोरिक एसिड के उत्पादन की है तथा इसका 80 प्रतिशत उत्पादन का आयात इफको करती है। पिछले तीन-चार वर्ष से यह कंपनी लगातार घाटा उठा रही थी। इसका घाटा पिछले वर्ष दिसंबर तक बढ़कर 1300 करोड़ रु.तक पहुँच गया था।

इसके चलते कंपनी का फास्फोरिक एसिड का उत्पादन भी निरंतर घट रहा था और इस समय संयंत्र में क्षमता का 30 प्रतिशत ही उत्पादन हो रहा है। इफको और सेनेगल सरकार के साथ हुए करार को जल्द ही कानूनी रूप दिया जाएगा और उसके बाद इफको तीन वर्ष में आईसीएस सेनेगल में दस करोड़ डॉलर का निवेश कर इसका उत्पादन छः लाख टन प्रतिवर्ष तक बढ़ाएगी। इफको इस कंपनी के ऋणों का भी भुगतान करेगी। इसके अलावा सेनेगल की कंपनी को एक करोड़ डॉलर का ऋण देगी जिसका भुगतान इफको को फास्फोरिक एसिड की बिक्री से होने वाली आय से किया जाएगा।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार भारत और सेनेगल सरकारों तथा इफको ने संयुक्त उद्यम के रूप में आईसीएस सेनेगल कंपनी की स्थापना की थी। इसमें भारत सरकार की इक्विटी 6.97 प्रश, इफको की 19.06 प्रतिशत तथा सेनेगल सरकार की इक्विटी 47 प्रतिशत थी। इफको इस कंपनी को एक तरह से अपने हाथ में लेने का पिछले दो वर्ष से प्रयास कर रही थी और गत जुलाई में आठ करोड़ डॉलर के निवेश पर सहमति बन गई थी।

इफको के प्रयासों को उस समय झटका लगा जब सेनेगल सरकार ने इसके लिए फ्रांस की आरजी कंपनी से समझौता कर लिया। इससे इफको को फास्फोरिक एसिड की आपूर्ति खतरे में पड़ सकती थी तथा कंपनी का प्रबंध फ्रांस की कंपनी में चला जाता। इसे देखते हुए सेनेगल सरकार के साथ तत्काल बातचीत करने का फैसला किया गया है।

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