सरकारी तेल कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपीसीएल) का कहना है कि अगर ईंधन की खुदरा कीमतें नहीं बढ़ती तो चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही उसका घाटा बढ़कर 1000 करोड़ रुपए का हो सकता है।
एचपीसीएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अरूण बालकृष्णन ने संवाददाताओं को बताया कि अगर कच्चे तेल की कीमतें इसी तरह बढ़ती रहीं तो कंपनी को चालू तिमाही में 1000 करोड़ रु. का भारी भरकम घाटा उठाना पड़ेगा। बालकृष्णन ने कहा कि भारी घाटे से निपटने के लिए पेट्रोल की कीमतें प्रति लीटर पाँच से छः रु., डीजल की साढ़े पाँच रु., केरोसीन की 18 रु. और एलपीजी सिलेंडर के दाम 200 रु. बढ़ाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि अगर ईंधन उत्पादों पर अगर शुल्क में कटौती की जाती है तो इससे तेल विपणन कंपनियों को और राहत मिलेगी। गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 98 डॉलर प्रति बैरल के नजदीक पहुँच चुकी हैं। तेल कंपनियों को करीब 240 करोड़ रु. प्रति दिन का घाटा हो रहा है।