वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण कंपनियों में छँटनी संबंधी बयान के कारण विवाद में आए एसोसिएटिड चैम्बर्स ऑफ कामर्स (एसौचेम) ने कहा है कि बैंकों की कर्जे में फँसी राशि (एनपीए) में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उनका पूँजी पर्याप्तता अनुपात (सीएआर) दो प्रतिशत गिरा है।
गौरतलब है कि यही संगठन बैंकों से सस्ते कर्जे की माँग करता रहा है और अब उसे बैंकों की सेहत को लेकर चिंता हो रही है। एसौचेम ने सार्वजनिक क्षेत्र के 15 और निजी क्षेत्र के 10 बैंकों के व्यवसाय के विश्लेषण के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट में कहा कि वर्ष 2008-09 की दूसरी तिमाही में इन बैंकों का एनपीए पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के 15462.84 करोड़ रुपए की तुलना में 24.36 प्रतिशत बढ़कर 17522.82 करोड़ रुपए हो गया। इसके अलावा बैंकों की सीएआर दर भी दो प्रतिशत गिरकर 13.41 प्रतिशत से 12.68 प्रतिशत रह गई है।
एसौचेम ने यह भी कहा है कि हालाँकि वैश्विक वित्तीय संकट से भारतीय बैंकिंग तंत्र पर कोई खास असर नहीं पड़ा है, लेकिन इस अध्ययन के नतीजे सकारात्मक संकेत नहीं दे रहे हैं।