राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए कॉरपोरेट दुनिया और कृषि क्षेत्र के बीच मजबूत गठजोड़ की आज पुरजोर वकालत की।
‘डायनामिक्स आफ रूरल ट्रासफॉरमेशन इन इमर्जिंग इकोनमीज’ विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘ग्रामीण इलाकों के समीप खाद्य प्रसंस्करण और अन्य कृषि आधारित उद्योग की स्थापना से कंपनियाँ और किसान, दोनों लाभान्वित होंगे।'
उन्होंने कहा कि उद्योग की सहभागिता वाला कृषि मॉडल बड़े पैमाने के उत्पादन की बचत तथा सामाजिक..आर्थिक विकास में मददगार साबित हो सकता है।
राष्ट्रपति ने कहा ‘वैश्विक मंदी के दौरान भारत पर दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले नकारात्मक प्रभाव कम था। इसका एक प्रमुख कारण घरेलू माँग है जो ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों से आती है।’
ग्रामीण प्रवास रोकने के सरकार के प्रयास के बारे में उन्होंने कहा कि शहरों में पलायन रोकने के लिए हमारा प्रयास ग्रामीण बुनियादी ढाँचे को बहाल करना है। शहरीकरण में बढ़ोतरी के बावजूद ग्रामीण अर्थव्यवस्था सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण जरिया बना रहेगा। उन्होंने कहा कि 2050 तक विश्व की आबादी 9 अरब हो जाएगी।
खाद्य सुरक्षा के सवाल पर राष्ट्रपति ने कहा कि एक अरब से अधिक जनसंख्या वाले देश में खाद्य सुरक्षा महत्वपूर्ण मुद्दा है। फिलहाल हमारे पास खाद्य जिंसों के वितरण की प्रणाली के रूप में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली है जिसमें गरीबों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा 'दुनिया की कुल जनसंख्या का 25 प्रतिशत हिस्सा उभरते बाजार कहे जा रहे भारत, ब्राजील, चीन व दक्षिण अफ्रीका, इन चार देशों में बसता है।
उन्होंने कहा 'वैश्विकृत दुनिया में ग्रामीण इलाकों में विकास अभी किया जाना है। उन्होंने कहा कि वैश्विक वित्तीय संकट की पुरावृत्ति रोकने के लिए वित्तीय नियमों से वृद्धि के लिए अधिक स्थिर माहौल मिलेगा।
उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादों के व्यापार के लिए अधिक निष्पक्ष बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली उभरती अर्थव्यवस्थाओं में ग्रामीण विकास के प्रयासों पर सकारात्मक असर डालेगी।
ग्रामीण विकास मंत्री सी पी जोशी ने इस अवसर पर कहा कि अगर अकुशल कामगारों को संतोषजनक कुशल व अर्धकुशल कामगारों में बदल पाते हैं तो ग्रामीण भारत में आमूल चूल बदलाव तेजी से हो सकेगा।(भाषा)