भारतीय कंपनी जगत जनवरी-मार्च की तिमाही को लेकर उत्साहित है, पर जहाँ तक नई नियुक्तियों का सवाल है, तो इस मामले में वह सतर्कता बरत रहा है। एक नए अध्ययन में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में नौकरियों के ज्यादा अवसर छोटे शहरों में मिलेंगे। अधिकांश नई नियुक्तियाँ कनिष्ठ स्तर पर होंगी।
टीमलीज की जनवरी-मार्च के रोजगार परिदृश्य पर रिपोर्ट के अनुसार, कारोबारी संभावनाओं की दृष्टि से इस तिमाही में परिदृश्य में कुछ सुधार हुआ है, जिससे रोजगार की संभावनाएँ भी बढ़ी हैं। तिमाही के लिए व्यावसायिक परिदृश्य दो प्रतिशत सुधरकर 73 फीसदी हो गया है, वहीं रोजगार परिदृश्य एक प्रतिशत की वृद्धि के साथ 69 प्रतिशत पर पहुँच गया है।
टीमलीज सर्विसेज की उपाध्यक्ष संगीता लाला ने कहा कि मुद्रास्फीतिक दबाव के बावजूद पिछली दो तिमाहियों में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 8.9 प्रतिशत रही है। हालाँकि महँगाई चिंता का विषय बनी हुई है, पर भारतीय कार्पोरेट जगत की कारोबारी धारणा सकारात्मक है। कंपनियों के तीसरी तिमाही के बेहतर नतीजों से भी इसका संकेत मिलता है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि कंपनियाँ अब टियर-2 (छोटे) शहरों पर ध्यान केंद्रित करेंगी, जिसका श्रम बाजार पर अच्छा असर दिखाई देगा। सर्वेक्षण में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में नियुक्ति गतिविधियाँ बहुत हद तक स्थिर हैं।
लाला ने कहा कि टियर दो शहरों में नियुक्ति गतिविधियों में इजाफा होगा, वहीं मेट्रो शहरों और टियर तीन कस्बों में पिछली तिमाहियों की मजबूत धारणा बनी रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रवेश स्तर पर मध्य स्तर की तुलना में रोजगार का परिदृश्य ज्यादा सकारात्मक दिखाई दे रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी-मार्च की तिमाही के लिए रोजगार परिदृश्य में नौ प्रतिशत का उल्लेखनीय इजाफा हुआ है, जबकि मध्य स्तर पर इसमें दो फीसद की वृद्धि हुई है। (भाषा)