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टाटा की 'नैनो' से ग्राहक की पौ बारह

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नई दिल्ली (वार्ता) , शनिवार, 12 जनवरी 2008 (20:11 IST)
टाटा की बहुचर्चित कार नैनो के आने से ग्राहक एक बार फिर 'किंग' बनकर उभरा है। उसकी सुविधा के लिए जहाँ एक तरफ टाटा समूह ने दिन-रात एक कर नैनो बनाई वहीं अब कार लोन देने के लिए बैंक आकर्षक पैकेज के साथ कतार लगाए खड़े होंगे।

केवल इतना ही नहीं दुपहिया वाहन निर्माता भी अब नई तकनीक का इस्तेमाल कर सस्ते दुपहिया लाने पर मजबूर होंगे। तिपहिया वाहनों और पुरानी कारों का व्यापार तो खतरे में पड़ जाएगा।

वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (एसोचैम) द्वारा टाटा की नैनो का अनावरण होने के बाद किए गए त्वरित सर्वेक्षण में ये परिणाम सामने आए हैं। अस्सी प्रतिशत उद्यमियों के मुताबिक नैनो बाजार में आने के बाद बैंकों के कार लोन में 25 प्रतिशत तक वृद्धि होगी। दुपहिया वाहनों के दाम 20 प्रतिशत कम होंगे इसके साथ ही पुरानी कारों के दाम भी 35 प्रतिशत तक नीचे आ जाएँगे।

उद्यमियों के मुताबिक टाटा ने एक लाख रुपए की कार बनाकर दुपहिया वाहन निर्माताओं के समक्ष कड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। उन पर भी अब सस्ते दुपहिया बाजार में उतारने का दबाव बढ़ गया है। छोटी कार आने के बाद उनका बाजार घट सकता है। बाजार पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए वह नई तकनीक का इस्तेमाल कर दुपहिया वाहनों के दाम 20 प्रतिशत तक घटा सकते हैं।

इसके साथ ही पुरानी कारों का बाजार भी प्रभावित होगा। पुरानी कारों के दाम कम से कम 35 प्रतिशत तक नीचे आ सकते हैं। एसोचैम अध्यक्ष वेणुगोपाल एन. धूत ने त्वरित सर्वेक्षण के परिणाम जारी करते हुए कहा कि 75 प्रतिशत सीईओ मानते हैं कि टाटा कि नैनो बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध होने के बाद बैंकों के ऋण में 25 प्रतिशत तक वृद्धि होगी।

उनके मुताबिक आने वाले दिनों में कार बाजार में भारी प्रतिस्पर्धा छिड़ जाएगी। टाटा की छोटी कार आने के बाद कई और कार निर्माताओं ने सस्ती कार बनाने की घोषणाएँ कर डाली हैं। एसोचैम सर्वेक्षण के मुताबिक वर्तमान में बैंक जितना कर्ज देते हैं उसका 10 प्रतिशत से भी कम चार पहियों के वाहनों के लिए जाता है।

सबसे ज्यादा करीब 26 प्रतिशत ऋण निर्माण और अचल संपत्ति के क्षेत्र में जाता है। टाटा की नैनो कार इस साल अक्टूबर तक बाजार में आ जाने की उम्मीद है। एसोचैम सर्वेक्षण में 60 प्रतिशत उद्यमियों का मानना है कि ऑटो नैनो का सबसे खराब असर ऑटो रिक्शा निर्माताओं पर पड़ेगा। बड़े शहरों और महानगरों में भी इस समय जो सबसे सस्ते वाहनों का बाजार है उसका स्थान बड़ी तेजी से टाटा की नैनों कार ले लेगी। अगले साढ़े तीन साल में बजट वाली सस्ती कारों के कुल हिस्से में 50 प्रतिशत नैनो का होगा।

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