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टाटा की प्रतिद्वंद्वियों को चेतावनी

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नई दिल्ली (भाषा) , शुक्रवार, 11 जनवरी 2008 (13:43 IST)
ुरुआती दौर से ही अपनी प्रिय सस्ती कार परियोजना के विवादों के घेरे में आने से दुखी टाटा समूह के प्रमुख रतन टाटा ने गुरुवार को अपने प्रतिद्वंद्वियों से ताल ठोंककर कहा कि मुकाबला बाजार में करें, कहीं और नहीं।

लखटकिया कार के नाम से लोकप्रिय कार 'नैनो' के लांच से पहले टाटा ने संपादकों से कहा कि बाजार में जो सबसे अच्छा है वह जीतता है। मैं बाजार में मुकाबला करने के लिए इच्छुक हूँ। मैं सभी कंपनियों से गुजारिश करता हूँ कि वे बाजार में मुकाबला करें।

उन्होंने इस बात पर रोष जताया कि नैनो की परियोजना पर हर किस्म के हमले हुए। कभी जमीनी स्तर पर तो कभी छद्म रूप से।

लखटकिया कार पर उठे विवादों को गिनाते हुए उन्होंने कहा कि लोगों ने इस पर ईंधन पर दबाव बनाने और उत्सर्जन एवं सुरक्षा नियमों के अनुरूप न होने का आरोप लगाया।

टाटा ने कहा मैं इस बात से दुखी हूँ कि भारतीय सबसे बड़े आलोचक बनते जा रहे हैं। हम अपनी ही जड़ें क्यों काटें। बाजार निर्णय करेगा। न हम न आप। यदि हम सफल होते हैं तो एक नया किला फतह करने जैसा है।

उन्होंने कहा कि यह परियोजना जो खर्च पाने लायक कीमत पर सुरक्षित परिवहन के सामाजिक मुद्दे और दोपहिया वाहन के विकल्प के तौर पर शुरू हुई थी, एक आकर्षक कारोबार भी बन सकती है, क्योंकि टाटा मोटर्स अपेक्षाकृत अमीरों के लिए भी सस्ती कार के मॉडल पर काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि मैं नहीं समझता कि हमें किनारे धकेला गया है। हमने कभी नहीं कहा कि यह लखटकिया कार होगी, लेकिन यह मीडिया की अटकल थी, जिसे हमने चुनौती के रूप में स्वीकार किया। यह परिकल्पना एक सामाजिक मुद्दे के तौर पर शुरू हुई न कि कारोबार या परोपकार के लिए। एक आधार मॉडल होगा और अमीर ग्राहकों के लिए भी कई प्रारूप होंगे जिससे कारोबार की संभावना आकर्षक हो जाएगी।

पूछने पर कि उनके प्रतिद्वंद्वी उनसे सस्ती कार बना सकते हैं या नहीं? टाटा ने कहा कि बिल्कुल संभव है, औरों के दिमाग में अलग चीजों के इस्तेमाल से और अच्छा समाधान पेश कर सकें।

प्रतिद्वंद्वियों के बारे में उन्होंने कहा कि हमने वह किया जिसके बारे में लोग कहते थे कि यह संभव नहीं है। अब वही लोग हमारी नकल कर रहे हैं। यह हमारी परिकल्पना के औचित्य को साबित करता है। मुझे यह संतोष है कि हम नेतृत्व कर रहे हैं।

टाटा ने मारुति 800 को अपनी परियोजना के लिए बेंचमार्क बनाया, जिसने करीब दो दशक तक भारतीय बाजार पर राज किया और उन्होंने ऐसी कार बनाई जो लंबाई में आठ फीसदी छोटी लेकिन अंदर से 21 फीसदी ज्यादा जगह वाली है।

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