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टाटा नैनो और यातायात

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शराफत खान

, गुरुवार, 10 जनवरी 2008 (13:08 IST)
पहले आदमी की बुनियादी जरूरतों में रोटी, कपड़ा और मकान को शामिल किया जाता था। जमाना बदला, लोग बदले और उनकी जरूरतें भी बढ़ीं। आधुनिक युग में रोटी, कपड़ा और मकान के साथ कार को भी आज की बुनियादी जरूरत माना जाता है।

हर आदमी का सपना होता है कि उसके पास एक कार हो, लेकिन बढ़ती महँगाई के दौर में कार खरीदना मुश्किल है। टाटा मोटर्स ने आम आदमी को ध्यान में सबसे रखकर सस्ती कार टाटा नैनो का अनावरण गुरुवार 10 जनवरी को किया।

टाटा नैनो के बाजार में आने के बाद आम आदमी का कार खरीदने का सपना सच हो सकेगा। पहले सिर्फ बाइक तक ही सीमित रहने वाला आम आदमी अब कार में घूम सकेगा।

टाटा मोटर्स ने यकीनन आधुनिक युग में आम आदमी की बुनियादी जरूरत के नारे 'रोटी, कपड़ा, मकान और कार' को पूरा किया है, लेकिन कार बाजार की इस क्रांति को पर्यावरण के नजरिये से भी देखना जरूरी है, क्योंकि रोटी, कपड़ा, मकान और कार से पहले पर्यावरण की सुरक्षा जरूरी है।

टाटा नैनो आम आदमी की पहुँच में होने से यह खूब बिकेगी, यह तय है। खासतौर से मध्यम वर्ग इसमें खासी दिलचस्पी दिखाएगा। वाहनों से निकला धुआँ पहले ही पर्यावरण को दूषित कर रहा है, ऐसे में इस कार के आ जाने से क्या पर्यावरण को और नुकसान नहीं पहुँचेगा? इसके अतिरिक्त एक सवाल यह भी है कि मुंबई, बेंगलुरु, चैन्नई, दिल्ली, कोलकाता और अन्य कई बड़े शहर पहले ही बढ़ते यातायात की समस्या से जूझ रहे हैं। टाटा नैनो के आने के बाद यातायात की स्थिति क्या और भयावह नहीं हो जाएगी? हमें यातायात व्यवस्थाओं के बारे में भी सोचना चाहिए।

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