सरकार ने कहा है कि पिछले एक साल के दौरान शेयर बाजारों में आई तेजी का एफआईआई से कोई आकस्मिक संबंध नहीं है।
वित्त राज्यमंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा कि शेयर बाजारों की नियामक संस्था सेबी की राय में कुल कारोबार की तुलना में अक्तूबर 2006 से अक्तूबर 2007 तक विदेशी संस्थागत निवेशकों के कारोबार को देखते हुए इनके निवेश और शेयर बाजारों के सूचकांक में परिवर्तनों के बीच आकस्मिक संबंध नहीं जान पड़ता है।
बंसल ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में बताया सेबी सूचकांकों के स्तरों को ध्यान में रखे बिना शेयर बाजारों पर लगातार निगरानी बनाए हुए हैं और जरुरत पड़ने पर तत्काल कार्रवाई की है।
सेबी और शेयर बाजारों ने एक सुरक्षित, पारदर्शी और कारगर बाजार को बढावा देने तथा बाजार की सत्यनिष्ठा को बनाए रखने के लिए प्रणालियों और कार्यपद्धतियों को लागू किया है।
बंसल ने कहा कि अक्टूबर माह के दौरान शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव के कारणों में अन्य बातों के अलावा ऑफशोर डेरीवेटिव इन्स्ट्रूमेंट्स (ओडीआई) से संबंधित नीतिगत उपाय, अमेरिका के आवास क्षेत्र का वित्तीय संकट, फैडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती, येन कैरी कारोबार और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी आदि थे।
वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार का निवेश देश से बाहर किया जाता है इसलिए वस्तुओं की कीमतों पर इसका सीधा प्रभाव नहीं पड़ता है।