पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री मुरली देवड़ा ने दुनिया के तेल उत्पादक देशों से मूल्यों की उठापटक को बंद कर बेहतर भविष्य के लिए उचित मूल्य पर तेल आपूर्ति सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
अंतरराष्ट्रीय तेल एवं गैस सम्मेलन एवं प्रदर्शनी पेट्रोटेक-2009 के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए देवड़ा ने ईरान, लीबिया, ओमान, कतर, सूडान, सऊदी अरब और यमन से आए मंत्रियों की उपस्थिति में कहा कि तेल मूल्यों की घटबढ़ को दूर करने के उपाय किए जाने चाहिए। ऐसे कारणों को दूर करना चाहिए, जो ऊर्जा आपूर्ति में रुकावट खड़ी करते हैं और मूल्यों में घटबढ़ बढ़ाते हैं।
उन्होंने कहा कि बढ़ती वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के लिए उचित दाम पर कच्चे तेल की उपलब्धता सुनिश्चित करना बेहतर भविष्य के लिए जरूरी है। देवड़ा ने कहा कि अनुभव ने हमें सिखाया है कि बहुत ज्यादा नीची कीमतें और बहुत ऊँची कीमतें कभी भी बनी नहीं रहती हैं।
उन्होंने कहा कि केवल पेट्रोलियम क्षेत्र की ही बात नहीं है किसी भी उद्योग में जहाँ दाम सामान्य स्तर से नीचे चलते हैं, वहाँ से निवेशक हाथ खींचने लगते हैं और निवेश घटने लगता है, जिसका असर उत्पादन, परिवहन, वितरण और विपणन हर क्षेत्र पर होता है।
दूसरी तरफ दाम कम रहने से जरूरत से ज्यादा खपत को बढ़ावा मिलता है। कम दाम-कम उत्पादन, लेकिन दूसरी तरफ ऊँची माँग का नतीजा मूल्यों में उछाल पैदा करता है। इस तरह की स्थिति किसी भी उद्योग के लिए ठीक नहीं है।
उल्लेखनीय है पिछले छह-सात महीनों में विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम 147 डॉलर की रिकॉर्ड ऊँचाई छूने के बाद इन दिनों 40 से 45 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में बोले जा रहे हैं। देवड़ा के मुताबिक यह स्थिति उत्पादक एवं उपभोक्ता किसी के लिए भी ठीक नहीं है।
देवड़ा ने दुनियाभर में आने वाले दशकों में तेल की उपलब्धता कम होने की आशंकाओं को दरकिनार करते हुए कहा कि इस तरह की बातों में कोई दम नहीं है। इस तरह की बातों से मूल समस्या से ध्यान हटाया जा रहा है।
उन्होंने कहा समस्या तेल उपलब्धता की नहीं है, बल्कि वास्तविक समस्या उपभोक्ताओं तक तेल पहुँचाने की है। तेल उपलब्धता और उसकी गंतव्य तक पहुँच में बहुत फर्क है। इसके लिए हमें उचित व्यवस्था करना होगी।
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा इसमें कोई शक नहीं है कि आने वाले सालों में हमें अधिक ऊर्जा संसाधनों की जरूरत होगी। ऊर्जा के लिए कोयला, परमाणु, सौर, पवन, प्राकृतिक गैस तथा अन्य विकल्पों को विकसित करने की जरूरत होगी।
उन्होंने की कहा असली चुनौती संसाधनों की अथवा उपलब्धता की नहीं है, बल्कि इसकी पहुँच सुनिश्चित करने की होगी। नियत स्थान तक ऊर्जा की पहुँच सुनिश्चित करना ही उद्योगों का वह पैमाना है, जो उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ाने, उनकी परिवहन और रिफाइनरिंग तथा उपभोक्ताओं के दैनिक उपभोग के लिए उन तक ऊर्जा पहुँचाने की योग्यता को दर्शाता है।
देवड़ा ने कहा ऐसे में ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता सभी देश आपस में एक-दूसरे पर निर्भर होकर ही हासिल कर सकते हैं। मानव मात्र के भले के लिए ऊर्जा क्षेत्र का बेहतर भविष्य तेल उत्पादक एवं उपभोक्ता देशों के बीच सहयोग से ही संभव है।
उनकी सरकार ने इस बात को ध्यान में रखते हुए ही देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अंदरूनी संसाधनों पर केन्द्रित ऊर्जा नीति के बजाय घरेलू और विदेशी ऊर्जा क्षेत्र में प्रभावी पैकेज की रणनीति पर जोर दिया है।
देश में आठवें पेट्रोटेक का आयोजन पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तत्वाधान में सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी विपणन कंपनी इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन द्वारा किया जा रहा है। सम्मेलन में विभिन्न देशों के 4000 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं, जबकि प्रदर्शनी में इस बार 270 प्रदर्शक भाग ले रहे हैं, जो कि पिछले बार से दोगुनी संख्या में हैं।