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पिछड़े वर्ग कर्मचारियों का ब्योरा जुटा रही कंपनियाँ

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नई दिल्ली , शुक्रवार, 28 मई 2010 (19:23 IST)
देश की लगभग डेढ़ सौ कंपनियों ने अपने यहाँ अनुसूचित जाति, जनजाति कर्मचारियों का ब्योरा जुटाना शुरू किया है। समाज के इन पिछड़े तबकों को निजी क्षेत्र में रोजगार में आरक्षण संबंधी लंबी बहस के बाद जिन कंपनियों ने यह कदम उठाया है उनमें टाटा ग्रुप की कुछ कंपनियाँ भी शामिल हैं।

उद्योग संगठन सीआईआई का कहना है कि उसने निजी क्षेत्र के रोजगारों में आरक्षण के संबंध में जो आचार संहिता प्रायोजित की थी उस पर 690 कंपनियों ने हस्ताक्षर किए। इनमें से 150 ने अपने अनुसूचित जाति जनजाति कर्मचारियों का ब्योरा जुटाना शुरू कर दिया है।

इस आचार संहिता के तहत कंपनियाँ अपनी रोजगार नीतियों में किसी तरह का भेदभाव नहीं करने की प्रतिबद्धता जताती हैं। इसमें कहा गया है कि टाटा ग्रुप की कंपनियों ने पिछड़ों के प्रति रोजगार में सकारात्मक रुख की नीति के प्रति प्रतिबद्धता जताई है जिसके तहत वे रोजगार में अजा जजा प्रत्याशियों को लाभ देती हैं।

सीआईआई के अध्यक्ष हरी एस भरतिया ने कहा, 'हम मानते हैं कि हमें समग्र विकास में आगे बढ़कर भूमिका निभानी होगी जो उद्योग के हित में भी है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कल उद्योग जगत के साथ विचार विमर्श में उनसे कहा था कि वे 'सकारात्मक कारवाई' के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था तथा समाज के पिछड़े तबकों तक पहुँचे।

जिन कंपनियों ने समाज के पिछले तबके के लिए प्रशिक्षण कार्य्रकम आदि शुरू किए हैं उनमें इन्फोसिस, थर्मेक्स, एचएसबीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा, क्रांप्टन ग्रीव्ज, क्युमिंस इंडिरू, गोदरेज एंड बोयस, फोर्ब्स मार्शल तथा हीरो ग्रुप हैं। (भाषा)

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