अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों के 15 महीनों के न्यूनतम स्तर पर पहुँचने के बाद भी सरकार का पेट्रोल-डीजल और घरेलू एलपीजी गैस की कीमतों में कटौती करने का कोई विचार नहीं है।
तेल मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि ईंधन बिक्री पर मौजूदा नुकसान को कम करने के मौजूदा स्तर पर तेल की कीमतों को स्थिर होना पडे़गा।
तेल मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव एस सुंदरेशन ने बताया कि ईंधन की कीमतों में कटौती करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। हमें कुछ हफ्ते स्थिति का और इंतजार करना होगा।
गौरतलब है कि भारत द्वारा खरीदे जाने वाले कच्चे तेल का बास्केट मूल्य औसतन 56.72 डॉलर प्रति बैरल पर था। एक महीने तक वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल का बास्केट मूल्य 56.72 डॉलर पर बना रहा तो सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियाँ भारत पेट्रोलियम, इंडियन आयल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम लाभ-अलाभ की स्थिति में हो जाएगी।
उधर अप्रैल-सितंबर के दौरान तीनों कंपनियों को पेट्रोल-डीजल, केरोसीन और एलपीजी गैस की बिक्री पर 92853 करोड़ रुपए (अंकेक्षित आँकड़े) का नुकसान हुआ था। इसका असर कंपनियों के दूसरी तिमाही के परिणाम पर भी देखने को मिलेगा।
सुंदरेशन ने बताया ईंधन की कीमत में कटौती करने के मौजूदा स्तर पर तेल की कीमतों को लगभग चार सप्ताह स्थिर रहना पड़ेगा। डॉलर की तुलना में रुपए में आई गिरावट ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमत में हुई गिरावट से होने वाले फायदे को कम किया है।
खुदरा विक्रेताओं को पेट्रोल पर 2.58 रुपए प्रति लीटर, डीजल पर 7.26 रुपए प्रति लीटर, केरोसीन पर 29.19 रुपए प्रति लीटर तथा घरेलू एलपीजी सिलेंडर पर 333 रुपए प्रति सिलेंडर का नुकसान हो रहा है।