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बजट समीक्षा : चिदंबरम का 'मजबूर बजट'

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प्रो. श्रीपाल सकलेचा

, गुरुवार, 28 फ़रवरी 2013 (15:28 IST)
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वित्तमंत्री पी. चिदंबरम क्रांतिकारी एवं लीक से हटकर बजट प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन वर्तमान बजट 2013-14 में उनकी यह छवि कहीं दिखाई नहीं देती। एक तरफ वित्तीय बाध्यताएं एवं दूसरी तरफ आगामी चुनावों को देखते हुए राजनैतिक बाध्यताओं के कारण वित्तमंत्री के हाथ बंधे हुए नजर आए।

इस बजट में आयकर के संबंध में एक तरफ तो टैक्स स्लैब को यथावत रखा और दूसरी तरफ 2 लाख से 5 लाख रुपए तक की आय वाले करदाताओं को 2,000 रुपए की टैक्स क्रेडिट की चुटकीभर राहत दी गई। वित्तमंत्री के आयकर प्रस्तावों से निम्नलिखित प्रभाव होंगे-

1) वर्ष 2013-14 में जिन व्यक्तियों की आय 2,20,000 रुपए तक होगी, उन्हें कोई कर नहीं देना होगा।

2) जिन व्यक्ति करदाताओं की आय 2,20,000 रुए से 5,00,000 रुपकी सीमा में है उनकी आय पर कर की गणना में करमुक्त सीमा तो 2 लाख रुपए ही रहेगी, उन्हें 2 लाख से 5 लाख तक की आय पर 10% से जो कर देय होगा इसमें से 2,000 रुपए की कर छूट घटाई जाएगी। यदि करदाता वरिष्ठ नागरिक है और 2.5 लाख से 5 लाख तक की आमदनी है तो उसे भी 2,000 रुपए कर की क्रेडिट मिलेगी।

3) जिन करदाताओं की आय 5 लाख से अधिक लेकिन 1 करोड़ रुपए तक है उन्हें पूर्व की तरह आयकर चुकाना होगा।

4) यदि व्यक्ति करदाता की आय 1 करोड़ रुपए से अधिक हो तो उन्हें देय आयकर पर 10% सरचार्ज देना होगा, दूसरे शब्दों में उनका कर दायित्व 10% बढ़ जाएगा। ऐसे करदाता देश में वर्तमान में 42,800 हैं।

5) 10 करोड़ से अधिक आय कमाने वाली कंपनियों को देय आयकर पर सरचार्ज 5% से बढ़ाकर 10% कर दिया गया है अर्थात अब आयकर की सकल दर (शिक्षा उपकर सहित) 33.9 % होगी।

समीक्षा : वित्तमंत्री ने स्लैब को यथावत रखने, 5 लाख रुपए तक की आय वाले करदाताओं को 2,000 रुपए की क्रेडिट देने के प्रावधान से गणना की जटिलता ही बढ़ेगी। यदि वित्तमंत्री सीधे ही करमुक्त सीमा 2,20,000 रुपए कर देते तो आयकर संग्रह में बहुत ज्यादा कमी नहीं होती। 16 लाख करोड़ रुपए के बजट में 1,000 करोड़ की कमी सहन करने योग्य थी।

अमीरों पर सरचार्ज लगाकर एवं बड़ी कंपनियों पर सरचार्ज का बढ़ाया जाना राजस्व वृद्धि की दृष्टि से तो ठीक है लेकिन आयकर की दृष्टि से प्रतिगामी कदम हैं। स्वयं के आवास हेतु पहला मकान खरीदने हेतु ऋण पर ब्याज की कटौती 1.5 लाख से बढ़ाकर 2.5 कर देने से लाभ उन्हीं व्यक्तियों को होगा जो 15 से 25 लाख के बीच की राशि का ऋण लेंगे, क्योंकि 15 लाख रुपए तक के ऋण का ब्याज वैसे भी 1.5 लाख से अधिक नहीं बनता।

उत्पाद शुल्क एवं सेवाकर की सामान्य दरों को तो यथावत रखा गया है लेकिन महंगे मोबाइल, कारें, सिगरेट आदि पर उत्पाद शुल्क की दरें बढ़ाकर उच्च मध्यम वर्ग एवं अमीर वर्ग पर अतिरिक्त भार डाला गया है।

विदेश यात्रा से लौटते समय शुल्क मुक्त माल की सीमा बढ़ा दी गई है। अब पुरुष यात्री 50,000 रुपए तक का सामान एवं महिला यात्री 1 लाख रुपए तक का सामान अपने साथ लाते हैं तो उन्हें कोई सीमा शुल्क नहीं देना पड़ेगा। इस प्रावधान से मध्यम वर्ग के लोगों की विदेश यात्राएं बढ़ेंगी। वे अपने उपयोग की वस्तुएं एवं विद्युत उपकरण खरीदकर लाने के लिए प्रोत्साहित होंगे, क्योंकि उनके यात्रा किराए का समायोजन सीमा शुल्क की बचत से बहुत हद तक समायोजित हो सकेगा।

इसका नकारात्मक प्रभाव यह होगा कि घरेलू विद्युत उपकरण बनाने वाली इकाइयों, मोबाइल निर्माताओं को विदेशी माल से मूल्य की दृष्टि से स्पर्धा करना पड़ेगी।

खाद्य सुरक्षा गारंटी बिल के लिए 10 हजार करोड़ का प्रावधान, युवकों के लिए 1,000 करोड़ रुपए का विशेष फंड, सर्वशिक्षा अभियान पर 27,000 करोड़ रुपए का प्रावधान, मनरेगा के लिए 33,000 करोड़ रुपए, मध्याह्न भोजन के लिए 15,000 करोह़ की व्यवस्था आदि खैराती मदों के लिए 1 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान आगामी चुनावों को दृष्टिगत रखते हुए किए गए लगते हैं, क्योंकि ये प्रावधान खाद्यान्न, केरोसीन, उर्वरकों आदि की सामान्य सबसिडी के अलावा किए गए हैं।

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