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भारत चीन को पछाड़ सकता है बशर्ते...

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मुंबई , सोमवार, 7 जनवरी 2008 (13:57 IST)
भारत आर्थिक विकास के मामले में चीन को कहीं पीछे छोड़ सकता है बशर्ते कि देश में आधारभूत ढाँचा विकसित करने पर समुचित ध्यान दिया जाए। हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के 96 छात्रों के एक दल के साथ उसके भारत में कार्यरत पूर्व छात्रों की एक संगोष्ठी में इस बात पर आम सहमति रही।

इंडियन मर्चेट चैम्बर्स (आईएमसी) द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी को संबोधित करने वाले इन पूर्व छात्रों में हाँगकांग शंघाई बैंक कार्पोरेशन लिमिटेड की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (भारत) सुश्री नैनालाल किदवई, मैंकेंजी इंडिया के प्रमुख आदिल जैनुलभाय, टेमासेक होल्डिंग के वरिष्ठ प्रबंध निदेशक एवं भारत प्रमुख मनीष केजरीवाल, इंडएशिया फंड एडवाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष प्रदीप शाह तथा आईएमसी के अध्यक्ष नीरज बजाज शामिल थे।

आधारभूत ढाँचा सुधारो
हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में वर्ष 1982 बैच की छात्र रहीं सुश्री किदवई ने कहा कि भारत में आधारभूत ढाँचा सुधारने में अगले पाँच वर्ष में 500 अरब डॉलर के निवेश की योजना यदि सफल हो गई तो देश का सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी में वृद्धि की दर 10 से 12 प्रश पहुँच सकती है। उन्होंने कहा कि आधारभूत ढाँचे में सुधार होने से भारत में उत्पादन की लागत चीन से कहीं कम हो जाएगी।

उनका यह भी कहना था कि भारत के लोगों के चीन के मुकाबले अँगरेजी बोलने की अच्छी क्षमता भी देश के आर्थिक विकास में मददगार है। भारत के लघु एवं मध्यम उद्योगों की सराहना करते हुए सुश्री किदवई ने कहा कि देश के विनिर्माण मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में कुल उत्पादन का 60 प्रतिशत इन्हीं छोटे एवं मंझोले उद्योग का है।

विदेशों में भारत का निवेश
उन्होंने कहा कि आज देश की 50 बड़ी कंपनियों में सिर्फ आठ ऐसे हैं जो उदारीकरण के पहले अस्तित्व में थीं। उन्होंने भारत में महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों के जरिए चल रहे सूक्ष्मवित्त आंदोलन का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे देश में बचत और पूँजी निर्माण को बड़ा बल मिला है।

सुश्री किदवई ने जोर देकर कहा कि आर्थिक विकास का पहिया अब उल्टा घूम गया है जिसका प्रमाण है कि भारत गत वर्ष ब्रिटेन में निवेश करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश था। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में महिलाओं के योगदान का उल्लेख करते हुए बताया कि देश में उनके बैंक तथा आईसीआईसीआई बैंक के शीर्ष प्रबंधन में 35 प्रतिशत महिलाएँ हैं।

स्वास्थ्य शिक्षा पर जोर दें
मैंकेंजी इंडिया के जैनुलभाय ने भारत को विरोधाभास तथा आत्मविश्वास से भरा देश बताते हुए कहा कि एक ओर जहाँ देश की आर्थिक प्रगति की संभावनाओं की पूरे विश्व में चर्चा चल रही है वहीं हमें यह याद रखनी चाहिए कि यहाँ अभी भी बहुत सारे लोगों को समुचित शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा हासिल नहीं है।

उन्होंने इस सिलसिले में देश में नक्सलवाद के प्रसार का उल्लेख करते हुए कहा कि कुल करीब पाँच सौ जिलों में से आधे में इसका असर हो चुका है। उनका यह भी कहना था कि जहाँ भारत के प्रधानमंत्री बनने वालों की औसत आयु 75 है वहीं इसकी जनसंख्या का चरित्र बदलने से यह युवाओं का देश बन चुका है।

हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के छात्रों के दल की ओर से टोनी नो ने कहा कि वे और उनके सहपाठी भारत की आर्थिक प्रगति के कारक तत्वों का अध्ययन करने आए हैं। उन्होंने कहा कि भारत लोकतांत्रिक व्यवस्था वाला देश है और इस कारण वह चीन से आगे बढ़ेगा।

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