दुनिया भर में निवेश के लिहाज से सबसे पसंदीदा तीन देशों में भारत की गिनती होती है, लेकिन वहाँ विदेशी निवेश की सीमा तय होने के कारण निवेश संभावनाओं का पूरा फायदा नहीं मिल पा रहा है, कोलंबिया विश्वविद्यालय की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट में भारत की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति और कई आर्थिक क्षेत्रें में उदारीकरण का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि जीडीपी में तेज वृद्धि, कुशल एवं प्रतिस्पर्धी कर्मियों तथा बाजार विकास जैसे कारणों से भारत में विदेशी निवेश बढ़ रहा है।
हालाँकि रिपोर्ट कहती है कि भारत में निवेश सीमा तय होने के कारण विदेशी निवेश जितना होना चाहिए वह नहीं हो पा रहा है, राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं से भी एफडीआई मंजूरी प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है।
‘इनवर्ड एफडीआई इन इंडिया एंड इट्स पॉलिसी कान्टेक्स्ट’ शीषर्क वाली 15 पृष्ठ की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत विदेशी निवेश के प्रवाह के मामले में दुनिया में 13वें स्थान पर है। वर्ष 2000 के बाद से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 15 गुना बढ़ चुका है।
रिपोर्ट के मुताबिक विदेशी निवेशकों ने जहाँ शुरू में विनिर्माण, बिजली और दूरसंचार क्षेत्र पर अपना ध्यान केंद्रित किया, वहीं अब वे सेवा क्षेत्र की ओर ध्यान दे रहे हैं।
इस रिपोर्ट में जो एक और खास बात सामने आई है कि 1990 के दशक में जहां विकसित देशों द्वारा ही भारत में निवेश किया जाता था, वहीं अब विकासशील देशों के निवेशकों का आकषर्ण भी भारत के प्रति बढ़ा है। (भाषा)